शाजापुर। जिले के गिरवर क्षेत्र स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में किसानों को सरसों की फसल की उन्नत उत्पादन तकनीकी के बारे में जानकारी दी गई. इस दौरान कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कायम सिंह, डॉक्टर सुधीर सिंह धाकड़, डॉ. मुकेश सिंह से सरपंच अशोक पाटीदार सहित 60 कृषकों ने प्रशिक्षण लिया.
कार्यक्रम प्रभारी डॉ. मुकेश सिंह ने सरसों की खेती की जानकारी देते हुए बताया कि किसान सरसों की खेती वैज्ञानिक तरीके से करते हैं. उसमें समय-समय पर सिंचाई और बीज की सही मात्रा का उपयोग करते हैं. लाइन से बुवाई करते हैं, तो सरसों की पैदावार एक बीघा में 5 से 6 क्विंटल तक प्राप्त की जा सकती है, जिसका बाजार भाव 4400-4500 प्रति क्विंटल तक रहता है. इस प्रकार से 1 बीघा से लगभग 30 से 35 हजार का शुद्ध मुनाफा लिया जा सकता है, जो चना और गेहूं से ज्यादा फायदेमंद है. जहां गेहूं की फसल में 5 से 6 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है. वहीं सरसों की फसल में मात्र 2 सिंचाई से अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है.
उन्होंने कहा कि किसान 2 किलो बीज प्रति एकड़ के मान से 40 से 45 सेंटीमीटर लाइन से लाइन की दूरी और 15 सेंटीमीटर पौधे से पौधे की दूरी सीड ड्रिल के माध्यम से बुवाई करें, जिसका सही समय सितंबर का अंतिम सप्ताह होता है. वहीं अगर किसान 15 अक्टूबर तक बुवाई कर लेता हैं, तो सरसों की फसल से बहुत अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है. हालांकि इसमें देरी करने पर फसल जनवरी-फरवरी के समय पकती है, जिससे फसल में माहू कीट का प्रकोप ज्यादा होता है. सरसों के लिए उन्नतशील प्रजातियां आरबीएम 2, पूसा जगन्नाथ, पूसा जय किसान, आईजे 31, पीएम 25, पीएम 29 हैं.