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मजदूरों ने सुनाई आपबीती, भागने से रोकने के लिए पैरों में बांधी थी जंजीरें, बेल्ट से पीटता था मिल मालिक - कर्नाटक में शिवपुरी के मजदूर बंधक

Shivpuri Police Rescue Labourers: शिवपुरी पुलिस ने लापता 60 मजदूरों का रेस्क्यू कर लिया है. पुलिस कर्नाटक में बंधक बनाकर रखे मजदूरों को सकुशल वापस शिवपुरी लेकर आई है. वहीं वापस आने के बाद मजदूरों ने सुनाई दिल दहला देने वाली बाते हैं.

Shivpuri Police rescue labourers
मजदूरों को शिवपुरी ने कराया मुक्त
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 18, 2024, 10:25 PM IST

शिवपुरी। कर्नाटक में फंसे 60 मजदूरों को कोलारस पुलिस गुरुवार को सकुशल वापस लेकर लौटी. मजूदर करीब तीन महीने कर्नाटक मजदूरी करने के लिए गए थे. जहां कुछ दिन पहले ही अचानक से उनका परिवार वालों से संपर्क टूट गया था. जिसके बाद परिजन एसपी आफिस में शिकायत करने के लिए पहुंचे थे. वहां से लौटे मजदूरों ने अपनी जो व्यथा सुनाई, वह रोंगटे खड़े कर देने वाली है. जब कोई मजदूर बीमार हो जाता था, तो मिल मालिक उसके पैरों में जंजीर बांध दिया करता था. मजदूरी के रुपये मांगने पर उन्हें बेल्टों से बेरहमी से पीटा जाता था. जब मजदूर लौटे तो कुछ के पैरों में यह जंजीरें भी बंधी हुई थी.

इंदौर के बजाए कर्नाटक ले गए

जानकारी के अनुसार सुभाषपुरा थाना क्षेत्र के बारा गांव का अनिल जाव खिरई घुटारी के मजदूर को रोजना 600 रुपये मजदूरी और खाना खर्चा दिलाने की बात कहकर मजदूरी पर ले गया था. उसके साथ ही वह बैराड़ थाना के तिघरा, बालापुर, सारंगपुर, जाफरपुर से भी आदिवासियों को अपने साथ ले गया था. वह मजदूरों को इंदौर के बजाए कर्नाटक ले गया. यहां उन्हें एक मिल में मजदूरी के काम पर लगा दिया गया. कुछ दिनों बाद मजदूरों का परिजनों से कॉनटेक्ट नहीं हो पा रहा था.

Shivpuri Police rescue labourers
मजदूरों के पैर में जंजीर बांधी

परिवार से कनेक्शन टूटा, फिर एसपी से की शिकायत

जिसके बाद परिजनों ने एसपी से मामले की शिकायत की. जानकारी मिलने के बाद पुलिस सक्रिय हुई और कोलारस पुलिस की टीम कर्नाटक पहुंची. पुलिस मुखबिर की सूचना और मजदूरों के मोबाइल की लोकेशन के आधार पर कर्नाटक के ग्राम कोरवार थाना मडबूर, ग्राम रेवग्गी थाना कानगी जिला गुलबर्गा पहुंची. जहां मजदूरों को तलाशा, तो वे काम करते हुए मिले. सबको सकुशल कर्नाटक एक्सप्रेस से ग्वालियर भिजवाया और वहां से गुरुवार को सभी शिवपुरी पहुंचे. एसपी आफिस पर पुलिस अधीक्षक रघुवंश सिंह भदौरिया ने सभी से बात की और स्थिति जानी.

हर साल बाहर जाते हैं मजदूर

शिवपुरी से हर साल बड़ी संख्या में आदिवासी मजदूरी के लिए बाहर जाते हैं. इस दौरान कई बार वे ऐसी परिस्थितियों में फंस जाते हैं कि उन्हें बंधुआ बना लिया जाता है. जिले में ऐसे कई ठेकेदार सक्रिय हैं, जो मजदूरों को अपने साथ लेकर जाते हैं. कर्नाटक में भी जो मजदूर गए थे. वे भी पूर्व में इस तरह से मजदूरी के लिए जाते रहे हैं.

ढोल नगाड़ों पर जमकर नाचे कर्नाटक से वापस आए मजदूर

वापस लौटे मजदूर एसपी ऑफिस के बाद सहरिया क्रांति कार्यालय पर पहुंचे. यहां उनके स्वजन पहले से मौजूद थे. यहां ढोल नगाड़ों से उनका स्वागत किया गया. संयोजक संजय बैचेन ने बताया कि उनकी एक मजदूर से मिल मालिक ने बात कराई थी, लेकिन उसे डरा धमकाकर यह बुलवाया गया कि वे सभी लोग खुश हैं. इसके बाद हमारा एक कार्यकर्ता भी पुलिस टीम के साथ कर्नाटक गया था.

यह बोले मजदूर

मजदूरों ने बताया कि सुबह 6 बजे सभी को उठा दिया जाता था. रात 10 बजे तक खेतों में गन्ना कटवाया जाता था. इस बीच कोई मजदूर अगर बीमार भी हो जाता तो उसे जानवरों की तरह बांध दिया जाता था. वहीं मजदूरी के पैसे मांगने पर बेल्ट और गैस की लेजम से पीटा जाता था. जंजीरों से बांधकर रखा जाता था. ऐसी यातनाएं तो कभी इंसानों को नहीं दी जाती हैं, मुश्किल से एक टाइम थोड़ा बहुत चावल खाने को देते थे.

मामले में पुलिस का कहना है कि सभी मजदूरों को सकुशल लेकर आए हैं, मोबाइल लोकेशन और मुखबिर की मदद मिली थी. सभी मजदूर काम कर रहे थे. उनके मोबाइल डिस्चार्ज थे. अब उनके बयान लेंगे और उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.

यहां पढ़ें...

शिवपुरी। कर्नाटक में फंसे 60 मजदूरों को कोलारस पुलिस गुरुवार को सकुशल वापस लेकर लौटी. मजूदर करीब तीन महीने कर्नाटक मजदूरी करने के लिए गए थे. जहां कुछ दिन पहले ही अचानक से उनका परिवार वालों से संपर्क टूट गया था. जिसके बाद परिजन एसपी आफिस में शिकायत करने के लिए पहुंचे थे. वहां से लौटे मजदूरों ने अपनी जो व्यथा सुनाई, वह रोंगटे खड़े कर देने वाली है. जब कोई मजदूर बीमार हो जाता था, तो मिल मालिक उसके पैरों में जंजीर बांध दिया करता था. मजदूरी के रुपये मांगने पर उन्हें बेल्टों से बेरहमी से पीटा जाता था. जब मजदूर लौटे तो कुछ के पैरों में यह जंजीरें भी बंधी हुई थी.

इंदौर के बजाए कर्नाटक ले गए

जानकारी के अनुसार सुभाषपुरा थाना क्षेत्र के बारा गांव का अनिल जाव खिरई घुटारी के मजदूर को रोजना 600 रुपये मजदूरी और खाना खर्चा दिलाने की बात कहकर मजदूरी पर ले गया था. उसके साथ ही वह बैराड़ थाना के तिघरा, बालापुर, सारंगपुर, जाफरपुर से भी आदिवासियों को अपने साथ ले गया था. वह मजदूरों को इंदौर के बजाए कर्नाटक ले गया. यहां उन्हें एक मिल में मजदूरी के काम पर लगा दिया गया. कुछ दिनों बाद मजदूरों का परिजनों से कॉनटेक्ट नहीं हो पा रहा था.

Shivpuri Police rescue labourers
मजदूरों के पैर में जंजीर बांधी

परिवार से कनेक्शन टूटा, फिर एसपी से की शिकायत

जिसके बाद परिजनों ने एसपी से मामले की शिकायत की. जानकारी मिलने के बाद पुलिस सक्रिय हुई और कोलारस पुलिस की टीम कर्नाटक पहुंची. पुलिस मुखबिर की सूचना और मजदूरों के मोबाइल की लोकेशन के आधार पर कर्नाटक के ग्राम कोरवार थाना मडबूर, ग्राम रेवग्गी थाना कानगी जिला गुलबर्गा पहुंची. जहां मजदूरों को तलाशा, तो वे काम करते हुए मिले. सबको सकुशल कर्नाटक एक्सप्रेस से ग्वालियर भिजवाया और वहां से गुरुवार को सभी शिवपुरी पहुंचे. एसपी आफिस पर पुलिस अधीक्षक रघुवंश सिंह भदौरिया ने सभी से बात की और स्थिति जानी.

हर साल बाहर जाते हैं मजदूर

शिवपुरी से हर साल बड़ी संख्या में आदिवासी मजदूरी के लिए बाहर जाते हैं. इस दौरान कई बार वे ऐसी परिस्थितियों में फंस जाते हैं कि उन्हें बंधुआ बना लिया जाता है. जिले में ऐसे कई ठेकेदार सक्रिय हैं, जो मजदूरों को अपने साथ लेकर जाते हैं. कर्नाटक में भी जो मजदूर गए थे. वे भी पूर्व में इस तरह से मजदूरी के लिए जाते रहे हैं.

ढोल नगाड़ों पर जमकर नाचे कर्नाटक से वापस आए मजदूर

वापस लौटे मजदूर एसपी ऑफिस के बाद सहरिया क्रांति कार्यालय पर पहुंचे. यहां उनके स्वजन पहले से मौजूद थे. यहां ढोल नगाड़ों से उनका स्वागत किया गया. संयोजक संजय बैचेन ने बताया कि उनकी एक मजदूर से मिल मालिक ने बात कराई थी, लेकिन उसे डरा धमकाकर यह बुलवाया गया कि वे सभी लोग खुश हैं. इसके बाद हमारा एक कार्यकर्ता भी पुलिस टीम के साथ कर्नाटक गया था.

यह बोले मजदूर

मजदूरों ने बताया कि सुबह 6 बजे सभी को उठा दिया जाता था. रात 10 बजे तक खेतों में गन्ना कटवाया जाता था. इस बीच कोई मजदूर अगर बीमार भी हो जाता तो उसे जानवरों की तरह बांध दिया जाता था. वहीं मजदूरी के पैसे मांगने पर बेल्ट और गैस की लेजम से पीटा जाता था. जंजीरों से बांधकर रखा जाता था. ऐसी यातनाएं तो कभी इंसानों को नहीं दी जाती हैं, मुश्किल से एक टाइम थोड़ा बहुत चावल खाने को देते थे.

मामले में पुलिस का कहना है कि सभी मजदूरों को सकुशल लेकर आए हैं, मोबाइल लोकेशन और मुखबिर की मदद मिली थी. सभी मजदूर काम कर रहे थे. उनके मोबाइल डिस्चार्ज थे. अब उनके बयान लेंगे और उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.

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