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Kuno Cheetah: नामीबियाई चीतों ने अपना पहला शिकार किया, हिरण को बनाया निशाना

मध्यप्रदेश के श्योपुर जिला स्थित कूनो नेशनल पार्क में दक्षिण अफ्रीका के नामीबिया से लाए गए चीते अब यहां के माहौल में ढल गए हैं. कूनो में इनके आने से रौनक बढ़ गई है. अब ये चीते कूनो में शिकार भी करने लगे हैं. दो चीतों ने रविवार को एक हिरण का शिकार किया.

Namibian cheetas make their first hunt
नामीबियाई चीतों ने कूनो पार्क में अपना पहला शिकार किया
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Published : Mar 13, 2023, 3:17 PM IST

श्योपुर (Agency, ANI)। कूनो नेशनल पार्क में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीते अब यहां के माहौल में रमने लगे हैं. कूनो में हाल ही में दक्षिण अफ्रीका से दूसरी किस्त में 12 चीते आए हैं. एक नर चीता ओबन और एक मादा चीता आशा को कूनो नेशनल पार्क के खुले जंगल में छोड़ दिया गया. इन्होंने 24 घंटे के भीतर चीतल (हिरण) का शिकार किया है. श्योपुर डीएफओ प्रकाश कुमार वर्मा ने बताया कि दोनों जंगल के वातावरण में विलीन हो रहे हैं. चीतों को कूनो का वातावरण पसंद आ रहा है. डीएफओ ने बताया कि जंगल में चीतों के शिकार के लिए पर्याप्त जानवर हैं. पानी की व्यवस्था भी सुचारू है. मंडल वन अधिकारी प्रकाश कुमार वर्मा ने बताया कि नर चीता ओबान को कल सुबह और मादा चीता आशा को शाम को खुले जंगल में छोड़ दिया गया था.

चीता प्रोजेक्ट के तहत आए मेहमान : बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल दिसंबर में मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में आठ चीतों को छोड़ा था. साल 1952 में चीतों को भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था, लेकिन 8 चीतों (5 मादा और 3 नर) को अफ्रीका के नामीबिया से 'प्रोजेक्ट चीता' के हिस्से के रूप में लाया गया था. देश के वन्य जीवन और आवास को पुनर्जीवित करने और विविधता लाने के लिए सरकार के प्रयास के तहत ये कदम उठाया गया है. इन आठ चीतों को अंतर-महाद्वीपीय चीता स्थानान्तरण परियोजना के हिस्से के रूप में ग्वालियर में एक मालवाहक विमान में लाया गया था. इसके बादभारतीय वायु सेना के हेलिकॉप्टरों ने चीतों को ग्वालियर वायु सेना स्टेशन से कूनो राष्ट्रीय उद्यान तक पहुंचाया था. इसके बाद दूसरी किस्त में हाल ही में 12 और चीते आए हैं.

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जैव विविधता को संरक्षित करने में मदद : वन अधिकारियों का कहना है कि चीता भारत में खुले जंगल और चरागाह पारिस्थितिक तंत्र की बहाली में मदद करेगा और जैव विविधता को संरक्षित करने और जल सुरक्षा, कार्बन प्रच्छादन और मिट्टी की नमी संरक्षण जैसी पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बढ़ाने में मदद करेगा. भारत सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना चीता के तहत प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) के दिशा-निर्देशों के अनुसार जंगली प्रजातियों विशेष रूप से चीतों का पुनरुत्पादन किया गया था. बता दें कि भारत में वन्यजीव संरक्षण का एक लंबा इतिहास रहा है. सबसे अधिक में से एक सफल वन्यजीव संरक्षण उपक्रम 'प्रोजेक्ट टाइगर', जिसे 1972 में बहुत पहले शुरू किया गया था.

श्योपुर (Agency, ANI)। कूनो नेशनल पार्क में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीते अब यहां के माहौल में रमने लगे हैं. कूनो में हाल ही में दक्षिण अफ्रीका से दूसरी किस्त में 12 चीते आए हैं. एक नर चीता ओबन और एक मादा चीता आशा को कूनो नेशनल पार्क के खुले जंगल में छोड़ दिया गया. इन्होंने 24 घंटे के भीतर चीतल (हिरण) का शिकार किया है. श्योपुर डीएफओ प्रकाश कुमार वर्मा ने बताया कि दोनों जंगल के वातावरण में विलीन हो रहे हैं. चीतों को कूनो का वातावरण पसंद आ रहा है. डीएफओ ने बताया कि जंगल में चीतों के शिकार के लिए पर्याप्त जानवर हैं. पानी की व्यवस्था भी सुचारू है. मंडल वन अधिकारी प्रकाश कुमार वर्मा ने बताया कि नर चीता ओबान को कल सुबह और मादा चीता आशा को शाम को खुले जंगल में छोड़ दिया गया था.

चीता प्रोजेक्ट के तहत आए मेहमान : बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल दिसंबर में मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में आठ चीतों को छोड़ा था. साल 1952 में चीतों को भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था, लेकिन 8 चीतों (5 मादा और 3 नर) को अफ्रीका के नामीबिया से 'प्रोजेक्ट चीता' के हिस्से के रूप में लाया गया था. देश के वन्य जीवन और आवास को पुनर्जीवित करने और विविधता लाने के लिए सरकार के प्रयास के तहत ये कदम उठाया गया है. इन आठ चीतों को अंतर-महाद्वीपीय चीता स्थानान्तरण परियोजना के हिस्से के रूप में ग्वालियर में एक मालवाहक विमान में लाया गया था. इसके बादभारतीय वायु सेना के हेलिकॉप्टरों ने चीतों को ग्वालियर वायु सेना स्टेशन से कूनो राष्ट्रीय उद्यान तक पहुंचाया था. इसके बाद दूसरी किस्त में हाल ही में 12 और चीते आए हैं.

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