श्योपुर। मामला जिला मुख्यालय से 150 किलोमीटर दूर विजयपुर के सामुदायिक अस्पताल का है. जहां गुरुवार से दो दिवसीय महिला नसबंदी शिविर आयोजित किया गया. शिविर में गुरुवार को 77 महिलाओं की नसबंदी की गई. शुक्रवार सुबह11 बजे तक 17 महिलाओं की नसबंदी हो चुकी है. हैरान कर देने वाली बात है कि इस शिविर में महिलाओं को लिटाने के लिए न तो बेड हैं, न ही उन्हें लाने व ले जाने के लिए स्ट्रेचर और एंबुलेंस के इंतजाम. इन हालातों में महिलाओं को जमीन पर लिटाकर उनकी नसबंदी की जा रही है.
स्ट्रेचर तक नहीं मिला : स्ट्रेचर नहीं होने की वजह से नसबंदी कराने वाली महिलाओं को उनके महिला और पुरुष परिजन हाथ-पैर पकड़ कर और गोदी में उठाकर गाड़ियों तक पहुंचा रहे हैं. इस खींचतान में महिलाओं को चोट भी लग सकती है और उनकी जान को भी जोखिम हो सकता है लेकिन, जिम्मेदारों को उनकी जान से ज्यादा सिर्फ टारगेट पूरा करने की परवाह है. नसबंदी शिविर में विजयपुर अस्पताल में बेड के इंतजाम नहीं होने की वजह से महिलाओं को जमीन पर लिटाया गया. इस दौरान उनके लिए गद्दा -रजाई तक के इंतजाम नहीं किए गए. इस वजह से महिलाएं ठंड से ठिठुरते रहीं. बाद में परेशान परिजनों ने किराए पर कंबल आदि के इंतजाम करके जमीन पर पड़ी महिलाओं को कंबल उड़ाए.
अंधेरे में होता रहा महिलाओं का उपचार : गुरुवार रात बिजली नहीं होने की वजह से अंधेरे में महिलाओं का उपचार किया गया. विजयपुर की नसबंदी शिविर में श्योपुर से आए दो डॉक्टर दिन-रात नसबंदी करने में जुटे हैं. यानि यह कहा जा सकता है कि वह नियमों से ऊपर हटकर और अपनी कैपेसिटी से भी कई गुना ज्यादा नसबंदी कर चुके हैं. महिलाओं के परिजनों का कहना है कि यहां व्यवस्था के नाम पर कोई इंतजाम नहीं हैं. महिलाओं को जमीन पर लिटाया जा रहा है, स्ट्रेचर तक नहीं हैं. बहुत परेशानी आ रही है. इस बारे में सीएमएचओ डॉ. बीएल यादव से कई बार बात करने की कोशिश की लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका है क्योंकि, वह नसबंदी करने में व्यस्त हैं.