शिवपुरी। जिले के सेंट चार्ल्स स्कूल के औचक निरीक्षण के लिए पहुंची मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा ने यहां कई खामियां पाई हैं. अनेक प्रश्नों के उत्तर स्कूल प्रशासन संतोषजनक नहीं दे पाया. आयोग ने पाया कि अनेक अंग्रेजी की किताबें तो बच्चों के लिए यहां हैं, लेकिन हिन्दी का यहां कोई सम्मान नहीं. उससे जुड़े श्रेष्ठ साहित्यकारों का साहित्य तो छोड़िए, नई शिक्षा नीति और आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत यहां क्रांतिवीरों का कोई साहित्य बच्चों के बीच उपलब्ध नहीं कराया गया है.
कई आपत्तिजनक पुस्तकें मिलीं : यहां जो पुस्तकें हैं उनमें रोमियो एंड जूलियट जैसे नाटक तो हैं ही. साथ ही द क्रॉनिकल्स ऑफ व्लादिमीर टॉड ज़ैक ब्रेवर की पांच किताबों की युवा वयस्क श्रृंखला जैसी बहुतायत में पुस्तकें हैं. इनमें वयस्क रोमांस है, हकीकत से दूर भूतिया और डरावनी कहानियां हैं. सोचने वाली बात है कि इन्हें पढ़कर बच्चे यहां से क्या हासिल कर रहे होंगे. आयोग सदस्य डॉ.निवेदिता शर्मा ने यहां पाया कि स्पेशीमेन में ह्दय और किडनी मौजूद हैं. यह किस पशु की हैं, इसके बारे में स्कूल प्रशासन आयोग को कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया. स्कूल का कहना था कि इसे बच्चे लेकर आए हैं, जबकि उसकी कटाई देखकर पता लग रहा था कि कोई विशेषज्ञ ही इस तरह से किडनी और ह्दय को शरीर से अलग कर सकता है.
ट्रांसपोर्ट शुल्क रसीद नहीं दी जाती : आयोग ने पाया कि स्कूल के कहे अनुसार उसके पास 25 ट्रांसपोर्ट बसें हैं. जिनसे बच्चे आना-जाना करते हैं. एक अभिभावक से बात करने पर पता चला कि तीन किलोमीटर के विद्यालय 1200 रुपए वसूल रहा है, लेकिन रसीद कभी नहीं देता. यहां दूसरी एवं तीसरी कक्षा की परीक्षा फीस चौथी और पांचवीं कक्षा से अधिक पाई गई. उल्लेखनीय है कि विद्यालय इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ़ सेकेंडरी एजुकेशन (आईसीएसई) बोर्ड से संचालित होना पाया गया है. मध्य प्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा ने बताया कि सेंट चार्ल्स विद्यालय में औचक निरीक्षण के दौरान कई खामियां मिली हैं, हम सभी की जांच कराएंगे.