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Kuno cheeta जानें कौन है पीएम मोदी की इंडिया की 'आशा', साशा ने चहलकदमी करके इलाके को स्कैन किया

सत्तर साल बाद भारतीय धरती पर चीतों के आने की चर्चा चारो ओर हो रही है. वहीं इनके संरक्षण को लेकर इनके साथ आयी टीम के लिए उन्हें मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में बसाना कड़ी चुनौती है. CCF की फाउंडर डॉ. लॉरी मार्कर का मानना है कि भारत इसमें सफल होगा. साथ ही उन्होंने यह भी संदेश दिया कि हम चीतों को बचाकर दुनियां बदल सकते हैं. पीएम मोदी ने मादा चीता का नाम इस उम्मीद से 'आशा' रखा है कि, देश में शीघ्र चीतों के वंश में वृद्धि होगी. (Sheopur Kuno first day of cheetahs on Indian soil) (pm names kuno cheeta asha of india) (Cheetah Asha)

Sheopur Kuno first day of cheetahs on Indian soil
कूनो भारतीय धरती पर चीतों का पहला दिन शांति से गुजरा
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Published : Sep 18, 2022, 7:44 PM IST

Updated : Sep 18, 2022, 10:07 PM IST

श्योपुर। नामीबिया से भारत की धरती मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में लाए गए आठ चीतों ने अपना पहला दिन बड़ी शांति के साथ बिताया. जिसमें से एक बिग कैट यानी मादा चीता घास पर कदम रखती है. फिर दौड़ती हैं और आसपास के इलाकों को स्कैन करती हैं. उसकी चाल, हावभाव को देखकर ऐसा लग रहा था कि मानों वह कुछ जानने पहचानने की कोशिश कर रही हो. अन्य चीतों ने भी शांति के साथ चहलकदमी की. हालांकि किसी ने भी अभी अपनी वो रफ्तार नहीं दिखायी जिसके लिए चीते जाने जाते हैं. चीतों के साथ आयी टीम का मानना है कि इन्हें माहौल में ढलने में कुछ वक्त लग सकता है. एक बार माहौल में ढल जाने के बाद फिर ये अपनी रफ्तार दिखायेंगे. अभी चीतों को करीब एक माह के लिए अलग अलग बाड़ों में रखा गया है. इसके बाद इन्हें एक साथ कूनो के अभ्यारण में छोड़ दिया जाएगा. (Sheopur Kuno first day cheetahs passed peacefully) (pm names kuno cheeta asha of india) (Cheetah Asha

चीता कंजरवेशन फंड की फाउंडर और एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. लॉरी मार्कर

मोदी ने एक मादा चीता का नाम रखा आशाः पांच मादा चीताें में से एक को अब आशा नाम से पुकारा जाएगा. यह नाम स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुझाया था. जिन्होंने 17 सितंबर को कूनो में तीन चीतों को बाड़े में छोड़कर 70 साल के इंतजार को खत्म किया था. लगभग चार साल की आशा को चीता संरक्षण कोष (CCF) में लाए जाने के बाद कोई नाम नहीं दिया गया. इसलिए नामीबिया और सीसीएफ ने जन्मदिन के उपहार के रूप में पीएम मोदी के लिए मादा चीता का नामकरण करने का अवसर आरक्षित कर दिया था. (Sheopur Kuno Modi named a female cheetah Asha)

Sheopur Kuno first day cheetahs passed peacefully
कूनो नेशनल पार्क में चीतों को बसाना कड़ी चुनौती है

Cheetah Project देखिए नामीबिया से आईं Super Exclusive तस्वीरें, भारत आने के लिए कैसे हुआ चीतों का सिलेक्शन

जाने नामीबिया से आये मेहमानों के नामः एक अन्य मादा चीता दक्षिण-पूर्वी नामीबिया की दो साल की सियाया हैं. यह सितंबर 2020 से सीसीएफ में थीं. एक अन्य मादा चीता 2.5 वर्षीय बिल्सी का जन्म अप्रैल 2020 में नामीबिया के दक्षिण-पूर्वी शहर ओमरुरु में एरिंडी प्राइवेट गेम रिजर्व में हुआ था. सबसे पुरानी और वरिष्ठ पांच साल की मादा चीता है. इसका नाम साशा है, जो सवाना की करीबी दोस्त है. सवाना उत्तर-पश्चिमी नामीबिया की एक मादा चीता. (Sheopur Kuno first day of cheetahs on Indian soil)

Sheopur Kuno Modi named a female cheetah Asha
कूनो मोदी ने एक मादा चीता का नाम रखा आशाः

क्या कहतीं हैं डॉ लॉरी मार्करः चीता कंजरवेशन फंड की फाउंडर और एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. लॉरी मार्कर ने कहा कि चीतों को भारत में बसने में पांच, दस या उससे भी ज्यादा का समय लग सकता है. जहां से एक बार कोई जानवर की प्रजाति समाप्त हो जाती है तो उसे दोबारा बसाना काफी मुश्किल होता है. हम कोशिश कर रहे हैं. हमें बहुत मेहनत करनी होगी. इसीलिए अभी यह चीते कुछ दिनों हमारी निगरानी में रहने वाले हैं. उन्होंने संदेश दिया है कि हम चीतों को बचाकर दुनिया को बदल सकते हैं. हम काफी लंबी यात्रा करके आये हैं इसलिए थके हुए हैं. इससे भी बड़ी बात यह है भारत स्वतंत्रता का 75वां, आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. इस अवसर नामीबिया सरकार की ओर से यह भारत सरकार को दिया गया नायाब तोहफा है. भारत 70 साल बाद चीतों को दोबारा बसाने जा रहा है. हमें उम्मीद है कि भारत इसमें जरूर सफल होगा. (Kuno Sasha took a stroll and scanned the area) (pm names kuno cheeta asha of india) (Cheetah Asha

श्योपुर। नामीबिया से भारत की धरती मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में लाए गए आठ चीतों ने अपना पहला दिन बड़ी शांति के साथ बिताया. जिसमें से एक बिग कैट यानी मादा चीता घास पर कदम रखती है. फिर दौड़ती हैं और आसपास के इलाकों को स्कैन करती हैं. उसकी चाल, हावभाव को देखकर ऐसा लग रहा था कि मानों वह कुछ जानने पहचानने की कोशिश कर रही हो. अन्य चीतों ने भी शांति के साथ चहलकदमी की. हालांकि किसी ने भी अभी अपनी वो रफ्तार नहीं दिखायी जिसके लिए चीते जाने जाते हैं. चीतों के साथ आयी टीम का मानना है कि इन्हें माहौल में ढलने में कुछ वक्त लग सकता है. एक बार माहौल में ढल जाने के बाद फिर ये अपनी रफ्तार दिखायेंगे. अभी चीतों को करीब एक माह के लिए अलग अलग बाड़ों में रखा गया है. इसके बाद इन्हें एक साथ कूनो के अभ्यारण में छोड़ दिया जाएगा. (Sheopur Kuno first day cheetahs passed peacefully) (pm names kuno cheeta asha of india) (Cheetah Asha

चीता कंजरवेशन फंड की फाउंडर और एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. लॉरी मार्कर

मोदी ने एक मादा चीता का नाम रखा आशाः पांच मादा चीताें में से एक को अब आशा नाम से पुकारा जाएगा. यह नाम स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुझाया था. जिन्होंने 17 सितंबर को कूनो में तीन चीतों को बाड़े में छोड़कर 70 साल के इंतजार को खत्म किया था. लगभग चार साल की आशा को चीता संरक्षण कोष (CCF) में लाए जाने के बाद कोई नाम नहीं दिया गया. इसलिए नामीबिया और सीसीएफ ने जन्मदिन के उपहार के रूप में पीएम मोदी के लिए मादा चीता का नामकरण करने का अवसर आरक्षित कर दिया था. (Sheopur Kuno Modi named a female cheetah Asha)

Sheopur Kuno first day cheetahs passed peacefully
कूनो नेशनल पार्क में चीतों को बसाना कड़ी चुनौती है

Cheetah Project देखिए नामीबिया से आईं Super Exclusive तस्वीरें, भारत आने के लिए कैसे हुआ चीतों का सिलेक्शन

जाने नामीबिया से आये मेहमानों के नामः एक अन्य मादा चीता दक्षिण-पूर्वी नामीबिया की दो साल की सियाया हैं. यह सितंबर 2020 से सीसीएफ में थीं. एक अन्य मादा चीता 2.5 वर्षीय बिल्सी का जन्म अप्रैल 2020 में नामीबिया के दक्षिण-पूर्वी शहर ओमरुरु में एरिंडी प्राइवेट गेम रिजर्व में हुआ था. सबसे पुरानी और वरिष्ठ पांच साल की मादा चीता है. इसका नाम साशा है, जो सवाना की करीबी दोस्त है. सवाना उत्तर-पश्चिमी नामीबिया की एक मादा चीता. (Sheopur Kuno first day of cheetahs on Indian soil)

Sheopur Kuno Modi named a female cheetah Asha
कूनो मोदी ने एक मादा चीता का नाम रखा आशाः

क्या कहतीं हैं डॉ लॉरी मार्करः चीता कंजरवेशन फंड की फाउंडर और एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. लॉरी मार्कर ने कहा कि चीतों को भारत में बसने में पांच, दस या उससे भी ज्यादा का समय लग सकता है. जहां से एक बार कोई जानवर की प्रजाति समाप्त हो जाती है तो उसे दोबारा बसाना काफी मुश्किल होता है. हम कोशिश कर रहे हैं. हमें बहुत मेहनत करनी होगी. इसीलिए अभी यह चीते कुछ दिनों हमारी निगरानी में रहने वाले हैं. उन्होंने संदेश दिया है कि हम चीतों को बचाकर दुनिया को बदल सकते हैं. हम काफी लंबी यात्रा करके आये हैं इसलिए थके हुए हैं. इससे भी बड़ी बात यह है भारत स्वतंत्रता का 75वां, आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. इस अवसर नामीबिया सरकार की ओर से यह भारत सरकार को दिया गया नायाब तोहफा है. भारत 70 साल बाद चीतों को दोबारा बसाने जा रहा है. हमें उम्मीद है कि भारत इसमें जरूर सफल होगा. (Kuno Sasha took a stroll and scanned the area) (pm names kuno cheeta asha of india) (Cheetah Asha

Last Updated : Sep 18, 2022, 10:07 PM IST

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