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वनरक्षक के सामने काटे जा रहे पेड़, जिम्मेदार अधिकारी नहीं कर रहे कार्रवाई

शिवपुरी जिले के रेंज परिसर में वनरक्षक खुद पेड़ों की कटाई करवा रहे हैं, जो एक अपराध है, लेकिन वन विभाग के अधिकारी वनरक्षक पर कार्रवाई करने की बजाय अपना पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं.

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Published : Aug 30, 2020, 7:15 PM IST

Forest guards are cutting down trees in shivpuri
वनरक्षक खुद पेड़ों की कटाई करवा रहे

शिवपुरी। जिले में वनों की अवैध कटाई जारी है और जिन लोगों पर रोक लगाने की जिम्मेदारी है, वो खुद अपनी आंखों के सामने वन कटवा रहे हैं. ऐसा काम शहर के बीचों बीच रेंज परिसर में स्थित वन विभाग की आवासीय कॉलोनी में किया जा रहा है. जहां खड़े हुए हरे-भरे वृक्षों को वहां रहने वाले वनरक्षक के द्वारा अपने निजी स्वार्थों के चलते कटवा दिया गया. जब नष्ट हुए इन वनों की शिकायत विभाग के ही जिम्मेदार रेंजर, मुख्य वन संरक्षक व डीएफओ से की गई तो वे इस मामले से पल्ला झाड़ते नजर आए. उन्हें वनरक्षक के द्वारा किए गए वनों के समूल नाश की परवाह ना करते हुए मामले को नगर पालिका शिवपुरी से जोड़कर बता दिया गया. जो कि एक जिम्मेदार अधिकारी का गैर जिम्मेदाराना रवैया कहा जा सकता है.

रेंज सीमा में काटे हरे-भरे वृक्ष
वन विभाग के जिम्मेदार वनरक्षक के सामने ही वनों का नाश हो रहा है. उसे यदि कोई रोके तो वह उन पर भी रौब झाड़कर अपना स्वार्थ पूर कर ले, इस तरह का रवैया अपनाया है शिवपुरी वनरक्षक ने. जिन्होंने वन विभाग की आवासी कॉलोनी में रहकर अपने ही सामने उन वनों को कटवा दिया, जिनके संरक्षण और सुरक्षा की जिम्मेदारी भी इन्हीें के हाथों में है. ऐसे में रेंज सीमा में खड़े हरे-भरे वृक्षों का काटा जाना एक ओर जहां वन अपराध की श्रेणी में आता है तो वहीं दूसरी ओर जिनके कंधों पर इनकी सुरक्षा का जिम्मा होता है, वह भी इसमें असल जिम्मेदार माने जा सकते हैं और वन अपराध के तहत उन पर भी कार्रवाई होना चाहिए.

अधिकारियों ने झाड़ा पल्ला

जब इस मामले को लेकर मीडियाकर्मी ने विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मुख्य वन संरक्षक वाय पी सिंह से मामले में प्रतिक्रिया लेनी चाहिए तो उन्होंने अपने ही अधीनस्थ वनरक्षक का पक्ष लिया और मामले को नगर पालिका से जोड़कर अपना पल्ला झाड़ लिया. वहीं दूसरी ओर डीएएफओ लवित भारती भी हैं, जिनके अधीन रेंजर होते हैं, ऐसे में इस तरह की शिकायत पर उन्होंने बजाए कोई कार्रवाई करने के मामले में प्रतिक्रिया तक देना में उचित नहीं समझा. इससे समझा जा सकता है कि कहीं ना कहीं आपसी सांठगांठ के चलते वन सीमा में खड़ें वनों की कटाई की गई है.

आखिर वनरक्षक को क्यों मिल रहा अभयदान ?
इस पूरे मामले में यदि कोई दोषी नजर आता है तो वह है वनरक्षक, लेकिन वन विभाग के इस वनरक्षक को विभाग के वरिष्ठ अधिकारी क्यों बख्सा चाहते हैं? यह समझ से परे है. जबकि वन सीमा में वन विभाग के जिम्मेदार रेंजर के सामने ही हरे-भरे पेड़ काट दिए गए. जिसके फोटोज भी साथ में दिख रहे हैं और जो लोग है, वह वनो की कटाई के बाद उसे ट्राली में डाल रहे हैं. इतना सब होने के बाद भी वनरक्षक को अभय दान देना कहीं ना कहीं विभाग के आपसी सांठगांठ का मामला है. सूत्रों की माने तो जिस वनरक्षक के सामने वनों की कटाई हुई है, वह वनरक्षक सीसीएफए ऑफिस में ही कार्यरत है. शायद यही कारण है उसे अभयदान दिया जा रहा है.

शिवपुरी। जिले में वनों की अवैध कटाई जारी है और जिन लोगों पर रोक लगाने की जिम्मेदारी है, वो खुद अपनी आंखों के सामने वन कटवा रहे हैं. ऐसा काम शहर के बीचों बीच रेंज परिसर में स्थित वन विभाग की आवासीय कॉलोनी में किया जा रहा है. जहां खड़े हुए हरे-भरे वृक्षों को वहां रहने वाले वनरक्षक के द्वारा अपने निजी स्वार्थों के चलते कटवा दिया गया. जब नष्ट हुए इन वनों की शिकायत विभाग के ही जिम्मेदार रेंजर, मुख्य वन संरक्षक व डीएफओ से की गई तो वे इस मामले से पल्ला झाड़ते नजर आए. उन्हें वनरक्षक के द्वारा किए गए वनों के समूल नाश की परवाह ना करते हुए मामले को नगर पालिका शिवपुरी से जोड़कर बता दिया गया. जो कि एक जिम्मेदार अधिकारी का गैर जिम्मेदाराना रवैया कहा जा सकता है.

रेंज सीमा में काटे हरे-भरे वृक्ष
वन विभाग के जिम्मेदार वनरक्षक के सामने ही वनों का नाश हो रहा है. उसे यदि कोई रोके तो वह उन पर भी रौब झाड़कर अपना स्वार्थ पूर कर ले, इस तरह का रवैया अपनाया है शिवपुरी वनरक्षक ने. जिन्होंने वन विभाग की आवासी कॉलोनी में रहकर अपने ही सामने उन वनों को कटवा दिया, जिनके संरक्षण और सुरक्षा की जिम्मेदारी भी इन्हीें के हाथों में है. ऐसे में रेंज सीमा में खड़े हरे-भरे वृक्षों का काटा जाना एक ओर जहां वन अपराध की श्रेणी में आता है तो वहीं दूसरी ओर जिनके कंधों पर इनकी सुरक्षा का जिम्मा होता है, वह भी इसमें असल जिम्मेदार माने जा सकते हैं और वन अपराध के तहत उन पर भी कार्रवाई होना चाहिए.

अधिकारियों ने झाड़ा पल्ला

जब इस मामले को लेकर मीडियाकर्मी ने विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मुख्य वन संरक्षक वाय पी सिंह से मामले में प्रतिक्रिया लेनी चाहिए तो उन्होंने अपने ही अधीनस्थ वनरक्षक का पक्ष लिया और मामले को नगर पालिका से जोड़कर अपना पल्ला झाड़ लिया. वहीं दूसरी ओर डीएएफओ लवित भारती भी हैं, जिनके अधीन रेंजर होते हैं, ऐसे में इस तरह की शिकायत पर उन्होंने बजाए कोई कार्रवाई करने के मामले में प्रतिक्रिया तक देना में उचित नहीं समझा. इससे समझा जा सकता है कि कहीं ना कहीं आपसी सांठगांठ के चलते वन सीमा में खड़ें वनों की कटाई की गई है.

आखिर वनरक्षक को क्यों मिल रहा अभयदान ?
इस पूरे मामले में यदि कोई दोषी नजर आता है तो वह है वनरक्षक, लेकिन वन विभाग के इस वनरक्षक को विभाग के वरिष्ठ अधिकारी क्यों बख्सा चाहते हैं? यह समझ से परे है. जबकि वन सीमा में वन विभाग के जिम्मेदार रेंजर के सामने ही हरे-भरे पेड़ काट दिए गए. जिसके फोटोज भी साथ में दिख रहे हैं और जो लोग है, वह वनो की कटाई के बाद उसे ट्राली में डाल रहे हैं. इतना सब होने के बाद भी वनरक्षक को अभय दान देना कहीं ना कहीं विभाग के आपसी सांठगांठ का मामला है. सूत्रों की माने तो जिस वनरक्षक के सामने वनों की कटाई हुई है, वह वनरक्षक सीसीएफए ऑफिस में ही कार्यरत है. शायद यही कारण है उसे अभयदान दिया जा रहा है.

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