शिवपुरी। अक्सर राजनीति में आने और संवैधानिक पद पर रहने के बाद लोग खुद को सम्पन्न तो कर ही लेते हैं, लेकिन जिले के कोलारस इलाके के रन्नौद की पूर्व सरपंच धनिया बाई अपने कार्यकाल के 5 साल पूरे करने के बाद आज भी जंगल से लकड़ी जमा कर, मेहनत-मजदूरी कर जीवन यापन कर रही हैं. रन्नौद की 5 साल सरपंच रहने के बावजूद धनिया बाई के पास एक पक्का मकान तक नहीं है. आलम यह है कि धनिया बाई बाई 60 वर्ष से अधिक उम्र की हैं, इसके बावजूद भी वह वृद्धा पेंशन से वंचित हैं. धनिया बाई एक आदिवासी समाज से आती हैं और उनके पति राम सिंह आदिवासी प्रति दिन मजदूरी करने जाते हैं, उन्हें 100 रोजाना रुपए मजदूरी मिलती है.
कभी किसी से रिश्वत नहीं मांगी: धनिया बाई
आदिवासी समाज की अन्य महिलाओं के साथ जंगल से सिर पर लकड़ियां लेकर आते हुए धनिया बाई बताती हैं कि जो लोग कभी उनके खास बनकर उनके आस-पास घूमते थे, अब वह सभी उनका साथ छोड़कर चले गए हैं. उन्होंने कहा कि वह अपने कार्यकाल के दौरान अधिकारियों से कहकर सबके काम करवा देती थी और इसके बदले न तो उन्होंने कभी किसी से कोई रुपया लिया, न कभी किसी काम के लिए रिश्वतखोरी की.
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आवास योजना के तहत 2016 में किया था मकान के लिए आवेदन
धनिया बाई अभी भी एक कच्चे मकान में रहती हैं, उन्होंने आवास योजना के तहत पक्के मकान के लिए 2016 में आवेदन दिया था, जो अब मीडिया में खबरें आने के बाद बनने जा रहा है. वहीं, धनिया बाई के परिवार में कुल 9 सदस्य हैं, जिसमें उनकी 3 बेटियों की शादी हो गई है.