श्योपुर। जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर कोटरा गांव है, जहां खुले आसमान के नीचे बच्चों को अक्षरों का ज्ञान राम रेस मीणा दे रहे हैं, इनका कहना है कि कोरोना के कहर के चलते पूरे देश में कई स्कूल-कॉलेज बंद हैं, जिन बच्चों के पास सुविधा नहीं है, वो बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई भी नहीं कर पा रहे हैं, ऐसे में गरीब बच्चे पढ़ाई से वंचित न रह जाएं, इसके लिए रामरेस मीणा ने बच्चों को शुल्क शिक्षा देने का बीड़ा उठाया है. वह गांव के बच्चों को प्रतिदिन 2 घंटे शिक्षा दे रहे हैं.
रामरेस मीणा 3 साल से अतिथि शिक्षक के रूप में भी छात्रों के लिए अपनी सेवाएं दे रहे थे, लेकिन इस साल वैश्विक महामारी के कारण स्कूल और कॉलेज बंद हो जाने की वजह से छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो इस वजह से उन्होंने छात्रों को लॉकडाउन में भी मास्क लगाकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए, शिक्षा देने का काम कर रहे हैं और छात्रों के उज्जवल भविष्य की कामना भी करते हैं. इतना ही नहीं रामरेस छात्रों को तो पढ़ा ही रहे हैं, लेकिन उसके साथ-साथ खुद भी वह सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं.
निशुल्क शिक्षा दे रहे शिक्षक से जब ईटीवी भारत ने बात की तो उनका कहना है, कि महामारी के कारण स्कूल कॉलेज सभी बंद हो गए थे, तो इस वजह से हमने सोचा कि हमारे गांव के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसे देखते हुए वह 4 महीने से छात्रों को निशुल्क शिक्षा दे रहे हैं और कामना करते हैं कि बच्चे आगे पढ़कर कुछ बनकर दिखाएं. जिससे उनका और गांव का हो सके. मीणा ने 3 साल अतिथि शिक्षक के रूप में भी अपना योगदान दिया है. अब छात्रों को शिक्षा देने के साथ-साथ, वह खुद भी सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं.
रामरेस मीणा बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने के अभियान में लगातार जुटे हुए हैं. उन्होंने गांव के 35 से 40 बच्चों को अपनी ओर से कोरोना संक्रमण से बचने के लिए मास्क वितरण किए. गांव के सभी बच्चों को हनुमान मंदिर परिसर में प्रतिदिन 2 घंटे निशुल्क शिक्षा देने का अभियान चला रहे हैं, उसका यह अभियान लगभग 4 महीने से चल रहा है. गांव की इस युवक ने निशुल्क शिक्षा अभियान से बच्चों में भी काफी उत्साह है, वह समय पर हाजिर होकर पूरे मन से पढ़ाई कर रहे हैं.
इस मामले में जब ईटीवी भारत ने छात्रों से बात की तो उन्होंने बताया कि बीते 4 महीने से स्कूल बंद होने के कारण हमारी पढ़ाई प्रभावित ना हो, इस वजह से हमारे सर हमें प्रतिदिन शिक्षा देते हैं, जिससे हमारी पढ़ाई प्रभावित नहीं हो रही है.
तो वहीं छात्रों के परिजनों का कहना है कि इस महामारी के कारण स्कूल कॉलेज सभी बंद हो गए थे. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई पर खासा असर पड़ रहा था. लेकिन रामवीर ने एक मानवता की मिसाल पेश करते हुए गांव के सभी बच्चों को इस लॉक डाउन के संकट में पढ़ाने का बीड़ा उठाया और लगातार निशुल्क अपनी सेवाएं दे रहे हैं. ऐसे में रामरेस की जितनी तारीफ की जाए उतनी ही कम होगी.