शाजापुर। कंस वधोत्सव कार्यक्रम के तहत बुधवार रात 12 बजे गवली समाजजनों ने लाठी से पीट-पीटकर कंस का वध किया. इससे पहले रात्रि में बालवीर हनुमान मंदिर से देव और दानवों का चल समारोह शुरू हुआ, जो सोमवारिया बाजार, मगरिया, काछीवाड़ा, बस स्टैंड, नई सड़क होते हुए गवली मोहल्ला के बााद सोमवारिया बाजार में कंस चौराहा पर पहुंचा. यहां एक बार फिर वाकयुद्ध के माध्यम से देवता और दानव आपस में भिड़े. इसके बाद रात को 12 बजते ही कंस वध किया गया.
श्रीकृष्ण ने किया कंस का वध : पारंपरिक वेषभूषा में श्रीकृष्ण द्वारा कंस के पुतले का वध किया गया. उसे सिंहासन से नीचे गिराया गया. इससे पहले कंस चौराहा पर पहले से ही हाथ में लाठी और डंडे लिए हुए तैयार गवली समाजजन ने कंस के पुतले को घसीटना शुरू कर दिया. यहां से समाजजन पुतले को घसीटते हुए गवली मोहल्ले में ले गए. इस अवसर पर कंस वधोत्सव समिति संयोजक तुलसीराम भावसार, अजय उदासी सहित बड़ी संख्या में नगरवासी उपस्थित थे. ज्ञात रहे कि शाजापुर में पिछले 270 वर्षों से चली आ रही इस ऐतिहासिक परंपरा को देखने के लिए शहर सहित आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होकर पहले चौक बाजार और फिर सोमवारिया बाजार पहुंचे. कार्यक्रम को लेकर पुलिस-प्रशासन द्वारा भी विशेष व्यवस्था की गई थी.
ये खबरें भी पढ़ें... |
इस तरह शुरू हुई थी परंपरा : शहर में वर्षों से निभाई जा रही कंस वध की परंपरा अन्याय व अत्याचार पर जीत के प्रतीक का पर्व के रूप में मनाई जाती है. कंस वधोत्सव समिति के संयोजक तुलसीराम भावसार ने बताया कि गोवर्धननाथ मंदिर के मुखिया मोतीराम मेहता ने करीब 270 वर्ष पूर्व मथुरा में कंस वधोत्सव देखा और फिर शाजापुर में वैष्णवजनों को अनूठे आयोजन के बारे में बताया. इसके बाद से ही परंपरा की शुरुआत हो गई. करीब 100 वर्ष तक मंदिर में ही आयोजन होता रहा है, लेकिन जगह की कमी के चलते इसे कंस चौराहे पर करने लगे. आयोजन में शाजापुर समेत बाहरी जिलों से भी लोग शामिल होते हैं.