शिवपुरी। सियाचिन में भारत-चीन की सीमा पर सुरक्षा में तैनात शिवपुरी के बेटे अमर को शुक्रवार की रात अंतिम विदाई दी गई. अमर शुक्रवार को तिरंगे में लिपट कर वापस शिवपुरी आया. शहीद अमर शर्मा के पार्थिव देह को सेना के ट्रक में पूरे राजकीय सम्मान के साथ शिवपुरी लाया गया. शिवपुरी के लाल को तिरंगे में लिपटा देख हर आंख नम थी और शहर की सड़कों पर उसे श्रद्धांजलि देने के लिए देर रात तक उसका इंतजार करती रही.(shivpuri amar guard of honour)
राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार: शहीद अमर शर्मा का पार्थिव शरीर देर रात 11:00 बजे अपने गृह ग्राम पहुंचा. जहां उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान आर्मी के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. कोई मोटर साइकिल पर तो कोई पैदल इस अंतिम यात्रा में शामिल हुआ. अंतिम यात्रा में वंदे मातरम्, भारत माता की जय, और जब तक सूरज चांद रहेगा अमर तेरा नाम रहेगा के नारे गूंज रहे थे. पार्थिव देह के साथ सेना के ट्रक में अमर के पिता व भाई सवार थे, जिनका रो-रोकर बुरा हाल था. अंतिम यात्रा के दौरान सड़क किनारे खड़े लोगों में से कोई अमर की पार्थिव देह को सेल्यूट कर रहा था तो काेई हाथ जोड़ कर उसकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से दुआ मांग रहा था. इस दौरान अंतिम यात्रा में चल रहे डीजे पर देशभक्ति के गीत बज रहे थे. (shivpuri martyr amar cremated with state honors)
पिता की मांग गांव नाम के आगे लगवा दें अमर: शहीद अमर के अंत्येष्टि में पहुंचे कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह और पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह चंदेल से शहीद अमर के पिता सियाराम शर्मा ने मदद दिलवाए जाने की गुहार लगाई है. सियाराम का कहना था कि उनके पास पांच बीघा जमीन है, जिसमें वह दो भाई है जैसे तैसे उन्होंने अमर को बुढ़ापे की लाठी बनने के लिए तैयार किया, लेकिन इससे पहले अमर हमें छोड़कर चला गया. अमर के दो छोटे भाई उसकी पत्नी और उसकी मां है, जिनका पालन पोषण अमर के ही द्वारा किया जा रहा था. ऐसी स्थिति में अगर अमर के सबसे छोटे भाई को शासकीय नौकरी मिल जाए तो वह अपने परिवार का पालन पोषण कर सकेगा. शहीद अमर के पिता ने कहा कि वह उसके बेटे को आर्मी में भेज दें, और अगर ऐसा नहीं होता है तो उसे कोई भी सरकारी नौकरी दिलाई जाए जिससे अपने परिवार की देखरेख कर सके. इसके अतिरिक्त जिस गांव में अमर पैदा हुआ है उस गांव के नाम के आगे अमर नाम जोड़ा जाए जिससे आने वाले समय में अमर की शहादत को लोग कयाद रख सकें. इस गांव का नाम अमर के पिता ने अमर खरई गांव के नाम से किए जाने की मांग की है.(shivpuri amar guard of honour)
अंतिम यात्रा में नहीं थे सुरक्षा व्यवस्था के पर्याप्त इंतजाम: शहीद अमर शर्मा के अंतिम यात्रा के दौरान व्यवस्थाओं को लेकर प्रशासन काफी हद तक असफल रहा. जिस जगह अमर को मुखाग्नि दी गई वहां भारी भीड़ मौजूद रही, लेकिन प्रशासन ने इससे पहले कोई भी सुरक्षा और व्यवस्था के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए थे. जिसके चलते परिजनों सहित अन्य लोगों को अमर के अंतिम दर्शन करने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ा. जिस जगह शहीद अमर का अंतिम संस्कार किया जा रहा था वहां ना ही बैरिकेडिंग की व्यवस्था की गई और ना ही पर्याप्त बिजली की. (shivpuri martyr amar cremated with state honors)