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Shivpuri Farmer on Strike तीन दिन से भूख हड़ताल पर बैठे 2 गांवों के किसान, नहर के पानी की कर रहे मांग - शिवपुरी में तीन दिन से भूख हड़ताल पर बैठे किसान

शिवपुरी में तीन दिनों से 2 गांव के किसान भूख हड़ताल पर बैठे हैं. पोहरी विधानसभा के किसान पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं. बैराड़ क्षेत्र के किसान तीन दिनों से नगरवासी पानी की चाह में भूख हड़ताल पर बैठे हैं(Shivpuri farmer on strike). भूख हड़ताल पर बैठे किसानों का कहना है कि, वे तब तक उठने वाले नहीं हैं, जब तक कि खेत में पानी नहीं पहुंच जाता. प्रेमलता पाल तहसीलदार बैराड़ का कहना है कि, 'हमने सिंचाई विभाग वालों को बुलवा कर नहर का निरीक्षण करवा दिया है. जल्द ही किसानों की परेशानियों का समाधान होगा.

shivpuri farmers on hunger strike from three days
शिवपुरी में तीन दिन से भूख हड़ताल पर बैठे किसान
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Published : Nov 20, 2022, 9:17 PM IST

शिवपुरी। बैराड़ के पचीपुरा तालाब से निकली नहर की साफ सफाई और मरम्मत की मांग को लेकर 2 गांव के किसान पिछले 3 दिनों से तहसील कार्यालय के सामने तंबू गाड़ कर भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं(Shivpuri farmer on strike). बावजूद इसके जिले में बैठे जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा किसानों की अभी तक कोई सुध नहीं ली गई है.

भूख हड़ताल पर बैठे किसान: पचीपुरा तालाब से निकली नहर से पचीपुरा, बैराड़, बबनपुरा, गौदोंलीपुरा गांवों के खेतों को सिंचाई के लिए पानी मिलता है, लेकिन पिछले लंबे समय से नहर की साफ सफाई और मरम्मत नहीं होने के कारण नहर के अंतिम छोर से लगे 2 गांव बवनपुरा और गोंदोलीपुरा के किसानों को इस वर्ष रबी फसलों की सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है. बबनपुरा और गौदोंलीपुरा के किसान लंबे समय से सिंचाई विभाग से नहर को सही करवाने की मांग कर रहे हैं, ताकि उन्हें खेतों की सिंचाई के लिए पानी मिल सके, लेकिन किसानों की कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई तो किसानों को भूख हड़ताल पर बैठने को मजबूर होना पड़ गया (Shivpuri farmers on hunger strike from three days). शुक्रवार से बैराड़ तहसील के सामने भूख हड़ताल पर बैठे किसानों की अभी तक किसी भी अधिकारी या जनप्रतिनिधि ने कोई सुध नहीं ली है.

शिवपुरी में तीन दिन से भूख हड़ताल पर बैठे किसान

किसान आंदोलन: बीजेपी ने प्रदेश सरकार पर बोला हमला, 'कर्जमाफी के नाम पर धोखा देने का लगाया आरोप

2019 में भी भूख हड़ताल से निकला समाधान: ग्रामीणों के अनुसार इससे पूर्व वर्ष 2019 में भी नहर फूट गई थी, उस समय भी उन्होंने प्रशासन से नहर को सही करवाने के लिए काफी गुहार लगाई थी, लेकिन उस समय भी प्रशासन ने किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की. अंत में उन्हें भूख हड़ताल पर बैठना पड़ा था. इसके बाद सिंचाई विभाग ने नहर को सही करवाया था. इस बार भी किसान तहसीलदार, थाने सहित विभाग के अधिकारियों को इस संबंध में अवगत करा चुके थे. आठ दिन बाद भी उनकी कोई सुनवाई नहीं की गई तो उन्हें एक बार फिर आंदोलन की राह अपनानी पड़ी.

जब तक खेतों में पानी नहीं पहुंचेगा यहीं बैठे रहेंगे: भूख हड़ताल पर बैठे किसानों का कहना है कि, वह उस समय तक यहां से नहीं उठने वाले हैं जब तक कि खेत में पानी नहीं पहुंच जाता. किसानों के अनुसार अगर खेतों में पानी नहीं पहुंचेगा तो भी वह मर जाएंगे. ऐसे में यहां पर भूख हड़ताल पर बैठ कर मरना ही उचित है, क्योंकि अभी तक गेहूं की थेवनी तक नहीं हुई है. खेत सूखने लगे हैं. अब देखना होगा कि किसानों की समस्या का समाधान कब तक होता है. प्रेमलता पाल तहसीलदार बैराड़ का कहना है कि, 'हमने सिंचाई विभाग वालों को बुलवा कर नहर का निरीक्षण करवा दिया है. वह नगर परिषद की जेसीबी आदि लेकर नहर की सफाई आदि के काम के साथ-साथ जो भी मरम्मत होनी होगी वह करवाएंगे. किसानों की समस्या का समाधान किया जाएगा.'

शिवपुरी। बैराड़ के पचीपुरा तालाब से निकली नहर की साफ सफाई और मरम्मत की मांग को लेकर 2 गांव के किसान पिछले 3 दिनों से तहसील कार्यालय के सामने तंबू गाड़ कर भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं(Shivpuri farmer on strike). बावजूद इसके जिले में बैठे जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा किसानों की अभी तक कोई सुध नहीं ली गई है.

भूख हड़ताल पर बैठे किसान: पचीपुरा तालाब से निकली नहर से पचीपुरा, बैराड़, बबनपुरा, गौदोंलीपुरा गांवों के खेतों को सिंचाई के लिए पानी मिलता है, लेकिन पिछले लंबे समय से नहर की साफ सफाई और मरम्मत नहीं होने के कारण नहर के अंतिम छोर से लगे 2 गांव बवनपुरा और गोंदोलीपुरा के किसानों को इस वर्ष रबी फसलों की सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है. बबनपुरा और गौदोंलीपुरा के किसान लंबे समय से सिंचाई विभाग से नहर को सही करवाने की मांग कर रहे हैं, ताकि उन्हें खेतों की सिंचाई के लिए पानी मिल सके, लेकिन किसानों की कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई तो किसानों को भूख हड़ताल पर बैठने को मजबूर होना पड़ गया (Shivpuri farmers on hunger strike from three days). शुक्रवार से बैराड़ तहसील के सामने भूख हड़ताल पर बैठे किसानों की अभी तक किसी भी अधिकारी या जनप्रतिनिधि ने कोई सुध नहीं ली है.

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2019 में भी भूख हड़ताल से निकला समाधान: ग्रामीणों के अनुसार इससे पूर्व वर्ष 2019 में भी नहर फूट गई थी, उस समय भी उन्होंने प्रशासन से नहर को सही करवाने के लिए काफी गुहार लगाई थी, लेकिन उस समय भी प्रशासन ने किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की. अंत में उन्हें भूख हड़ताल पर बैठना पड़ा था. इसके बाद सिंचाई विभाग ने नहर को सही करवाया था. इस बार भी किसान तहसीलदार, थाने सहित विभाग के अधिकारियों को इस संबंध में अवगत करा चुके थे. आठ दिन बाद भी उनकी कोई सुनवाई नहीं की गई तो उन्हें एक बार फिर आंदोलन की राह अपनानी पड़ी.

जब तक खेतों में पानी नहीं पहुंचेगा यहीं बैठे रहेंगे: भूख हड़ताल पर बैठे किसानों का कहना है कि, वह उस समय तक यहां से नहीं उठने वाले हैं जब तक कि खेत में पानी नहीं पहुंच जाता. किसानों के अनुसार अगर खेतों में पानी नहीं पहुंचेगा तो भी वह मर जाएंगे. ऐसे में यहां पर भूख हड़ताल पर बैठ कर मरना ही उचित है, क्योंकि अभी तक गेहूं की थेवनी तक नहीं हुई है. खेत सूखने लगे हैं. अब देखना होगा कि किसानों की समस्या का समाधान कब तक होता है. प्रेमलता पाल तहसीलदार बैराड़ का कहना है कि, 'हमने सिंचाई विभाग वालों को बुलवा कर नहर का निरीक्षण करवा दिया है. वह नगर परिषद की जेसीबी आदि लेकर नहर की सफाई आदि के काम के साथ-साथ जो भी मरम्मत होनी होगी वह करवाएंगे. किसानों की समस्या का समाधान किया जाएगा.'

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