शाजापुर। केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में तीन कृषि बिल पास किए, जिन्हें वापस लिए जाने की मांग कांग्रेसियों द्वारा लगातार की जा रही है. इसी को लेकर आज शाजापुर जिले के समीपस्थ क्षेत्र गांव में अति प्राचीन ताखा जी महाराज मंदिर परिसर में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया. जिसमें वक्ताओं ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि 'जो कृषि केंद्र सरकार द्वारा पारित किया गया है उससे किसानों को कभी भी फायदा नहीं मिलेगा यह सभी बिल किसानों को उद्योगपतियों के हाथों की कठपुतलियां बनाने वाले बिल है और जब तक सरकार द्वारा यह बिल वापस नहीं लिया जाता तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा. किसान महापंचायत में मुख्य रूप से पूर्व केबिनेट मंत्री एवं क्षेत्रीय विधायक हुकुम सिंह कराड़ा, पूर्व कांग्रेस जिलाध्यक्ष रामवीर सिंह सिकरवार, ब्लॉक कांग्रेस इरशाद खान, पूर्व जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह गोहिल जिला कांग्रेस अध्यक्ष योगेंद्र सिंह सहित बड़ी संख्या में कांग्रेसी एवं किसान शामिल हुए.
किसान महापंचायत में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के शामिल होने की सूचना के बाद जिले में एक बार फिर कांग्रेसी सक्रिय हो गए थे, जिसके चलते बड़ी संख्या में कांग्रेसी नेता किसान महापंचायत में शामिल होने के लिए दोपहर में ही पहुंच गए थे. दोपहर 2 बजे किसान महापंचायत में शामिल होने वाले प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह शाम को करीब 7:30 बजे पहुंचे तब तक कई किसान और कांग्रेसी नेता बेरंग ही वापस लौट गए.
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'किसान तो पहले ही आजाद थे'
मीडिया से चर्चा करते हुए प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि 'पूरे देश में प्रधानमंत्री से लेकर भाजपा के कार्यकर्ता कह रहे हैं कि केंद्र सरकार द्वारा जो कृषि बिल लाए गए हैं, उससे किसान आजाद हो गए हैं, जबकि किसान पहले ही आजाद था वह अपनी उपज कहीं भी और किसी भी मंडी में बेच सकता था. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि देश में 18 से 20 लाख करोड़ का कृषि का बाजार है. मोदी जी के खरबपति मित्र मंडियों में लाइसेंस लेकर खरीदी नहीं कर सकते हैं, इसलिए यह तीनों बिल लाए गए हैं. जिससे मंडी पूरी तरह से बंद हो जाएगी और व्यापारी मंडी के बाहर बिना स्वीकृति से किसान की उपज खरीद लेगा, यदि ऐसे में व्यापारी चला जाएगा तो किसान को पैसे दिलाने की जवाबदारी किसकी रहेगी. केंद्र सरकार एवं उनके मंत्री बार-बार कहते हैं कि यह तीनों बिल किसानों के लिए लाभदायक है. जबकि इन तीनों जिलों से किसानों को नुकसान के सिवाय कुछ नहीं मिलेगा और जब तक सरकार इन बिलों को वापस नहीं लेगी तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा.'