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रिश्वत लेना पड़ा महंगा, कोर्ट ने 5 हजार रुपए के लिए पांच साल की सुनाई सजा

शिवपुरी जिले की चौकी खोड़ा पुलिस चौकी में प्रधान आरक्षक द्वारा रिश्वत लेने के मामले में न्यायालय ने फैसला सुनाया है. प्रधान आरक्षक ने फरियादी से जमानत की आड़ में रिश्वत मांगी थी.

Briber constable had to get expensive
प्रधान आरक्षक को रिश्वत लेना पड़ा महंगा
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Published : Apr 10, 2021, 2:05 PM IST

शिवपुरी। जिले में पांच साल पहले प्रधान आरक्षक पोपटलाल ने 5 हजार की रिश्वत ली थी, जिसे लोकायुक्त पुलिस ने रंगे हाथों गिरफ्तार किया था. शुक्रवार को न्यायालय में सुनवाई हुई, जिसमें प्रधान आरक्षक पोपटलाल को दोषी माना गया. दोषी साबित होने के बाद कोर्ट ने उसे पांच साल की सजा सुनाई है. साथ ही 12 हजार रुपए का अर्थदंड से भी दंडित किया है.

  • जमानत के लिए प्रधान आरक्षक ने मांगी थी रिश्वत

आवेदक रामप्रकाश के परिवार का झगड़ा लोधी परिवार से हो गया था. जिसकी रिपोर्ट दोनों पार्टियों के विरुद्ध सन् 2016 में पुलिस चौकी खोड़ में की गई थी. मामले में प्रधान आरक्षक पोपटलाल ने आवेदक पक्ष के लोगों को जमानत पर छोड़ने के लिए दस हजार रुपए की मांग की थी. जिसके बाद आवेदक ने लोकायुक्त पुलिस द्वारा दिये गए रिकॉर्डर में रिश्वत लेने की बात को रिकॉर्ड कर टीम को सौंप दिया था. 9 नवंबर 2016 को लोकायुक्त पुलिस आरोपी को पुलिस चौकी में पांच हजार रुपए रिश्वत लेते हुए, रंगे हाथों गिरफ्तार कर प्रकरण दर्ज किया था. जिसपर न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए आरोपी को सलाखों के पीछे भेज दिया है.

शिवपुरी। जिले में पांच साल पहले प्रधान आरक्षक पोपटलाल ने 5 हजार की रिश्वत ली थी, जिसे लोकायुक्त पुलिस ने रंगे हाथों गिरफ्तार किया था. शुक्रवार को न्यायालय में सुनवाई हुई, जिसमें प्रधान आरक्षक पोपटलाल को दोषी माना गया. दोषी साबित होने के बाद कोर्ट ने उसे पांच साल की सजा सुनाई है. साथ ही 12 हजार रुपए का अर्थदंड से भी दंडित किया है.

  • जमानत के लिए प्रधान आरक्षक ने मांगी थी रिश्वत

आवेदक रामप्रकाश के परिवार का झगड़ा लोधी परिवार से हो गया था. जिसकी रिपोर्ट दोनों पार्टियों के विरुद्ध सन् 2016 में पुलिस चौकी खोड़ में की गई थी. मामले में प्रधान आरक्षक पोपटलाल ने आवेदक पक्ष के लोगों को जमानत पर छोड़ने के लिए दस हजार रुपए की मांग की थी. जिसके बाद आवेदक ने लोकायुक्त पुलिस द्वारा दिये गए रिकॉर्डर में रिश्वत लेने की बात को रिकॉर्ड कर टीम को सौंप दिया था. 9 नवंबर 2016 को लोकायुक्त पुलिस आरोपी को पुलिस चौकी में पांच हजार रुपए रिश्वत लेते हुए, रंगे हाथों गिरफ्तार कर प्रकरण दर्ज किया था. जिसपर न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए आरोपी को सलाखों के पीछे भेज दिया है.

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