ETV Bharat / state

मनकामेश्वर महादेव का जलाभिषेक करने से पूरी होती है मनोकामना, माता पार्वती की तपोस्थली है ये मंदिर

शाजापुर जिले के ग्राम कुम्हारिया खास में स्थित महादेव मंदिर में सावन के तीसरे सोमवार को भक्तों का तांता लगा रहा. भक्तों ने मनकामश्वेर महादेव की पूजा अर्चना कर जलाभिषेक किया.

author img

By

Published : Jul 20, 2020, 10:48 AM IST

Updated : Jul 20, 2020, 12:34 PM IST

Mankameshwar Mahadev
मनकामेश्वर महादेव

शाजापुर। जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर ग्राम कुम्हारिया खास में स्थित मनकामेश्वर महादेव मंदिर अति प्राचीन और चमत्कारी है. कहते हैं, यहां भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती हैं, जिसकी वजह से इस मंदिर को मनकामेश्वर महादेव कहा गया है. यहां सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है. सावन के तीसरे सोमवार भक्त मंदिर में पहुंचकर भगवान भोलेनाथ की पूचा अर्चना कर रहे हैं. पुजारी का कहना है कि, मंदिर के बारे में ये मान्यता है कि, करीब 750 वर्ष पहले यहां एक गाय मिट्टी का दुग्धाभिषेक करती थी. ग्रामीणों ने जब इस स्थान की खुदाई की, तो नीचे से शिवलिंग निकला, जो कि आज मनकामश्वेर महादेव के रूप में मंदिर विराजमान हैं.

मनकामेश्वर महादेव

सिंधिया स्टेट ने चढ़ाया है मुकुट

मंदिर के पुजारी ने कहा कि, यहां पर जो मुकुट लगा हुआ है. वो ग्वालियर स्टेट के द्वारा वर्षों पहले चढ़ाया गया था. उन्होंने कहा कि, ग्वालियर स्टेट से 3 मुकुट दिए गए थे. एक उज्जैन महाकालेश्वर में, एक ओमकारेश्वर में और एक मनकामेश्वर में है.

हर मनोकामना होती है पुरी

मंदिर के पुजारी ने कहा कि, यहां पर भक्तों की हर मनोकामनाएं पूर्ण होती है. यही कारण है कि बड़ी संख्या में लोग यहां पर दर्शन के लिए आते हैं. मंदिर के पास एक गौरीकुंड बना हुआ है. उसमें झरना है और इस झरने में 12 महीने पानी आता रहता है. गौरी कुंड में स्नान करने के बाद भगवान से जो भी मांगा जाता है. मनकामेश्वर महादेव वह मनोकामना पूरी करते हैं. इस मंदिर से जुड़ी एक और मान्यता के मुताबिक भगवान शंकर के लिए पार्वती ने इस क्षेत्र में तपस्या की थी. इसलिए इस जगह को माता पार्वती की तपोभूमि भी कहा जाता है.

शाजापुर। जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर ग्राम कुम्हारिया खास में स्थित मनकामेश्वर महादेव मंदिर अति प्राचीन और चमत्कारी है. कहते हैं, यहां भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती हैं, जिसकी वजह से इस मंदिर को मनकामेश्वर महादेव कहा गया है. यहां सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है. सावन के तीसरे सोमवार भक्त मंदिर में पहुंचकर भगवान भोलेनाथ की पूचा अर्चना कर रहे हैं. पुजारी का कहना है कि, मंदिर के बारे में ये मान्यता है कि, करीब 750 वर्ष पहले यहां एक गाय मिट्टी का दुग्धाभिषेक करती थी. ग्रामीणों ने जब इस स्थान की खुदाई की, तो नीचे से शिवलिंग निकला, जो कि आज मनकामश्वेर महादेव के रूप में मंदिर विराजमान हैं.

मनकामेश्वर महादेव

सिंधिया स्टेट ने चढ़ाया है मुकुट

मंदिर के पुजारी ने कहा कि, यहां पर जो मुकुट लगा हुआ है. वो ग्वालियर स्टेट के द्वारा वर्षों पहले चढ़ाया गया था. उन्होंने कहा कि, ग्वालियर स्टेट से 3 मुकुट दिए गए थे. एक उज्जैन महाकालेश्वर में, एक ओमकारेश्वर में और एक मनकामेश्वर में है.

हर मनोकामना होती है पुरी

मंदिर के पुजारी ने कहा कि, यहां पर भक्तों की हर मनोकामनाएं पूर्ण होती है. यही कारण है कि बड़ी संख्या में लोग यहां पर दर्शन के लिए आते हैं. मंदिर के पास एक गौरीकुंड बना हुआ है. उसमें झरना है और इस झरने में 12 महीने पानी आता रहता है. गौरी कुंड में स्नान करने के बाद भगवान से जो भी मांगा जाता है. मनकामेश्वर महादेव वह मनोकामना पूरी करते हैं. इस मंदिर से जुड़ी एक और मान्यता के मुताबिक भगवान शंकर के लिए पार्वती ने इस क्षेत्र में तपस्या की थी. इसलिए इस जगह को माता पार्वती की तपोभूमि भी कहा जाता है.

Last Updated : Jul 20, 2020, 12:34 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.