श्योपुर। जिले के बीजेपी विधायक सीताराम आदिवासी की बेटी की प्रसव को लेकर शुरू हुए विवाद में अब नया मोड़ आ गया है. अपनी जिम्मेवारियों से बचने के लिए अन्य मरीजों की तरह विधायक की नातिन को भी जिला अस्पताल प्रबंधन ग्वालियर रेफर करना चाह रहा है. लेकिन विधायक और उनके परिजन नवजात को रेफर नहीं कराना चाहते. ऐसे में अस्पताल प्रबंधन के हाथ-पैर फूले लगे है.
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन को डर है कि कहीं नवजात के साथ कोई अनहोनी हुई तो सारा दोष उनके सिर पर आएगा. जिसे लेकर उन्होंने गुरुवार को हेल्थ बुलेटेन जारी करने के नाम पर मीडिया को प्रेसनॉट जारी कर मामले की जानकारी दी है. सिविल सर्जन द्वारा जारी किए गए इस हेल्थ बुलेटिन के प्रेसनॉट में लिखा है कि, विधायक सीताराम आदिवासी की बेटी के नवजात को प्रसव के बाद जिला अस्पताल के एसएनसीयू में गंभीर हालत में भर्ती करवाया गया था. उसकी स्थिति अभी भी नाजुक बनी हुई है. डॉक्टरों द्वारा शिशु का लगातार सुपरविजन किया जा रहा है. लेकिन नवजात शिशु को एडवांस केयर की आवश्यकता है. जिसकी सुविधा मेडीकल कॉलेज ग्वालियर में है. शिशु को ग्वालियर के लिए रेफर करने की सलाह दी गई है. लेकिन परिजन उसे रेफर नहीं करवा रहे है.
बता दें कि विजयपुर विधायक सीताराम आदिवासी अपनी बेटी धोड़ा बाई को 18 नवंबर को जिला अस्पताल में प्रसव कराने के लिए लेकर पहुंचे. जहां शुरुआती जांच के बाद उनकी बेटी को भर्ती किया गया था. जांच में पता चला की विधायक की बेटी की हालत खराब है और ऑपरेशन से ही डिलीवरी की जा सकती है. लेकिन अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टर ना होने के कारण विधायक की बेटी को इंतजार करना पड़ा. क्यों की एक डॉक्टर नसबंदी शिविर में गए थे, जबकि दूसरी डॉक्टर छुट्टी पर थीं.