शाजापुर। बीजेपी की फायर ब्रांड नेता उमा भारती की आंधी में 2003 के विधानसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह की सरकार उखड़ गई थी. बीजेपी ने 230 विधानसभा सीटों में से 173 सीटें जीतकर रिकॉर्ड बनाया था, लेकिन 2003 और 2008 की बीजेपी की लहर में भी मध्यप्रदेश की एक विधानसभा सीट पर बीजेपी जीत हासिल करने से चूक गई थी. मालवा निमाड़ क्षेत्र की शाजापुर विधानसभा सीट पर बीजेपी के उम्मीदवारों को कमोवेश हर बार हार का मुंह देखना पड़ता है. इस सीट पर कांग्रेस की तगड़ी पकड़ है. 2013 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दें तो कांग्रेस के हुकुम सिंह कराड़ा इस सीट से पिछले 25 साल से विधायक हैं. यहां अनुसूचित जाति और मुस्लिम वर्ग का दबदबा है. राजपूत, पाटीदार, ब्राह्मण वर्ग के मतदाता चुनावी नतीजों पर असर डालते हैं. चुनावों में विभिन्न मुद्दों के अलावा वोटों के धुर्वीकरण के लिए कोशिशे होती हैं.
शाजापुर सीट का इतिहास: मध्यप्रदेश के नक्शे पर 1981 में शाजापुर जिला उभरा था. शाजापुर का नाम मुगल बादशाह शाहजहां के नाम पर पहले शाहजहांपुर रखा गया था. बाद में यह शाजापुर हो गया. कहा जाता है कि शाहजहां 1640 में यहां आकर रूके थे. शाजापुर जिले में तीन विधानसभा सीटें आती हैं. इसमें शाजापुर के अलावा कालापीपल और शुजालपुर शामिल है. शाजापुर में प्राचीन शक्तिपीठ महाराज राजेश्वरी का मंदिर यहां की बड़ी पहचान है. इसे मां राजराजेश्वर की नगरी के रूप में भी पुकारा जाता है.
यह है शाजापुर विधानसभा का सियासी सफर: शाजापुर विधानसभा क्षेत्र पर कांग्रेस की पकड़ बेहद मजबूत मानी जाती है. इस सीट पर कांग्रेस के हुकुम सिंह कराड़ा ने 7 बार चुनाव लड़ा है, इसमें से वे दो बार चुनाव हारे, जबकि 1993, 1998, 2003, 2008 और 2018 में 5 बार चुनाव में जीत दर्ज की है. वे दिग्विजय सिंह सरकार और कमलनाथ सरकार में तीन बार मंत्री रह चुके हैं. वे एक बार फिर टिकट के लिए दावेदारी कर रहे हैं और उनका टिकट तय माना जा रहा है. कांग्रेस के हुकुम सिंह कराड़ा 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार अरुण भीमावद से 1434 वोटों से चुनाव हार गए थे, लेकिन 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी के अरुण भीमावद को 44 हजार 979 वोटों से हरा दिया. हालांकि बीजेपी की इतनी बड़ी हार की एक वजह बीजेपी की अंदरूनी गुटबाजी सामने आई. टिकट न मिलने से नाराज होकर बीजेपी नेता जेपी मंडलोई ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था.
बीजेपी खोज रही जिताऊ चेहरा: उधर बीजेपी आगामी चुनाव को लेकर उम्मीदवारों के नामों को लेकर मशक्कत करने में जुटी है. पूर्व विधायक अरुण भीमावद को पार्टी चुनाव में उतारती है, या फिर किसी नए चेहरे को मौका मिलता है. हालांकि क्षेत्र में पार्टी के नेता खूब पसीना बहा रहे हैं. पिछले दिनों केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी क्षेत्र में सभा करने पहुंचे थे. सिंधिया राजपरिवार का इस क्षेत्र में कभी अच्छा प्रभाव रहा है. कहा जाता है कि शक्तिपीठ राजराजेश्वरी मंदिर का निर्माण सिंधिया परिवार द्वारा ही कराया गया था, सिंधिया अपनी सभा में इसका जिक्र करना नहीं भूलते. हालांकि पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी बीजेपी पर भारी पड़ जाती है.
शाजापुर विधानसभा क्षेत्र में दलित और मुस्लिम वर्ग के करीबन 90 हजार मतदाता है. इसके अलावा पाटीदार, गुर्जर, राजपूत, ब्राह्मण और ओबीसी वर्ग के मतदाता भी निर्णायक साबित होते हैं. इस विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 36 हजार 857 मतदाता हैं. इसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 22 हजार 431 है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1लाख 14 हजार 415 है. जबकि 11 अन्य हैं.