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बीड़ी कारखाने में महिलाओं को मिल रही तय रकम से आधी मजदूरी, प्रशासन नहीं ले रहा सुध

बीड़ी कारखाने में काम कर रही महिला मजदूरों को बेहद कम मजदूरी दी जा रही है, फिर भी जिले के श्रम अधिकारी इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.

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महिला मजदूरों को मिल रही बेहद कम मजदूरी
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Published : Nov 29, 2019, 10:26 AM IST

Updated : Nov 29, 2019, 11:45 AM IST

श्योपुर। महंगाई चरम सीमा पर है, लेकिन लंबे समय से बीड़ी बनाने का काम कर रही महिला मजदूरों की मजदूरी नहीं बढ़ाई गई है. इसके लिए उन्हें अपना और अपने परिवार का खर्च चलाने में भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. महिलाओं को महंगाई के इस दौर में भी 1100 बीड़ियां बनाने पर महज 100 रुपए मजदूरी दी जा रही है.

महिला मजदूरों को मिल रही बेहद कम मजदूरी

मजदूर महिलाएं सुबह से शाम तक 700 या 1000 बीड़ियां बना पाती हैं. बीड़ी कारखाना मालिक उसी हिसाब से उन्हें मजदूरी देता है, इस हिसाब से वह हफ्तेभर में सिर्फ 300 से 500 रुपए ही कमा पाती हैं. कई महिलाएं किराए के मकान में रह रही हैं, जिन्हें अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के खर्च से लेकर अन्य खर्च भी उठाने होते हैं, जिसके लिए महिलाएं ही नहीं बल्कि उनके घर-परिवार के अन्य सदस्य भी बीड़ी बनाने के काम में जुटे रहते हैं, तब कहीं मुश्किलों से वह अपने परिवार का गुजारा कर पाती हैं.

सरकार मनरेगा मजदूरों को 172 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी दे रही है, लेकिन बीड़ी कारखाने के संचालक इन्हें निर्धारित मजदूरी से आधी मजदूरी दे रहा है, जिसकी शिकायत भी महिलाओं ने कलेक्ट्रेट में की, लेकिन उनकी समसयाओं का कोई समाधान नहीं निकला.

श्योपुर। महंगाई चरम सीमा पर है, लेकिन लंबे समय से बीड़ी बनाने का काम कर रही महिला मजदूरों की मजदूरी नहीं बढ़ाई गई है. इसके लिए उन्हें अपना और अपने परिवार का खर्च चलाने में भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. महिलाओं को महंगाई के इस दौर में भी 1100 बीड़ियां बनाने पर महज 100 रुपए मजदूरी दी जा रही है.

महिला मजदूरों को मिल रही बेहद कम मजदूरी

मजदूर महिलाएं सुबह से शाम तक 700 या 1000 बीड़ियां बना पाती हैं. बीड़ी कारखाना मालिक उसी हिसाब से उन्हें मजदूरी देता है, इस हिसाब से वह हफ्तेभर में सिर्फ 300 से 500 रुपए ही कमा पाती हैं. कई महिलाएं किराए के मकान में रह रही हैं, जिन्हें अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के खर्च से लेकर अन्य खर्च भी उठाने होते हैं, जिसके लिए महिलाएं ही नहीं बल्कि उनके घर-परिवार के अन्य सदस्य भी बीड़ी बनाने के काम में जुटे रहते हैं, तब कहीं मुश्किलों से वह अपने परिवार का गुजारा कर पाती हैं.

सरकार मनरेगा मजदूरों को 172 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी दे रही है, लेकिन बीड़ी कारखाने के संचालक इन्हें निर्धारित मजदूरी से आधी मजदूरी दे रहा है, जिसकी शिकायत भी महिलाओं ने कलेक्ट्रेट में की, लेकिन उनकी समसयाओं का कोई समाधान नहीं निकला.

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श्योपुर- मेंहगाई चरम सीमा पर है लेकिन लंबे समय से बीडी बनाने का काम कर रही महिला मजदूरों की मजदूरी नहीं बढ़ाई गई है। जिससे उन्हे अपना और अपने परिवार का खर्चा चलाने में भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।...देखिए यह रिपोर्ट...

Body:वीओ-1
बीडी कारखानों के लिए लंबे समय से बीडी बनाने का काम कर रही शहर के कई वार्डों की महिलाओं को मेंहगाई के इस दौर में भी 1100 बीडियां बनाने पर महज 100 रुपए मजदूरी दी जा रही है। जिससे उन्हे अपना और अपने परिवार का गुजारा करने में भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आलम यह है कि यह मजदूर महिलाएं सुबह से शाम तक बीडियां बनाती है तब मुश्किलों से 500 से 700 या 1000 बीडियां बना पाती है। बीड़ी कारखाना मालिक उसी हिसाब से उन्हे मजदूरी देता है। जिससे कई महिलाएं तो ऐसी है जो हप्ते भर में सिर्फ 300 से 500 रुपए ही कमा पाती है। जो उनकी मेंहनत की तुलना में बेहद कम है। क्योंकि कई महिलाएं किराए के मकान में रह रही है। जिन्हे अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के खर्चे से लेकर अन्य खर्चे भी उठाने होते है। जिसके लिए महिलाएं ही नहीं बल्कि उनके घर परिवार के अन्य सदस्य भी बीडी बनाने के काम में जुटे रहते है। तब कहीं मुश्किलों से वह अपने परिवार का गुजारा कर पाती है। सरकार मनरेगा मजदूरों को 172 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी दे रही है। लेकिन बीडी कारखाने संचालक इन मजदूरों को निर्धारित मजदूरी से आधी भी मजदूरी नहीं दे रहा है। जिसकी शिकायत भी यह मजदूर कलेक्ट्रेट में पहुंचकर जिले के अधिकारियों से कर चुकी है। लेकिन उनकी सुनवाई नहीं की जा रही है। जिससे वह परेशान है।

वीओ-2
श्रम कानून के हिसाब से भी इन महिला मजदूरों को बेहद कम मजदूरी दी जा रही है। फिर भी जिले के श्रम अधिकारी इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं कर रहे है। बीडी कारखाने में काम कर रही इन महिला मजदूरों का कहना है कि वह दिन-रात काम करती है तब मुश्किलों से दिन भर में 70 से 80 और ज्यादा से ज्याद 100 रुपए कमा पाती है। यह मजदूरी बेहद कम है। इसे बढ़ाया जाना चाहिए।
बाईट
प्रिया बाई मजदूर
कमलेश रैगर मजदूर
संतोष मजदूर
Conclusion:वीओ-3
बीडी कारखाने में काम कर रही महिला मजदूरों को मजदूरी के नाम पर इतनी कम मजदूरी दिए जाने को लेकर जिला प्रशासन के आला अधिकारियों से बात करने की कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी। जबकि सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता राजू तोमर का कहना है कि यह बात सही है कि मजदूरों को हकीकत में बेहद कम मजदूरी मिलती है, जिसके लिए हम प्रशासन और सीएम कमलनाथ से भी इस वारे में मांग करेंगे कि उन्हे उनका हक मिल सके।
बाईट
राजू तोमर प्रवक्ता कांग्रेस श्योपुर

वीओ-4
महिला मजदूरों को बेहद कम मजदूरी दिए जाने की जानकारी जिला प्रशासन के अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियो को भी है, फिर भी उनकी सुनवाई नहीं की जा रही है। अब देखना होगा कि खबर दिखाए जाने के बाद प्रशासन इस पर क्या एक्शन लेगा।

अमित शर्मा etv bharat श्योपुर
Last Updated : Nov 29, 2019, 11:45 AM IST
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