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घुटने भर कीचड़ के बीच निकाली अंतिम यात्रा, कंधे पर शव लिये लड़खड़ाते संभलते रहे ग्रामीण

श्योपुर के रामगावड़ी गांव तक पहुंचने के लिए वहां के ग्रामीणों को घुटने भर कीचड़-पानी वाली सड़क से रोजाना टकराना पड़ता है, फिर किसी भी आपात या अन्य स्थिति में भी गांव से बाहर जाने के लिए उसी जोखिम भरे रास्ते से टकराना पड़ता है.

कीचड़ के बीच निकाली अंतिम यात्रा
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Published : Sep 12, 2019, 5:15 PM IST

श्योपुर। प्रदेश में हो रही लगातार बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं. ज्यादातर जगहों पर तो हालात ऐसे हैं कि पानी में सड़क है या सड़क पर पानी है, जबकि कई जगह तो मुक्ति धाम तक जाने के लिए भी रास्ता मयस्सर नहीं है, श्मशान तक जाने वाला रास्ता बारिश के चलते नाले में तब्दील हो चुका है, जहां लोग घुटने भर कीचड़ के बीच संभलते लड़खड़ाते शव लेकर श्मशान जा रहे हैं.

कीचड़ के बीच निकाली अंतिम यात्रा


जिले के रामगावड़ी गांव में सड़क नहीं होने के चलते ग्रामीणों को घुटने भर कीचड़-पानी के बीच से शव यात्रा निकालनी पड़ी. कलेक्टर को कई बार ज्ञापन सौंपने के बावजूद हालात में कोई सुधार अब तक नहीं हुआ. बुधवार देर रात ग्रामीण काशीराम की मौत हो गई थी, अंतिम संस्कार के लिए शव ले जाते वक्त ग्रामीणों को घुटने भर कीचड़-पानी वाले रास्ते से गुजरना पड़ा, तब जाकर दाह संस्कार किया जा सका.


कीचड़ वाला नाला बन चुके रास्ते से ही ग्रामीणों को हाट-बाजार हो या किसी बीमार को अस्पताल ले जाना हो, या फिर प्रसव के लिए महिला को अस्पताल ले जाना हो, हर काम के लिए बस यही एक ही रास्ता है, जिस पर चलने का मतलब खुद से आफत खरीदना है. बावजूद इसके लोग इसी रास्ते से टकराकर अपने मंजिल तक पहुंचते हैं क्योंकि गांव तक पहुंचने के लिए दूसरा कोई और रास्ता नहीं है.


ग्रामीणों ने वर्तमान कांग्रेस विधायक बाबू जंडेल को भी इस परेशानी से अवगत कराया था, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात जैसे ही रह गये.

श्योपुर। प्रदेश में हो रही लगातार बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं. ज्यादातर जगहों पर तो हालात ऐसे हैं कि पानी में सड़क है या सड़क पर पानी है, जबकि कई जगह तो मुक्ति धाम तक जाने के लिए भी रास्ता मयस्सर नहीं है, श्मशान तक जाने वाला रास्ता बारिश के चलते नाले में तब्दील हो चुका है, जहां लोग घुटने भर कीचड़ के बीच संभलते लड़खड़ाते शव लेकर श्मशान जा रहे हैं.

कीचड़ के बीच निकाली अंतिम यात्रा


जिले के रामगावड़ी गांव में सड़क नहीं होने के चलते ग्रामीणों को घुटने भर कीचड़-पानी के बीच से शव यात्रा निकालनी पड़ी. कलेक्टर को कई बार ज्ञापन सौंपने के बावजूद हालात में कोई सुधार अब तक नहीं हुआ. बुधवार देर रात ग्रामीण काशीराम की मौत हो गई थी, अंतिम संस्कार के लिए शव ले जाते वक्त ग्रामीणों को घुटने भर कीचड़-पानी वाले रास्ते से गुजरना पड़ा, तब जाकर दाह संस्कार किया जा सका.


कीचड़ वाला नाला बन चुके रास्ते से ही ग्रामीणों को हाट-बाजार हो या किसी बीमार को अस्पताल ले जाना हो, या फिर प्रसव के लिए महिला को अस्पताल ले जाना हो, हर काम के लिए बस यही एक ही रास्ता है, जिस पर चलने का मतलब खुद से आफत खरीदना है. बावजूद इसके लोग इसी रास्ते से टकराकर अपने मंजिल तक पहुंचते हैं क्योंकि गांव तक पहुंचने के लिए दूसरा कोई और रास्ता नहीं है.


ग्रामीणों ने वर्तमान कांग्रेस विधायक बाबू जंडेल को भी इस परेशानी से अवगत कराया था, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात जैसे ही रह गये.

Intro:एंकर
श्योपुर-श्योपुर की ग्राम रामगावड़ी में आने जाने के लिए सड़क न होने पर गड्ढे कीचड़ ओर पानी मे होकर सव यात्रा निकालनी पड़ी उन्हें आये दिन जान जोखिम में डाल कर गांव की मेंन सड़क से गुजरना पड़ता है लेकिन जिला अधिकारी और जन प्रतिनिधि ग्रामीणों की इस समस्या की ओर ध्यान तक नही देरहे है।देखिये ये रिपोर्ट.....


Body:वीओ-1
मानवता को सर्मसर कर देने बाली यह तस्बीर श्योपुर जिले के रामगावड़ी गांव की है बुधवार देर रात को ग्रामीण कासीराम पुत्र सरिया बेराव की मौत हो गई गांव का शांतिधाम गांव से बाहर बना है इस बजह से ग्रामीणों को सव का अंतिम संस्कार करने के लिए जान का जोखिम कीचड़ ओर पानी मे होकर मृतक की अर्थी निकालनी पड़ी इस तस्वीर से साफ तौर पर देखा जा सकता है कि किस तरह से ग्रामीणों ने अर्थी को कांधे पर रख कर शांति धाम तक लेगये ग्रामीणों के लिए यह पहली बार नही है जब उन्हें बाजार और गर्वबती महिलाओ लेने लेजाने के लिए इस रास्ते से आना जाना पड़ता हैं।Conclusion:
वीओ-2
ग्रामीणों के द्वारा पूछने पर बताया गया कि कई बार कलेक्टर जान सुनबाई में ज्ञापन सोपा ओर बर्तमान बिधायक बाबू जंडेल से सांसद को भी बताया लेकिन फिर भी कोई सुध लेने बाला नही।
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