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एक करोड़ की डायग्नोस्टिक वैन 3 साल से खा रही धूल, जिम्मेदारों के पास नहीं है जवाब - administration

सीधी में स्वास्थय व्यवस्था कब तक पटरी पर आ पाएगी कहा नहीं जा सकता..? यहां सालों से करोड़ रुपये की डाइगनोस्टिक वैन धूल फांकने को मजबूर है.

डायग्नोस्टिक वैन 3 साल से खा रही धूल
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Published : Mar 16, 2019, 11:53 PM IST

सीधी। जिले में स्वास्थ्य सेवाएं कब तक पटरी पर आएगी इस पर अभी भी कुछ कहा नहीं जा सकता. इसकी वजह है, यहां करीब एक करोड़ रूपये की डायग्नोस्टिक वैन खड़े-खड़े धूल खा रही है. इस कीमती बस में कहने को तो कई स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन ये खड़े-खड़े कबाड़ में तब्दील होती जा रही है. इसके बावजूद इसे शुरु करने के बारे में कोई जिम्मेदार आगे नहीं आ रहा है.

एक करोड़ की डायग्नोस्टिक वैन 3 साल से खा रही धूल, जिम्मेदारों के पास नहीं है जवाब

वैसे कहने को तो इस बस यानी मोबाइल हैल्थ केयर यूनिट कम डाइग्नोस्टिक वैन को तत्कालीन कलेक्टर स्वाति मीणा ने शुरू कराया था, ताकि सड़क हादसों के गंभीर घायलों का इस चलित बस में ही सघन इलाज मिल सके और उनकी जान बचाई जा सके. लेकिन अब ये कीमती बस 3 साल से कबाड़ बनकर रह गई.

जब सीएमएचओ से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस बस के रख रखाव के लिए कोई बजट नहीं मिलता. लेकिन जब उनसे बस शुरु करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जल्द बस शुरू कराने की बाती कही. लेकिन इस बस को बंद ही क्यों किया गया इस बात का जवाब नहीं मिल पाया.

सीधी। जिले में स्वास्थ्य सेवाएं कब तक पटरी पर आएगी इस पर अभी भी कुछ कहा नहीं जा सकता. इसकी वजह है, यहां करीब एक करोड़ रूपये की डायग्नोस्टिक वैन खड़े-खड़े धूल खा रही है. इस कीमती बस में कहने को तो कई स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन ये खड़े-खड़े कबाड़ में तब्दील होती जा रही है. इसके बावजूद इसे शुरु करने के बारे में कोई जिम्मेदार आगे नहीं आ रहा है.

एक करोड़ की डायग्नोस्टिक वैन 3 साल से खा रही धूल, जिम्मेदारों के पास नहीं है जवाब

वैसे कहने को तो इस बस यानी मोबाइल हैल्थ केयर यूनिट कम डाइग्नोस्टिक वैन को तत्कालीन कलेक्टर स्वाति मीणा ने शुरू कराया था, ताकि सड़क हादसों के गंभीर घायलों का इस चलित बस में ही सघन इलाज मिल सके और उनकी जान बचाई जा सके. लेकिन अब ये कीमती बस 3 साल से कबाड़ बनकर रह गई.

जब सीएमएचओ से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस बस के रख रखाव के लिए कोई बजट नहीं मिलता. लेकिन जब उनसे बस शुरु करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जल्द बस शुरू कराने की बाती कही. लेकिन इस बस को बंद ही क्यों किया गया इस बात का जवाब नहीं मिल पाया.

Intro:एंकर --सीधी में स्वास्थय व्यवस्था कब तक पटरी पर आ पाएगी कहा नही जा सकता,सालो से करोड़ रुपये की डाइगनोस्टिक वैन धूल फांकने को मजबूर है,जबकि चलित चिकित्सा के लिए शुरू की गई यह कीमती बस में गंभीर इलाज के लिए सारी शुविधाएँ मौजूद है,इसे शुरू करने की पहल न तो जनप्रतिनिधि सोचते है न प्रशासन।


Body:सीधी में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं भगवान भरोसे चल रही है,गंभीर मरीजो को चलित चिकित्सा दिलाने के लिए पूर्व कलेक्टर स्वाति मीणा के प्रयासों की वजह से करीब करोड़ रुपये की कीमत से मोबाइल हैल्थ केयर यूनिट कम डाइग्नोस्टिक वैन की शुरुआत की गई थी,जिसमे सड़क हादसों में और गंभीर मरीजो को सघन इलाज हो सके और उनकी जान बचाई जा सके।इस बस में डॉक्टरों की टीम के साथ पूरी यूनिट तैनात रहती थी,लेकिन दुर्भाग्य से 3 साल से कीमती बस कबाड़ बन कर धूल फांक रही है,यदि फिर शुरू की जाए तो लोगो को काफी हद तक मदद हो सके।
बाइट(1)जान्हवी सिंह(स्थानीय)
वही इस मामले में जिम्मेदार सीएमएचओ का कहना है कि इस बस के रख रखाव के लिए हमे कोई बजट नही मिलता,फिर भी कलेक्टर के संज्ञान में बस शुरू करने की पहल की जाएगी।
बाइट(2)आर एल वर्मा(CMHO सीधी)


Conclusion:बहरहाल सीधी में स्वास्थ्य व्यवस्थ्यए पर किसी का ध्यान नही है,सालो से कबाड़ बन कर धूल खा रही यह वैन यदि फिर से शुरुआत की जाए तो सड़क हादसों में गभीर मरीजो की जान बचाई जा सकती है,देखना होगा कि लगभग करोड़ रुपये की लागत से लाई गई मोबाइल हैल्थ केयर यूनिट बस से कितने लोगो को फायदा मिल सकेगा फिरहाल कहना अभी मुश्किल है।
पवन तिवारी etv भारत सीधी
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