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नई शिक्षा नीति 2020: सीएम ने शिक्षा मंत्री से की चर्चा, एमपी में आज से काम शुरू

प्रदेश में आज से लागू होने जा रही राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति पर सीएम ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए शिक्षा मंत्री से चर्चा की. अब तक पुरानी तर्ज पर चल रही शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है. मानव संसाधन मंत्रालय का नाम भी शिक्षा विभाग मंत्रालय कर दिया गया है. छात्रों को अब मातृभाषा के साथ अंग्रेजी और संस्कृत विषय भी अनिवार्य कर दिया गया है.

Discussion on education policy
शिक्षा नीति पर चर्चा
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Published : Jul 30, 2020, 4:30 PM IST

Updated : Jul 30, 2020, 4:43 PM IST

शाजापुर। देश में नई शिक्षा नीति को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार से चर्चा की. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने बताया कि प्री-प्राइमरी स्कूल से ऑनलाइन शिक्षा शुरू करने के लिए अनुमति दी जाएगी.

शिक्षा नीति पर चर्चा

शिक्षा शुल्क में संशोधन के लिए कार्रवाई की जा रही है, साथ ही जो प्राइवेट स्कूल फीस के नाम पर छात्रों के नाम काट रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल प्रदेश में अपना घर अपना विद्यालय के जरिए बच्चों को शिक्षा दी जा रही है, जिसमें और भी संशोधन किए जाएंगे. चर्चा में कहा गया कि कक्षा 12वीं में जिन स्कूलों का रिजल्ट डाउन रहा, उनकी समीक्षा कर उन्हें दिशा-निर्देश दिए जाएंगे.

नई शिक्षा नीति आज से लागू

भारत सरकार ने पहली बार शिक्षा नीति में परिवर्तन किया है. अभी तक अंग्रेजों ने जो शिक्षा नीति लागू की थी, उसी में संशोधन करके चलाया जा रहा था. भारत सरकार ने परिवर्तन कर मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया है. भारत सरकार की नई शिक्षा नीति में त्रिभाषा का फार्मूला काफी महत्वपूर्ण है. हर राज्य की अपनी राजकीय भाषा के साथ अंग्रेजी और संस्कृत अनिवार्य रूप से नई शिक्षा नीति का हिस्सा रहेगी. भारत सरकार की नई शिक्षा नीति पर अमल करते हुए आज से ही मध्यप्रदेश में काम शुरू किया जा रहा है. कक्षा छठवीं से ही छात्रों को व्यवसायिक शिक्षा दी जाएगी.

पहले 10+2 का फॉर्मेट चलता था, लेकिन अब स्कूल में 5+3+3+4 का फॉर्मेट तय किया गया है, जिसके तहत-

  1. पहले पांच साल में प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा एक और दो सहित फाउंडेशन स्टेज होगी.
  2. अगले तीन साल का स्टेज 3 से 5 वीं कक्षा तक होगा.
  3. कक्षा 6 से 8 तक मिडिल स्टेज आएगा, जो तीन साल का होगा.
  4. चौथा स्टेज कक्षा 9 से 12वीं तक होगा, जो चार साल तक चलेगा, इसमें छात्रों को सबजेक्ट चुनने का ऑप्शन होगा. विज्ञान या गणित के साथ फैशन डिजाइनिंग पढ़ने की आजादी भी होगी.
  5. अब छात्रों को छटवीं क्लास से प्रोफेशनल और अन्य स्किल की शिक्षा भी दी जाएगी, साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर इंटर्नशिप भी कराई जाएगी.
  6. कक्षा पांचवी तक मातृभाषा में पढ़ाई होगी.
  7. नई नीति के तहत बच्चों का तीन स्तर पर आंकलन होगा, जिसमें छात्र, उसका सहपाठी और टीचर आंकलन करेंगे. इससे बच्चों की सीखने की क्षमता में सुधार होगा.
  8. नई नीति में M.PHIL कोर्स को खत्म कर दिया गया है, पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद सीधे पीएचडी की जा सकेगी.
  9. स्कूल और कॉलेजों की फीस पर नियंत्रण के लिए एक सिस्टम बनेगा.
  10. मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है.
  11. ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर दिया गया है.
  12. त्रिभाषा पर जोर दिया गया है, जिसमें संस्कृत को चुनने का ऑप्शन दिया जाएगा.

शाजापुर। देश में नई शिक्षा नीति को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार से चर्चा की. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने बताया कि प्री-प्राइमरी स्कूल से ऑनलाइन शिक्षा शुरू करने के लिए अनुमति दी जाएगी.

शिक्षा नीति पर चर्चा

शिक्षा शुल्क में संशोधन के लिए कार्रवाई की जा रही है, साथ ही जो प्राइवेट स्कूल फीस के नाम पर छात्रों के नाम काट रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल प्रदेश में अपना घर अपना विद्यालय के जरिए बच्चों को शिक्षा दी जा रही है, जिसमें और भी संशोधन किए जाएंगे. चर्चा में कहा गया कि कक्षा 12वीं में जिन स्कूलों का रिजल्ट डाउन रहा, उनकी समीक्षा कर उन्हें दिशा-निर्देश दिए जाएंगे.

नई शिक्षा नीति आज से लागू

भारत सरकार ने पहली बार शिक्षा नीति में परिवर्तन किया है. अभी तक अंग्रेजों ने जो शिक्षा नीति लागू की थी, उसी में संशोधन करके चलाया जा रहा था. भारत सरकार ने परिवर्तन कर मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया है. भारत सरकार की नई शिक्षा नीति में त्रिभाषा का फार्मूला काफी महत्वपूर्ण है. हर राज्य की अपनी राजकीय भाषा के साथ अंग्रेजी और संस्कृत अनिवार्य रूप से नई शिक्षा नीति का हिस्सा रहेगी. भारत सरकार की नई शिक्षा नीति पर अमल करते हुए आज से ही मध्यप्रदेश में काम शुरू किया जा रहा है. कक्षा छठवीं से ही छात्रों को व्यवसायिक शिक्षा दी जाएगी.

पहले 10+2 का फॉर्मेट चलता था, लेकिन अब स्कूल में 5+3+3+4 का फॉर्मेट तय किया गया है, जिसके तहत-

  1. पहले पांच साल में प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा एक और दो सहित फाउंडेशन स्टेज होगी.
  2. अगले तीन साल का स्टेज 3 से 5 वीं कक्षा तक होगा.
  3. कक्षा 6 से 8 तक मिडिल स्टेज आएगा, जो तीन साल का होगा.
  4. चौथा स्टेज कक्षा 9 से 12वीं तक होगा, जो चार साल तक चलेगा, इसमें छात्रों को सबजेक्ट चुनने का ऑप्शन होगा. विज्ञान या गणित के साथ फैशन डिजाइनिंग पढ़ने की आजादी भी होगी.
  5. अब छात्रों को छटवीं क्लास से प्रोफेशनल और अन्य स्किल की शिक्षा भी दी जाएगी, साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर इंटर्नशिप भी कराई जाएगी.
  6. कक्षा पांचवी तक मातृभाषा में पढ़ाई होगी.
  7. नई नीति के तहत बच्चों का तीन स्तर पर आंकलन होगा, जिसमें छात्र, उसका सहपाठी और टीचर आंकलन करेंगे. इससे बच्चों की सीखने की क्षमता में सुधार होगा.
  8. नई नीति में M.PHIL कोर्स को खत्म कर दिया गया है, पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद सीधे पीएचडी की जा सकेगी.
  9. स्कूल और कॉलेजों की फीस पर नियंत्रण के लिए एक सिस्टम बनेगा.
  10. मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है.
  11. ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर दिया गया है.
  12. त्रिभाषा पर जोर दिया गया है, जिसमें संस्कृत को चुनने का ऑप्शन दिया जाएगा.
Last Updated : Jul 30, 2020, 4:43 PM IST
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