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तेज हवाओं के साथ हुई बारिश, गेहूं खरीदी केंद्रों पर भीगी किसानों की फसल - श्योपुर

श्योपुर में हुई बारिश से गेहूं खरीदी केंद्र पर खड़े किसानों का गेहूं भीग गया है. गेहूं खरीदी केंद्रों पर प्रशासन के द्वारा किसानों की फसल को भीगने से बचाने के लिए किसी भी तरह के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं. अब किसान भीगे हुए गेहूं को बेचने के लिए चिंतित हैं.

गेहूं खरीदी केंद्रों पर भीगी किसानों की फसल
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Published : Apr 16, 2019, 1:11 PM IST

श्योपुर| तेज हवाओं के साथ हुई बारिश से जिले के खरीदी केंद्रों पर फसल बेचने के लिए खड़े किसानों का गेहूं भीग गया. अब किसान भीगे हुए गेहूं को बेचने के लिए चिंतित हैं. जिले की सोसायटी सहित अन्य गेहूं खरीदी केंद्रों पर प्रशासन के द्वारा किसानों की फसल को भीगने से बचाने के लिए किसी भी तरह के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं. ऐसे में बारिश की वजह से लाइन में खड़े किसानों का गेहूं भीग गया. वहीं ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर लाइन में खड़े किसानों को बारिश से बचने के लिए ट्रॉलियों के नीचे बैठना पड़ा. फसल भीग जाने के बाद किसान अपनी फसल को बेचने के लिए चिंतित हैं, क्योंकि जरा सी भी मिट्टी या नमी वाली फसल को प्रशासन रिजेक्ट कर देता है.

गेहूं खरीदी केंद्रों पर भीगी किसानों की फसल

किसानों का कहना है कि धीमी गति से फसल खरीदी होने की वजह से वे लोग तीन-तीन दिनों से लाइन में खड़े होकर ट्रैक्टर-ट्रॉली का भाड़ा देने को मजबूर हैं. भाड़ा ना लगे इसके लिए कई किसानों ने अपने गेहूं के ढेर लगवाए थे, तो उनका गेहूं भीगकर बर्बाद हो गया है. अब देखना ये है कि प्रशासन इस पर क्या एक्शन लेगा.

श्योपुर| तेज हवाओं के साथ हुई बारिश से जिले के खरीदी केंद्रों पर फसल बेचने के लिए खड़े किसानों का गेहूं भीग गया. अब किसान भीगे हुए गेहूं को बेचने के लिए चिंतित हैं. जिले की सोसायटी सहित अन्य गेहूं खरीदी केंद्रों पर प्रशासन के द्वारा किसानों की फसल को भीगने से बचाने के लिए किसी भी तरह के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं. ऐसे में बारिश की वजह से लाइन में खड़े किसानों का गेहूं भीग गया. वहीं ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर लाइन में खड़े किसानों को बारिश से बचने के लिए ट्रॉलियों के नीचे बैठना पड़ा. फसल भीग जाने के बाद किसान अपनी फसल को बेचने के लिए चिंतित हैं, क्योंकि जरा सी भी मिट्टी या नमी वाली फसल को प्रशासन रिजेक्ट कर देता है.

गेहूं खरीदी केंद्रों पर भीगी किसानों की फसल

किसानों का कहना है कि धीमी गति से फसल खरीदी होने की वजह से वे लोग तीन-तीन दिनों से लाइन में खड़े होकर ट्रैक्टर-ट्रॉली का भाड़ा देने को मजबूर हैं. भाड़ा ना लगे इसके लिए कई किसानों ने अपने गेहूं के ढेर लगवाए थे, तो उनका गेहूं भीगकर बर्बाद हो गया है. अब देखना ये है कि प्रशासन इस पर क्या एक्शन लेगा.

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श्योपुर-तेज हवा के साथ शुरू हुई बारिश ने जिले के गेंहू खरीद केंद्रों पर फसल बेचने के लिए खड़े किसानों का गेहू भिगो दिया। अव किसान भीगे हुए गेंहू को बेचने के लिए चिंतित है देखिये ये रिपोर्ट....


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मामला आसीदा सुसाईटी सहित अन्य गेंहू खरीद केंद्रों का है, जहां प्रशासन द्वारा किसानों की फसल को भीगने से बचाने के लिए किसी भी तरह के कोई इंतजाम नही किये ऐसे में बारिश हो जाने की वजह से लाइन में खड़े किसानों का गेंहू भीग गया है जिसे आप भी इन तस्वीरों में साफ तौर पर देख सकते है कि किस तरह से किसानों का गेंहू बारिश होने से भीग रहा है,दूसरी तस्वीरों में टेक्टर ट्रॉली लेकर लाइन में खड़ा किसान बारिश से बचने के लिए ट्रॉलियों के नीचे बैठकर बारिश बन्द होने का इंतजार कर रहे है।और तीसरी तस्वीर में खरीद केंद्र पर खरीदा गया गेंहू बारिश से भीग चुका है।ये तीनो तस्वीरे बयां कर रही है कि सारी तैयारियां पूरी किये जाने का दावा करने बाले प्रशासन की सभी तैयारियां फेल साबित हुई है।अब फसल भीग जाने के बाद किसान अपनी फसल को बेचने के लिए चिंतित है।क्योंकि जरा सी भी मिट्टी या नमी बाली फसल को प्रशासन रिजेक्ट कर देता है लेकिन अब तो पूरा गेंहू ही भीग चुका है तब किसान के गेंहू की खरीदी कैसे होगी।मौके पर मौजूद किसानों से जब ईटीवी भारत ने बात की तो किसान मेसिज ना मिलने की समस्या के अलावा धीमी गति से फसल खरीदी होने की वजह से तीन तीन दिनों से लाइन में खड़े होकर टेक्टर ट्रॉली का दो हजार रुपये रोज का भाड़ा देने को मजबूर है।भाड़ा ना लगे इस लिए जिन किसानों ने अपने गेहू के ढेर लगबाये थे उनका गेंहू भीग कर बर्बाद हो गया है किसानों का कहना है कि....

बाईट
रामरूप किसान आसीदा
अभिषेक उर्फ पिंटू किसान जेदा


Conclusion:बारिश होने से किसानों की फसल भीग जाने की वजह से अन्नदाता की परेशानियों को देखते हुए ईटीवी भारत द्वारा जिला प्रशासन के आला अधिकारियों से कई बार बात करने की कोशिश की लेकिन बात नही हो सकी है।लेकिन अब देखना होगा कि प्रशासन इस पर क्या एक्शन लेगा या फिर अन्नदाता की मुसीबतें कम होने की बजाए और बढ़ेंगी।
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