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परिवहन घोटाला: सौरभ शर्मा की सीक्रेट डायरी खोलेगी राज, काली कमाई में कौन-कौन रहे साथी - BHOPAL RTO EX CONSTABLE CASE

मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के पूर्व कॉन्टेबल सौरभ शर्मा मामले में ईडी अब इस बात की पड़ताल करने में लगी है कि इस घोटाले में उसके साथ कौन-कौन लोग भागीदार रहे हैं.

RTO EX CONSTABLE CASE
मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के पूर्व कॉन्टेबल का घोटाला (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 5 hours ago

Updated : 2 hours ago

भोपाल: पद - परिवहन आरक्षक, साढ़े 6 साल की नौकरी और करोड़ों की कमाई... यह कहानी मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग में चल रहे भ्रष्ट तंत्र का पोल खोलती है. मध्य प्रदेश लोकायुक्त की टीम ने जब परिवहन विभाग के पूर्व कॉन्टेबल सौरभ शर्मा और उसके साथी चेतन सिंह के ठिकानों पर छापा मारा तो उन्हें भी अंदाजा नहीं था कि एजेंसियों को नोट गिनने की मशीन ही नहीं, बल्कि सोना तोलने के लिए तराजू भी बुलाने होंगे.

आयकर विभाग को मिली डायरी में कई नेताओं और अधिकारियों के नाम

कार्रवाई में अब तक करीबन 14 करोड़ नकद, 52 किलो सोना, चांदी की 200 सिल्लियां मिल चुकी हैं. लोकायुक्त के बाद इस मामले की जांच में अब ईडी और डीआरआई की भी एंट्री हो गई है. आयकर विभाग के हाथ एक डायरी भी लगी है, जिसमें कई नेताओं और अधिकारियों के नाम बताए जा रहे हैं.

एक आरक्षक साढ़े 6 साल में कैसे बन गया करोड़पति

लोकायुक्त और आयकर विभाग की कार्रवाई की जद में आए सौरभ शर्मा ने परिवहन विभाग में सिर्फ साढ़े 6 साल ही नौकरी की है. उसके पिता डॉ. आरके शर्मा की 2015 में मौत हो गई थी. बेरोजगार सौरभ ने स्वास्थ्य विभाग में अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया. सांठगांठ कर सौरभ ने स्वास्थ्य विभाग से लिखवा लिया कि विभाग में कोई पद ही खाली नहीं है और फिर उसे परिवहन विभाग में बतौर आरक्षक नौकरी मिल गई.

बताया जाता है कि सौरभ शर्मा ने परिवहन विभाग के पीए से नजदीकियां बढ़ाई और परिवहन नाकों की दलाली शुरू कर दी. कुछ समय में ही सौरभ ने नाकों के जरिए हो रही उगाही का सिस्टम समझा और पूरा काम खुद ही देखने लगा. दलाली की इस रकम के जरिए उसने नेताओं और अधिकारियों तक अपनी सीधी पहुंच बना ली. विभाग में उसका रसूख ऐसा हो गया कि वह परिवहन नाकों पर इंस्पेक्टरों तक की पोस्टिंग कराने लगा, लेकिन साढ़े छह साल बाद जून 2023 में उसने नौकरी छोड़ दी. बताया जाता है कि इसके बाद वह प्रॉपर्टी के धंधे में कूदा और अधिकारियों से सांठगांठ कर उनकी काली कमाई को निवेश कराने का भी काम कर रहा था.

लोकायुक्त की कार्रवाई में क्या-क्या मिला

लोकायुक्त को सौरभ शर्मा के भोपाल के पॉल इलाके ई-7/78 अरेरा कॉलोनी में कार्रवाई के दौरान विदेश मुद्रा और भारतीय मुद्रा सहित कुल 1 करोड़ 15 लाख नगदी, 50 लाख की सोने और हीरे की ज्वेलरी, 2 करोड़ 21 लाख के वाहन एवं घर में उपलब्ध सामग्री सहित कुल 3 करोड़ 86 लाख की संपत्ति का खुलासा
हुआ है.

ऑफिस के रूप में अरेरा कॉलोनी के मकान ई-7/657 का उपयोग किया जा रहा था. उसमें तलाशी के दौरान 30 लाख रुपये के दैनिक उपयोग का सामान, 2 करोड़ 10 लाख रुपये मूल्य की 234 किलो चांदी और इस तरह कुल 4 करोड़ 12 लाख की संपत्ति बरामद हुई. इस तरह अभी तक 7 करोड़ 98 लाख की चल संपत्ति का खुलासा हुआ है.

सौरभ शर्मा ने पत्नी, मां और साली के नाम संपत्ति खरीदी

लोकायुक्त अधिकारियों के मुताबिक सौरभ शर्मा ने अपनी पत्नी, मां, साली और निकट सहयोगियों चेतन सिंह गौड़ और शरद जायसवाल आदि के नाम पर संपत्ति खरीदने, होटल संचालन और भोपाल में जयपुरिया स्कूल का संचालन भी शुरू किया था.

डायरी ने बढ़ाई कई लोगों की धड़कनें

लोकायुक्त की कार्रवाई के बाद भोपाल के मेंडोरी स्थित फार्म के बाहर एक सफेद इनोवा से मिले 54 किलो सोना और 10 करोड़ रुपए की नगदी के साथ आयकर विभाग को एक डायरी भी मिली है. आयकर विभाग इतनी संपत्ति की जानकारी जुटाने में लगा है. उधर बताया जा रहा है कि इनोवा गाड़ी से बरामद एक डायरी में करोड़ों का हिसाब-किताब मिला है. इसमें परिवहन विभाग के 52 आरटीओ सहित विभाग के कई आला अफसरों तक के नाम का जिक्र है.

माना जा रहा है कि आयकर की जांच में कई बड़े नामों और काली कमाई का खुलासा हो सकता है. डायरी सामने आने से कई अधिकारियों और कुछ नेताओं की घबराहट जरूर बढ़ गई है. उधर आयकर और लोकायुक्त विभाग द्वारा पकड़े गए चेतन शर्मा से लगातार पूछताछ की जा रही है. डायरी में दर्ज नामों में से एक-एक नाम को लेकर पूछताछ जारी है. अभी तक चेतन से 150 पन्नों का बयान दर्ज किया जा चुका है. उधर लोकायुक्त ने सौरभ शर्मा की पत्नी, मां और सहयोगी शरद जायसवाल को भी पूछताछ के लिए बुलाया है.

क्या विदेश से सोने की हो रही थी तस्करी?

उधर 52 किलो सोने के बिस्किट मिलने के बाद जांच एजेंसियों ने इस एंगल पर भी जांच शुरू कर दी है कि कहीं सोना विदेश से तस्करी करके तो नहीं लाया जा रहा था. फिलहाल आरोपी सौरभ शर्मा परिवार सहित दुबई में है. लोकायुक्त और आयकर विभाग के बाद ईडी ने भी मामला दर्ज किया है. ईडी अब इस मामले में मनी लॉड्रिंग के एंगल से जांच कर रही है.

भोपाल: पद - परिवहन आरक्षक, साढ़े 6 साल की नौकरी और करोड़ों की कमाई... यह कहानी मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग में चल रहे भ्रष्ट तंत्र का पोल खोलती है. मध्य प्रदेश लोकायुक्त की टीम ने जब परिवहन विभाग के पूर्व कॉन्टेबल सौरभ शर्मा और उसके साथी चेतन सिंह के ठिकानों पर छापा मारा तो उन्हें भी अंदाजा नहीं था कि एजेंसियों को नोट गिनने की मशीन ही नहीं, बल्कि सोना तोलने के लिए तराजू भी बुलाने होंगे.

आयकर विभाग को मिली डायरी में कई नेताओं और अधिकारियों के नाम

कार्रवाई में अब तक करीबन 14 करोड़ नकद, 52 किलो सोना, चांदी की 200 सिल्लियां मिल चुकी हैं. लोकायुक्त के बाद इस मामले की जांच में अब ईडी और डीआरआई की भी एंट्री हो गई है. आयकर विभाग के हाथ एक डायरी भी लगी है, जिसमें कई नेताओं और अधिकारियों के नाम बताए जा रहे हैं.

एक आरक्षक साढ़े 6 साल में कैसे बन गया करोड़पति

लोकायुक्त और आयकर विभाग की कार्रवाई की जद में आए सौरभ शर्मा ने परिवहन विभाग में सिर्फ साढ़े 6 साल ही नौकरी की है. उसके पिता डॉ. आरके शर्मा की 2015 में मौत हो गई थी. बेरोजगार सौरभ ने स्वास्थ्य विभाग में अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया. सांठगांठ कर सौरभ ने स्वास्थ्य विभाग से लिखवा लिया कि विभाग में कोई पद ही खाली नहीं है और फिर उसे परिवहन विभाग में बतौर आरक्षक नौकरी मिल गई.

बताया जाता है कि सौरभ शर्मा ने परिवहन विभाग के पीए से नजदीकियां बढ़ाई और परिवहन नाकों की दलाली शुरू कर दी. कुछ समय में ही सौरभ ने नाकों के जरिए हो रही उगाही का सिस्टम समझा और पूरा काम खुद ही देखने लगा. दलाली की इस रकम के जरिए उसने नेताओं और अधिकारियों तक अपनी सीधी पहुंच बना ली. विभाग में उसका रसूख ऐसा हो गया कि वह परिवहन नाकों पर इंस्पेक्टरों तक की पोस्टिंग कराने लगा, लेकिन साढ़े छह साल बाद जून 2023 में उसने नौकरी छोड़ दी. बताया जाता है कि इसके बाद वह प्रॉपर्टी के धंधे में कूदा और अधिकारियों से सांठगांठ कर उनकी काली कमाई को निवेश कराने का भी काम कर रहा था.

लोकायुक्त की कार्रवाई में क्या-क्या मिला

लोकायुक्त को सौरभ शर्मा के भोपाल के पॉल इलाके ई-7/78 अरेरा कॉलोनी में कार्रवाई के दौरान विदेश मुद्रा और भारतीय मुद्रा सहित कुल 1 करोड़ 15 लाख नगदी, 50 लाख की सोने और हीरे की ज्वेलरी, 2 करोड़ 21 लाख के वाहन एवं घर में उपलब्ध सामग्री सहित कुल 3 करोड़ 86 लाख की संपत्ति का खुलासा
हुआ है.

ऑफिस के रूप में अरेरा कॉलोनी के मकान ई-7/657 का उपयोग किया जा रहा था. उसमें तलाशी के दौरान 30 लाख रुपये के दैनिक उपयोग का सामान, 2 करोड़ 10 लाख रुपये मूल्य की 234 किलो चांदी और इस तरह कुल 4 करोड़ 12 लाख की संपत्ति बरामद हुई. इस तरह अभी तक 7 करोड़ 98 लाख की चल संपत्ति का खुलासा हुआ है.

सौरभ शर्मा ने पत्नी, मां और साली के नाम संपत्ति खरीदी

लोकायुक्त अधिकारियों के मुताबिक सौरभ शर्मा ने अपनी पत्नी, मां, साली और निकट सहयोगियों चेतन सिंह गौड़ और शरद जायसवाल आदि के नाम पर संपत्ति खरीदने, होटल संचालन और भोपाल में जयपुरिया स्कूल का संचालन भी शुरू किया था.

डायरी ने बढ़ाई कई लोगों की धड़कनें

लोकायुक्त की कार्रवाई के बाद भोपाल के मेंडोरी स्थित फार्म के बाहर एक सफेद इनोवा से मिले 54 किलो सोना और 10 करोड़ रुपए की नगदी के साथ आयकर विभाग को एक डायरी भी मिली है. आयकर विभाग इतनी संपत्ति की जानकारी जुटाने में लगा है. उधर बताया जा रहा है कि इनोवा गाड़ी से बरामद एक डायरी में करोड़ों का हिसाब-किताब मिला है. इसमें परिवहन विभाग के 52 आरटीओ सहित विभाग के कई आला अफसरों तक के नाम का जिक्र है.

माना जा रहा है कि आयकर की जांच में कई बड़े नामों और काली कमाई का खुलासा हो सकता है. डायरी सामने आने से कई अधिकारियों और कुछ नेताओं की घबराहट जरूर बढ़ गई है. उधर आयकर और लोकायुक्त विभाग द्वारा पकड़े गए चेतन शर्मा से लगातार पूछताछ की जा रही है. डायरी में दर्ज नामों में से एक-एक नाम को लेकर पूछताछ जारी है. अभी तक चेतन से 150 पन्नों का बयान दर्ज किया जा चुका है. उधर लोकायुक्त ने सौरभ शर्मा की पत्नी, मां और सहयोगी शरद जायसवाल को भी पूछताछ के लिए बुलाया है.

क्या विदेश से सोने की हो रही थी तस्करी?

उधर 52 किलो सोने के बिस्किट मिलने के बाद जांच एजेंसियों ने इस एंगल पर भी जांच शुरू कर दी है कि कहीं सोना विदेश से तस्करी करके तो नहीं लाया जा रहा था. फिलहाल आरोपी सौरभ शर्मा परिवार सहित दुबई में है. लोकायुक्त और आयकर विभाग के बाद ईडी ने भी मामला दर्ज किया है. ईडी अब इस मामले में मनी लॉड्रिंग के एंगल से जांच कर रही है.

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