श्योपुर। महंगाई चरम सीमा पर है, लेकिन लंबे समय से बीड़ी बनाने का काम कर रही महिला मजदूरों की मजदूरी नहीं बढ़ाई गई है. इसके लिए उन्हें अपना और अपने परिवार का खर्च चलाने में भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. महिलाओं को महंगाई के इस दौर में भी 1100 बीड़ियां बनाने पर महज 100 रुपए मजदूरी दी जा रही है.
मजदूर महिलाएं सुबह से शाम तक 700 या 1000 बीड़ियां बना पाती हैं. बीड़ी कारखाना मालिक उसी हिसाब से उन्हें मजदूरी देता है, इस हिसाब से वह हफ्तेभर में सिर्फ 300 से 500 रुपए ही कमा पाती हैं. कई महिलाएं किराए के मकान में रह रही हैं, जिन्हें अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के खर्च से लेकर अन्य खर्च भी उठाने होते हैं, जिसके लिए महिलाएं ही नहीं बल्कि उनके घर-परिवार के अन्य सदस्य भी बीड़ी बनाने के काम में जुटे रहते हैं, तब कहीं मुश्किलों से वह अपने परिवार का गुजारा कर पाती हैं.
सरकार मनरेगा मजदूरों को 172 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी दे रही है, लेकिन बीड़ी कारखाने के संचालक इन्हें निर्धारित मजदूरी से आधी मजदूरी दे रहा है, जिसकी शिकायत भी महिलाओं ने कलेक्ट्रेट में की, लेकिन उनकी समसयाओं का कोई समाधान नहीं निकला.