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'भैया जी का अड्डा': विकास में पिछड़ी चंबल की करैरा विधानसभा सीट, क्या है वोटर की राय ? - ईटीवी भारत शिवपुरी की करैरा विधानसभा पहुंचा

ईटीवी भारत का खास प्रोग्राम 'भैया जी का अड्डा' हर विधानसभा में पहुंचकर मतदाताओं के मन की बात जानने की कोशिश कर रहा है. इसी कड़ी में ईटीवी भारत शिवपुरी की करैरा विधानसभा पहुंचा और मतदाताओं से चुनावी मुद्दों के बारे में चर्चा की.

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'भैया जी का अड्डा' शिवपुरी के करैरा विधानसभा
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Published : Oct 13, 2020, 9:08 AM IST

शिवपुरी। मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. उपचुनाव की तारीखों के ऐलान होने के बाद से ही, चुनाव को जीतने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही बड़ी पार्टियां पुरजोर मेहनत में जुटी हैं. वहीं 28 सीटों में से 16 सीटें ग्वालियर चंबल अंचल की हैं. यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. इन उपचुनावों में स्थानीय मुद्दे, जातियां, लॉयल वोटर्स, नेताओं की पकड़ सभी की परीक्षा होगी, यही सीटें तय करेंगी कि मध्यप्रदेश में किसकी सत्ता रहेगी. इसी कड़ी में ईटीवी भारत का खास प्रोग्राम 'भैया जी का अड्डा' हर विधानसभा में पहुंचकर मतदाताओं के मन की बात जानने की कोशिश कर रहा है. आज ईटीवी भारत शिवपुरी की करैरा विधानसभा में पहुंचा, जहां मतदाताओं ने चुनावी मुद्दों के बारे में चर्चा की.

करैरा में भैया जी का अड्डा

प्रदेश के सियासी समीकरण

अगर सियासी समीकरणों पर बात की जाए तो विधानसभा में कांग्रेस के पास अभी 88 विधायक है, बहुमत के लिए उसे 116 विधायकों की जरूरत होगी. ऐसे में अगर कांग्रेस को सत्ता में लौटना है तो 28 में से 28 सीटों पर जीत हासिल करनी होगी, जबकि बीजेपी के पास मौजूदा विधायक 107 हैं और सत्ता में बने रहने के लिए उसे केवल 9 सीटों पर जीत की आवश्यकता है.

वोटर्स के अनुसार करैरा विधानसभा सीट

शिवपुरी जिले की करैरा विधानसभा क्षेत्र ग्वालियर-चंबल संभाग की उन 16 सीटों में से एक है, जहां इस बार कांटे की टक्कर देखने को मिलने वाली है. करैरा विधानसभा में कुल वोटर्स की संख्या लगभग 2 लाख 41 हजार है, जिसमें महिला वोटर्स की संख्या लगभग 1 लाख 11 हजार और पुरुष वोट लगभग 1 लाख 30 हजार हैं. गुना संसदीय क्षेत्र में आने वाली ये सीट 2008 के बाद से अनुसूचित जाति वर्ग के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है. जाटव और खटीक उम्मीदवारों की इस सीट पर पिछले दो विधानसभा चुनावों से कांग्रेस ने कब्जा कर रखा है. यहां बीजेपी का कब्जा भी रहा है, तो वहीं मायावती की बसपा ने भी पिछले चुनावों में इस सीट पर जीत दर्ज की है. अगर देखा जाए तो पिछले 7 विधानसभा चुनावों में इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस ने संयुक्त रूप से तीन-तीन बार जीत दर्ज की है. तो वहीं बसपा ने भी इस दौरान एक बार 2003 में जीत दर्ज की है.

पढ़ेंः किसकी सरकार ? 15 महीने में कांग्रेस ने कर दिया था प्रदेश को तबाह: सीएम शिवराज

2018 विधानसभा चुनाव पर एक नजर

अगर हम बात करें पिछले चुनाव की यानी 2018 में इस विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के राजकुमार खटीक और कांग्रेस के जसवंत जाटव के बीच मुकाबला था. कांग्रेस ने इस मुकाबले को 14 हजार 824 वोटों के बड़े अंतर से जीता था. हालांकि अब जसवंत जाटव बीजेपी में शामिल हो चुके हैं, ऐसे में कांग्रेस ने बसपा छोड़कर पार्टी में शामिल हुए प्रागीलाल जाटव को मैदान में उतारा है. जबकि बसपा ने संगठन की कमान संभालने वाले राजेंद्र जाटव पर भरोसा जताया है.

करैरा सीट का जातीय समीकरण

अनुसूचित जाति- करैरा विधानसभा शिवपुरी जिले की सीट है, जो अनूसुचित जाति के लिए आरक्षित है. करीब दो लाख से अधिक मतदाताओं वाली इस सीट पर 15 फीसदी से ज्यादा जाटव समाज के वोटर हैं. और यही हर चुनाव में हार-जीत का अंतर तय करते हैं.

ओबीसी - करैरा विधानसभा सीट पर ओबीसी जाति के वोटर्स भी काफी मात्रा में है. यहां लोधी समाज के 25 हजार वोटर्स, यादव समाज के 16 हजार वोटर्स, रावत समाज के 30 हजार वोटर्स, बघेल समाज के 20 हजार वोटर्स, कुशवाह समाज के 15 हजार वोटर्स, तो वहीं गुर्जर समाज के 13 हजार वोटर्स हैं. जो मिलकर 1 लाख से अधिक वोटर्स होते हैं. वहीं ओबीसी वोटर्स में एकता न होने के कारण वोट लगभग सभी जगह बंट जाते हैं.

पढ़ेंः किसकी सरकार ? कमलनाथ का तंज, कहा- शिवराज सिंह अच्छे एक्टर हैं, जाना चाहिए मुंबई

सामान्य- करैरा विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण और ठाकुर के 10-10 हजार से ज्यादा वोटर्स हैं. तो वहीं पिछड़ा वर्ग के वोटर्स की आबादी, कुल वोटर्स का एक तिहाई है. लेकिन अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने की वजह से इस सीट पर सामान्य और पिछड़ा वर्ग की नाराजगी बनी हुई है. साथ ही ये वोटर्स बसपा को वोट न करते हुए कांग्रेस और बीजेपी में बंट कर एक दूसरे के वोट काटते नजर आते हैं.

इसे भी पढ़ेंः 'भैया जी का अड्डा' : ग्वालियर पूर्व विधानसभा से दल बदल कर उतरे प्रत्याशी, जानें क्या है मतदाताओं की राय ?

सीट पर रोजगार और पानी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे

शिवपुरी और ग्वालियर जैसे बड़े नगरों के पास होने के बावजूद करैरा विधानसभा क्षेत्र बेहद पिछड़ा हुआ है. यहां रोजगार की बेहद कमी है जिस वजह से अन्य क्षेत्रों की तरह यहां का युवा वर्ग रोजगार की तलाश में है. बेरोजगारी के कारण क्षेत्र का युवा वोटर लम्बे समय से नेताओं से नाराज है. दूसरी ओर करैरा क्षेत्र में पानी की बड़ी समस्या है क्योंकि करैरा कृषि पर आधारित क्षेत्र है तो फसलों के लिए पानी और पीने के पानी की एक बड़ी समस्या है जोकि यहां के नागरिक के लिए बड़ा मुद्दा है. विकास में पीछे रहने की सबसे बड़ा कारण है भ्रष्टाचार जिसकी वजह शासन की विकास योजनाएं यहां तक पहुंच ही नहीं पाती हैं.

पूर्व विधायक ने बेचा हमारा वोट

वहीं विधानसभा के लोगों का कहना है कि हर बार हमारे यहां मंडी के लिए कहा जाता है आज तक मंडी नहीं बनी है लोग सड़क को ही मंडी बना लिए हैं, इस ओर किसी का ध्यान नहीं जाता है. वहीं विधानसभा के काफी लोग पूर्व विधायक जसवंत जाटव पर नाराज नजर आए हैं, लोगों का कहना है कि हमने जाटव पर भरोसा किया था लेकिन उन्होंने पार्टी से भी धोखा किया साथ ही हमारे वोट को बेचा है. ऐसे में करैरा विधानसभा के लोग कांग्रेस कैंडीडेट के की तरफ रुख करते दिखाई दे रहे हैं.

शिवपुरी। मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. उपचुनाव की तारीखों के ऐलान होने के बाद से ही, चुनाव को जीतने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही बड़ी पार्टियां पुरजोर मेहनत में जुटी हैं. वहीं 28 सीटों में से 16 सीटें ग्वालियर चंबल अंचल की हैं. यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. इन उपचुनावों में स्थानीय मुद्दे, जातियां, लॉयल वोटर्स, नेताओं की पकड़ सभी की परीक्षा होगी, यही सीटें तय करेंगी कि मध्यप्रदेश में किसकी सत्ता रहेगी. इसी कड़ी में ईटीवी भारत का खास प्रोग्राम 'भैया जी का अड्डा' हर विधानसभा में पहुंचकर मतदाताओं के मन की बात जानने की कोशिश कर रहा है. आज ईटीवी भारत शिवपुरी की करैरा विधानसभा में पहुंचा, जहां मतदाताओं ने चुनावी मुद्दों के बारे में चर्चा की.

करैरा में भैया जी का अड्डा

प्रदेश के सियासी समीकरण

अगर सियासी समीकरणों पर बात की जाए तो विधानसभा में कांग्रेस के पास अभी 88 विधायक है, बहुमत के लिए उसे 116 विधायकों की जरूरत होगी. ऐसे में अगर कांग्रेस को सत्ता में लौटना है तो 28 में से 28 सीटों पर जीत हासिल करनी होगी, जबकि बीजेपी के पास मौजूदा विधायक 107 हैं और सत्ता में बने रहने के लिए उसे केवल 9 सीटों पर जीत की आवश्यकता है.

वोटर्स के अनुसार करैरा विधानसभा सीट

शिवपुरी जिले की करैरा विधानसभा क्षेत्र ग्वालियर-चंबल संभाग की उन 16 सीटों में से एक है, जहां इस बार कांटे की टक्कर देखने को मिलने वाली है. करैरा विधानसभा में कुल वोटर्स की संख्या लगभग 2 लाख 41 हजार है, जिसमें महिला वोटर्स की संख्या लगभग 1 लाख 11 हजार और पुरुष वोट लगभग 1 लाख 30 हजार हैं. गुना संसदीय क्षेत्र में आने वाली ये सीट 2008 के बाद से अनुसूचित जाति वर्ग के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है. जाटव और खटीक उम्मीदवारों की इस सीट पर पिछले दो विधानसभा चुनावों से कांग्रेस ने कब्जा कर रखा है. यहां बीजेपी का कब्जा भी रहा है, तो वहीं मायावती की बसपा ने भी पिछले चुनावों में इस सीट पर जीत दर्ज की है. अगर देखा जाए तो पिछले 7 विधानसभा चुनावों में इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस ने संयुक्त रूप से तीन-तीन बार जीत दर्ज की है. तो वहीं बसपा ने भी इस दौरान एक बार 2003 में जीत दर्ज की है.

पढ़ेंः किसकी सरकार ? 15 महीने में कांग्रेस ने कर दिया था प्रदेश को तबाह: सीएम शिवराज

2018 विधानसभा चुनाव पर एक नजर

अगर हम बात करें पिछले चुनाव की यानी 2018 में इस विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के राजकुमार खटीक और कांग्रेस के जसवंत जाटव के बीच मुकाबला था. कांग्रेस ने इस मुकाबले को 14 हजार 824 वोटों के बड़े अंतर से जीता था. हालांकि अब जसवंत जाटव बीजेपी में शामिल हो चुके हैं, ऐसे में कांग्रेस ने बसपा छोड़कर पार्टी में शामिल हुए प्रागीलाल जाटव को मैदान में उतारा है. जबकि बसपा ने संगठन की कमान संभालने वाले राजेंद्र जाटव पर भरोसा जताया है.

करैरा सीट का जातीय समीकरण

अनुसूचित जाति- करैरा विधानसभा शिवपुरी जिले की सीट है, जो अनूसुचित जाति के लिए आरक्षित है. करीब दो लाख से अधिक मतदाताओं वाली इस सीट पर 15 फीसदी से ज्यादा जाटव समाज के वोटर हैं. और यही हर चुनाव में हार-जीत का अंतर तय करते हैं.

ओबीसी - करैरा विधानसभा सीट पर ओबीसी जाति के वोटर्स भी काफी मात्रा में है. यहां लोधी समाज के 25 हजार वोटर्स, यादव समाज के 16 हजार वोटर्स, रावत समाज के 30 हजार वोटर्स, बघेल समाज के 20 हजार वोटर्स, कुशवाह समाज के 15 हजार वोटर्स, तो वहीं गुर्जर समाज के 13 हजार वोटर्स हैं. जो मिलकर 1 लाख से अधिक वोटर्स होते हैं. वहीं ओबीसी वोटर्स में एकता न होने के कारण वोट लगभग सभी जगह बंट जाते हैं.

पढ़ेंः किसकी सरकार ? कमलनाथ का तंज, कहा- शिवराज सिंह अच्छे एक्टर हैं, जाना चाहिए मुंबई

सामान्य- करैरा विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण और ठाकुर के 10-10 हजार से ज्यादा वोटर्स हैं. तो वहीं पिछड़ा वर्ग के वोटर्स की आबादी, कुल वोटर्स का एक तिहाई है. लेकिन अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने की वजह से इस सीट पर सामान्य और पिछड़ा वर्ग की नाराजगी बनी हुई है. साथ ही ये वोटर्स बसपा को वोट न करते हुए कांग्रेस और बीजेपी में बंट कर एक दूसरे के वोट काटते नजर आते हैं.

इसे भी पढ़ेंः 'भैया जी का अड्डा' : ग्वालियर पूर्व विधानसभा से दल बदल कर उतरे प्रत्याशी, जानें क्या है मतदाताओं की राय ?

सीट पर रोजगार और पानी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे

शिवपुरी और ग्वालियर जैसे बड़े नगरों के पास होने के बावजूद करैरा विधानसभा क्षेत्र बेहद पिछड़ा हुआ है. यहां रोजगार की बेहद कमी है जिस वजह से अन्य क्षेत्रों की तरह यहां का युवा वर्ग रोजगार की तलाश में है. बेरोजगारी के कारण क्षेत्र का युवा वोटर लम्बे समय से नेताओं से नाराज है. दूसरी ओर करैरा क्षेत्र में पानी की बड़ी समस्या है क्योंकि करैरा कृषि पर आधारित क्षेत्र है तो फसलों के लिए पानी और पीने के पानी की एक बड़ी समस्या है जोकि यहां के नागरिक के लिए बड़ा मुद्दा है. विकास में पीछे रहने की सबसे बड़ा कारण है भ्रष्टाचार जिसकी वजह शासन की विकास योजनाएं यहां तक पहुंच ही नहीं पाती हैं.

पूर्व विधायक ने बेचा हमारा वोट

वहीं विधानसभा के लोगों का कहना है कि हर बार हमारे यहां मंडी के लिए कहा जाता है आज तक मंडी नहीं बनी है लोग सड़क को ही मंडी बना लिए हैं, इस ओर किसी का ध्यान नहीं जाता है. वहीं विधानसभा के काफी लोग पूर्व विधायक जसवंत जाटव पर नाराज नजर आए हैं, लोगों का कहना है कि हमने जाटव पर भरोसा किया था लेकिन उन्होंने पार्टी से भी धोखा किया साथ ही हमारे वोट को बेचा है. ऐसे में करैरा विधानसभा के लोग कांग्रेस कैंडीडेट के की तरफ रुख करते दिखाई दे रहे हैं.

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