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अतरैला के निवासियों ने किया चुनाव का बहिष्कार, कहा पानी नहीं तो वोट नहीं

पानी की समस्या से जूझ रहे सिहावल विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत कोरौली कला तहत अतरैला के ग्रामीणों ने मतदान न करने का संकल्प लिया है.

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Published : Apr 21, 2019, 11:12 PM IST

अतरैला के निवासियों ने किया चुनाव का बहिष्कार

सीधी। पानी की समस्या से जूझ रहे सिहावल विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत कोरौली कला तहत अतरैला के ग्रामीणों ने मतदान न करने का संकल्प लिया है. गांव में बैनर पोस्टर पर पानी नहीं तो वोट नहीं के नारे लिखे और नेताओं को इस गांव में वोट मांगने के लिए आने से मना किया.

अतरैला के निवासियों ने किया चुनाव का बहिष्कार
पिछले 35 सालों से कांग्रेस का सिहावल सीट पर कब्जा रहा है. पिछले सत्र को छोड़कर लोकसभा में पिछले दस सालों से बीजेपी का कब्जा रहा है. ऐसे में चुनाव बहिष्कार की वजह बीजेपी की रीति पाठक और कांग्रेस के विधायक कमलेश्वर पटेल रहे.इस इलाके में आज भी कई गांव ऐसे है जो पानी के लिए तरसते है. गंदे नाले का पानी पीने को विवश है. कई स्कूल में भवन नहीं हैं, पेड़ के नीचे स्कूली बच्चे बैठ कर अपना भविष्य गढ़ते है. मजबूरन आज ग्रामीणों का गुस्सा भड़क उठा और गांव के बाहर बैनर लगा कर साफ लिख दिया कि यहां नेता वोट मांगने न आये और चुनाव का बहिष्कार कर दिया.जैसे ही यह खबर प्रशासन को लगी आनन फानन में इलाके के एसडीएम मौके पर गांव पहुंचे और चुनाव तक तीन टैंकर पानी पहुंचाने का वादा किया. साथ ही बिगड़े हैंड पम्पों को सुधारने की कवायद शुरू की गई.

सीधी। पानी की समस्या से जूझ रहे सिहावल विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत कोरौली कला तहत अतरैला के ग्रामीणों ने मतदान न करने का संकल्प लिया है. गांव में बैनर पोस्टर पर पानी नहीं तो वोट नहीं के नारे लिखे और नेताओं को इस गांव में वोट मांगने के लिए आने से मना किया.

अतरैला के निवासियों ने किया चुनाव का बहिष्कार
पिछले 35 सालों से कांग्रेस का सिहावल सीट पर कब्जा रहा है. पिछले सत्र को छोड़कर लोकसभा में पिछले दस सालों से बीजेपी का कब्जा रहा है. ऐसे में चुनाव बहिष्कार की वजह बीजेपी की रीति पाठक और कांग्रेस के विधायक कमलेश्वर पटेल रहे.इस इलाके में आज भी कई गांव ऐसे है जो पानी के लिए तरसते है. गंदे नाले का पानी पीने को विवश है. कई स्कूल में भवन नहीं हैं, पेड़ के नीचे स्कूली बच्चे बैठ कर अपना भविष्य गढ़ते है. मजबूरन आज ग्रामीणों का गुस्सा भड़क उठा और गांव के बाहर बैनर लगा कर साफ लिख दिया कि यहां नेता वोट मांगने न आये और चुनाव का बहिष्कार कर दिया.जैसे ही यह खबर प्रशासन को लगी आनन फानन में इलाके के एसडीएम मौके पर गांव पहुंचे और चुनाव तक तीन टैंकर पानी पहुंचाने का वादा किया. साथ ही बिगड़े हैंड पम्पों को सुधारने की कवायद शुरू की गई.
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अतरैला के निवासियों ने किया चुनाव का बहिष्कार, कहा पानी नहीं तो वोट नहीं

 



सीधी। पानी की समस्या से जूझ रहे सिहावल विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत कोरौली कला तहत अतरैला के ग्रामीणों ने मतदान न करने का संकल्प लिया है. गांव में बैनर पोस्टर पर पानी नहीं तो वोट नहीं के नारे लिखे और नेताओं को इस गांव में वोट मांगने के लिए आने से मना किया.

पिछले 35 सालों से कांग्रेस का सिहावल सीट पर कब्जा रहा है. पिछले सत्र को छोड़ कर लोक सभा में पिछले दस सालों से बीजेपी का कब्जा रहा है. ऐसे में चुनाव बहिष्कार की जो वजह बीजेपी की रीति पाठक और कांग्रेस के विधायक कमलेश्वर पटेल रहे.

इस इलाके में आज भी कई गांव ऐसे है जो पानी के लिए तरसते है. गंदे नाले का पानी पीने को विवश है. कई स्कूल में भवन नहीं हैं, पेड़ के नीचे स्कूली बच्चे बैठ कर अपना भविष्य गढ़ते है. मजबूरन आज ग्रामीणों का गुस्सा भड़क उठा और गांव के बाहर बैनर लगा कर साफ लिख दिया कि यहां नेता वोट मांगने न आये और चुनाव का बहिष्कार कर दिया. 

जैसे ही यह खबर प्रशासन को लगी आनन फानन में इलाके के एसडीएम मौके पर गांव पहुंचे और चुनाव तक तीन टैंकर पानी पहुचाने का वादा किया. साथ ही बिगड़े हैण्ड पम्पों को सुधारने की कवायद शुरू की गई.

 



अतरैला के निवासियों ने किया चुनाव का बहिष्कार, कहा पानी नहीं तो वोट नहीं

 







सीधी। पानी की समस्या से जूझ रहे सिहावल विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत कोरौली कला तहत अतरैला के ग्रामीणों ने मतदान न करने का संकल्प लिया है. गांव में बैनर पोस्टर पर पानी नहीं तो वोट नहीं के नारे लिखे और नेताओं को इस गांव में वोट मांगने के लिए आने से मना किया.



पिछले 35 सालों से कांग्रेस का सिहावल सीट पर कब्जा रहा है. पिछले सत्र को छोड़ कर लोक सभा में पिछले दस सालों से बीजेपी का कब्जा रहा है. ऐसे में चुनाव बहिष्कार की जो वजह बीजेपी की रीति पाठक और कांग्रेस के विधायक कमलेश्वर पटेल रहे.



इस इलाके में आज भी कई गांव ऐसे है जो पानी के लिए तरसते है. गंदे नाले का पानी पीने को विवश है. कई स्कूल में भवन नहीं हैं, पेड़ के नीचे स्कूली बच्चे बैठ कर अपना भविष्य गढ़ते है. मजबूरन आज ग्रामीणों का गुस्सा भड़क उठा और गांव के बाहर बैनर लगा कर साफ लिख दिया कि यहां नेता वोट मांगने न आये और चुनाव का बहिष्कार कर दिया. 



जैसे ही यह खबर प्रशासन को लगी आनन फानन में इलाके के एसडीएम मौके पर गांव पहुंचे और चुनाव तक तीन टैंकर पानी पहुचाने का वादा किया. साथ ही बिगड़े हैण्ड पम्पों को सुधारने की कवायद शुरू की गई.



 






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