श्योपुर (Sheopur)। देश से कोरोना महामारी (Corona virus) का खतरा अभी टला नहीं हैं. विशेषज्ञों के द्वारा सितंबर के लास्ट या अक्टूबर महीने में कोरोना के पीक पर होने का संकेत भी दिया जा चुका है. प्रदेश के सभी जिलों के आला अधिकारियों को बच्चों के पीडियाट्रिक वार्ड (Pediatric Ward), आईसीयू (ICU), ऑक्सीजन प्लांट (Oxygen Plant) सहित अन्य व्यवस्थाएं मुहैया कराने के निर्देश भी दिए थे, लेकिन जिले के अफसर कोरोना को लेकर जरा भी अलर्ट नजर नहीं दिख रहे. ऐसे में अगर कोरोना का पीक आया तो पिछली बार की तरह इस बार भी अनगिनत लोग इस महामारी की चपेट में आ सकते हैं. इस खास रिपोर्ट में एक नजर डालते हैं, जिले की स्वास्थ्य सुविधाओं (health facilities) के हालात पर..
लापरवाही के कारण तैयार नहीं हुए वार्ड
दरअसल, कोरोना महामारी (corona virus) को देखते हुए राज्य (State) और केंद्र सरकारों (Central Govt) ने जिले को स्पेशल बजट दिया गया. साथ ही बच्चों के लिए 50 बेड वाला आधुनिक पीडियाट्रिक वार्ड (Pediatric Ward), अलग से आईसीयू वार्ड (ICU Ward) सहित तमाम संसाधन पिछले जून-जुलाई महीने के आखिरी तक जुटाने के निर्देश जारी किए थे, लेकिन जिला अस्पताल प्रबंधन (District Hospital Management) के अधिकारी कोरोना को हल्के में ले रहे हैं. यही वजह है कि, जून-जुलाई माह के आखिरी दिनों तक बनकर तैयार किए जाने बाला पीडियाट्रिक और आईसीयू वार्ड अभी तक तैयार नहीं हो सका है.
जमीन पर लिटाकर हो रहा बच्चों का उपचार
मौजूदा हालातों में चिल्ड्रन वार्डों की स्थिति सबसे ज्यादा बदतर है. हालात ऐसे हैं कि, गंभीर तबके के बच्चों को उपचार मुहैया कराने के नाम पर जिला अस्पताल प्रबंधन उन्हें बैड़ तक उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है. इससे बच्चों के परिजनों को जमीन पर लिटाकर अपने बच्चों का उपचार करवाना पड़ रहा है. जिन्हें आप भी इन तस्वीरों में देख सकते हैं कि, किस तरह से बच्चों के परिजन अपने बीमार बच्चों को जमीन पर लिटाकर उनका इलाज करवा रहे हैं. दूसरे वार्डों के हालात भी यही हैं. अभी तक नोन कोविड वार्ड भी जिला अस्पताल प्रबंधन तैयार नहीं करा सका है. जनरल वार्डों में भी बेड बेहद कम हैं. इससे मरीजों को अस्पताल की गैलरियों में लेटकर इलाज कराना पड़ रहा है.
डॉक्टर और नर्स की कमी से जूझ रहे अस्पताल
श्योपुर के जिला अस्पताल सहित जिले भर के सामुदायिक और प्राथमिक अस्पताल पिछले कई सालों से डॉक्टर, नर्स व अन्य स्टॉफ की भारी कमी से जूझ रहे हैं. ऐसे में गंभीर तबके के मरीजों को दूसरे जिलों के लिए रैफर किए जाने का शिलशिला अभी भी चल रहा है. ओपीड़ी के हालात भी खस्ता हालत में हैं क्योंकि, यहां डॉक्टर अक्सर नदारद ही बने रहते हैं. हालांकि, कलेक्टर सुभम वर्मा ने बीते रोज जिला अस्पताल को औचक निरीक्षण किया जिसमें भी पांच डॉक्टर अनुपस्थित मिले जिन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है. अस्पताल में इन्हीं हालातों को देखते हुए जिले के मरीज इलाज के लिए दूसरे जिलों का रुख करने को मजबूर हैं.
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करोड़ों के खर्चे के बाद भी नहीं सुधरे हालात
बीमार मरीजों को उपचार मुहैया कराने के नाम पर करोड़ों रुपये का खर्चा स्वास्थ्य महकमा कर रहा है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर जिले के सबसे बड़े जिला अस्पताल में चंद डॉक्टर और बंद पड़ी हुई मशीनरी ही हैं. इससे मरीज बेहाल है. जिसे लेकर सिविल सर्जन डॉक्टर आरबी गोयल का कहना है कि, जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ी है जिसके साथ ही बच्चों की संख्या बढ़ी है और अभी हमारे पीडियाट्रिक वार्ड में 60 से अधिक बच्चे भर्ती हैं.
पीडियाट्रिक और बच्चों के आईसीयू वार्ड का काम जारी
गोयल ने आगे कहा कि फिलहाल हमारे यहां पीडियाट्रिक वार्ड और बच्चों के आईसीयू वार्ड का भी काम चल रहा है. हम आशा करते हैं कि सब कुछ ठीक रहा तो 15 दिन के अंदर हमारे दोनों वार्ड बनकर कंप्लीट हो जाएंगे. जिले के कलेक्टर शिवम वर्मा का इस बारे में कहना है कि, पीडियाट्रिक वार्ड का काम तेजी के साथ कराया जा रहा है.