श्योपुर। मध्यप्रदेश में कुपोषण की समस्या खत्म करने के लिए हर साल करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं. इसके बाद भी हालात में सुधार नहीं हो रहा है. जब कुपोषण से मौत हो जाती है तो प्रशासन इसे छुपाने का प्रयास करता है. श्योपुर जिला अस्पताल में एक और कुपोषित बच्ची की मौत हो गई. मौत को छुपाने के लिए जिम्मेदारों ने अलसुबह किसी को भनक नहीं लगने दी और मृत बच्ची के शव को उसके गांव पहुंचा दिया.
तीन दिन पहले किया था भर्ती : जब इस मामले की खबर मीडिया को लगी तो जिम्मेदार सफाई देते नजर आ रहे हैं. बताया गया है कि डेढ़ साल की मासूम बालिका देवकी आदिवासी का वजन 10 किलोग्राम से ऊपर होना चाहिए था. लेकिन, कुपोषण से ग्रसित होने की वजह से उसके शरीर का वजन महज पौने 4 किलो ही था. उसे उपचार और पोषण के लिए पिछले 8 अगस्त को जिला अस्पताल की एनआरसी केंद्र में भर्ती कराया गया था. कुपोषण की वजह से बच्ची की हालत ज्यादा नाजुक हो गई थी. इस वजह से गुरुवार की अलसुबह उसकी मौत हो गई.
जिम्मेदारों से जवाब देते नहीं बन रहा : परिजनों का कहना है कि बच्ची पिछले तीन-चार दिनों से जिला अस्पताल की एनआरसी में भर्ती थी. वह कुपोषित थी. इस बारे में सीएमएचओ डॉ. बीएल यादव से बात की गई तो उन्होंने बच्ची की मौत को कुपोषण से होने की बात को सीधा स्वीकार तो नहीं किया लेकिन वह बच्ची को कुपोषण के दायरे में होने की बात स्वीकार करते हुए सफाई देते रहे. ऐसे में जिम्मेदार अधिकारी भले ही बहानेबाजी करें लेकिन, हकीकत यही है कि कुपोषण का कलंक आज भी जिले के माथे से मिटा नहीं है.
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श्योपुर जिले में कुपोषण : बता दें कि श्योपुर जिले में पिछले सालों तक 20,000 से ज्यादा बच्चे कुपोषण से ग्रसित थे. इनमें से करीब 4000 बच्चे अतिकुपोषित थे. अब महिला एवं बाल विकास विभाग ने नए आंकड़े पेश करके जिले से कुपोषण लगभग गायब कर दिया है. लेकिन डेढ़ साल की इस मासूम की मौत ने महिला बाल विकास विभाग के दावों के साथ ही उनके आंकड़ेबाजी की भी पोल खोलकर रख दी है.