श्योपुर। मध्यप्रदेश के पिछड़े जिलों में शुमार श्योपुर जिला यूं तो कुपोषण का बदनुमा दाग झेल रहा है, लेकिन पर्यटन संपदा के लिए लिहाज से श्योपुर अपने आप में काफी परिपूर्ण है. यही नहीं अप्रत्यक्ष रूप से बने देश के एक बड़े टूरिज्म कॉरीडोर की कड़ी भी श्योपुर बना हुआ है.
श्योपुर जिले में कूनो राष्ट्रीय उद्यान और राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभ्यारण के साथ दिल्ली से प्रवेश करने वाले पर्यटक को राजस्थान के भरतपुर केवलादेव पक्षी अभ्यारण करौली कैला देवी अभ्यारण समेत श्योपुर जिले से गुजरने के बाद शिवपुरी, ग्वालियर, खजुराहो जैसे बड़े पर्यटन केंद्रों तक पहुंचा जा सकता है. इको टूरिज्म के अलावा श्योपुर में ऐतिहासिक धरोहरों के पर्यटन की भी अपार संभावनाएं हैं. श्योपुर के किला अपने आप में अद्वितीय है.
श्योपुर जिले को विश्व पर्यटन के मानचित्र पर प्रदर्शित करने के लिए कूनो पालपुर वन्यजीव अभयारण्य पूरी तरह से तैयार है. हालांकि अभी यहां एशियाई सिंह आना रह गया है. वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय चंबल घडियाल अभयारण्य भी श्योपुर से ही शुरू होता है. हालांकि ये अभयारण्य भिंड जिले तक है, लेकिन जिले की सीमा में भी चंबल अभयारण्य में देशी और विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.
इतना ही नहीं कूनो में प्रस्तावित गुजरात के गिर अभ्यारण के बब्बर शेर नहीं भेजे जाने और मध्य प्रदेश के पर्यटन पोर्टल पर श्योपुर के पर्यटन स्थलों की जानकारी उपलब्ध नहीं होने की वजह से श्योपुर के पर्यटन स्थलों में पयर्टक नहीं बढ़ पा रहा है.