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Vaishakh Month 2023: शुरू हो रहा वैशाख का महीना, इन कामों के करने से मिलेगा पाप और कष्टों से छुटकारा - वैशाख 6 अप्रैल से 5 मई तक रहेगा

हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार साल का दूसरा महीना वैशाख है, इस बार वैशाख 6 अप्रैल से 5 मई तक रहेगा. अपनी तमाम विशेषताओं के लिए खास माने जाने वाला वैशाख महीने में कुछ उपाय करने से पाप और कष्टों से छुटकारा मिलता है. आइए क्या हैं वो काम-

Vaishakh Month 2023
वैशाख माह 2023
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Published : Apr 5, 2023, 2:16 PM IST

शुरू हो रहा वैशाख का महीना

शहडोल। 6 अप्रैल से वैशाख का महीना शुरू हो रहा है और वैशाख के महीने में स्नान दान का महत्व अच्छा खासा है. शास्त्रों के जानकार और ज्योतिषियों की मानें तो वैशाख के महीने में अगर स्नान दान किया जाए, पूजा-पाठ किया जाए तो उसका बहुत पुण्य लाभ मिलता है. सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और लाभ ही लाभ होता है. आइए जानते हैं इस वैशाख के महीने में किस मुहूर्त में स्नान दान करें, किस मुहूर्त में पूजा करें और किस विधि से पूजा करें. आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से-

कलयुग में होती है ऐसी तपस्या: ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि "शास्त्रों के अनुसार पहले ऋषि मुनि लोग जो तपस्या करते थे, जंगलों में करते थे. लेकिन इस कलयुग में शास्त्रों में वर्णन किया गया है कि कार्तिक, माघ और वैशाख के महीने में तप करने के लिए कहा गया है. वैशाख महीने में उल्लेख है की सुबह 4:00 बजे उठकर पहले भगवान का स्मरण करें, इसके बाद नदी तालाब में जाकर या ताजा जल लेकर सूर्योदय के पहले स्नान करें. स्नान के बाद सूर्य की प्रतीक्षा करें, जैसे ही सूर्य की लालिमा दिखाई दे वैसे ही लोटे में जल लेकर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें. इसके बाद घर में आकर या मंदिर में जाकर शिव जी और विष्णु जी का पूजन करें, पूजन करने के बाद हवन अवश्य करें. एक माला से 108 बार शिव जी का नाम लेकर या विष्णु जी का नाम हवन लेकर करें, हवन करने के बाद भगवान को भोग लगाएं और आरती करें. ऐसा एक माह तक जो व्यक्ति करता है, उसे गंगा जी में 1 माह तक माघ के महीने में जो कल्पवास करते हैं, उसका फल देती हैं. जो लोग श्रीमद् भागवत कथा नहीं सुन पाते, वे मार्च के महीने में प्रातः कालीन स्नान कर करे भगवान की पूजा करते हैं उन्हें भागवत सुनने के बराबर ही फल मिलता है. इसके अलावा जो लोग 12 ज्योतिर्लिंगों का दर्शन नहीं कर पाते हैं, अगर वे वैशाख के महीने में सूर्योदय के पहले स्नान करके भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं तो उन्हें भी इसका संपूर्ण फल मिलता है."

वैशाख माह में बहुत से तपस्वी लोग करते हैं तपस्या: ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री के मुताबिक "बहुत से तपस्वी लोग इस वैशाख महीने में
तपस्या करते हैं. इस तपस्या में दोपहर के समय में अग्नि जलाकर बीच में बैठ कर के चारों तरफ से आग लगाई जाती है, इसके बाद एक घंटे तक जाप किया जाता हैं. यानी जलती आग के बीच बैठकर साधना करते हैं. हालांकि ये तपस्या ऋषि महात्मा करते हैं, लेकिन जो गृहस्थ वासी हैं उनके लिए वैशाख मास के लिए उल्लेख है कि जो पति हो, पत्नी हो, बूढ़े-बुजुर्ग हों, या नवयुवक हों वे सूर्योदय के पहले या सुबह 4:00 से 5:00 बजे के बीच में स्नान करके पूजा-पाठ करें इससे उन्हें लाभ अर्जित होगा."

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वैशाख माह में तपस्या करने से क्या होगा फायदा: ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि "जो इस तरह की साधना करते हैं, वैशाख महीने में पूजा-पाठ करते हैं उन्हें लाभ ही लाभ होता है. इस महीने की पूजा-पाठ से जाने-अनजाने में हो गए पाप से छुटकारा मिलता है. कभी भी असत्य बोल गए हैं या किसी बात का प्रायश्चित करना है, तो भी आप वैशाख माह में पूजा-पाठ कर सकते हैं. वैशाख माह में तपस्या करने के लाभ ही लाभ हैं.

शुरू हो रहा वैशाख का महीना

शहडोल। 6 अप्रैल से वैशाख का महीना शुरू हो रहा है और वैशाख के महीने में स्नान दान का महत्व अच्छा खासा है. शास्त्रों के जानकार और ज्योतिषियों की मानें तो वैशाख के महीने में अगर स्नान दान किया जाए, पूजा-पाठ किया जाए तो उसका बहुत पुण्य लाभ मिलता है. सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और लाभ ही लाभ होता है. आइए जानते हैं इस वैशाख के महीने में किस मुहूर्त में स्नान दान करें, किस मुहूर्त में पूजा करें और किस विधि से पूजा करें. आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से-

कलयुग में होती है ऐसी तपस्या: ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि "शास्त्रों के अनुसार पहले ऋषि मुनि लोग जो तपस्या करते थे, जंगलों में करते थे. लेकिन इस कलयुग में शास्त्रों में वर्णन किया गया है कि कार्तिक, माघ और वैशाख के महीने में तप करने के लिए कहा गया है. वैशाख महीने में उल्लेख है की सुबह 4:00 बजे उठकर पहले भगवान का स्मरण करें, इसके बाद नदी तालाब में जाकर या ताजा जल लेकर सूर्योदय के पहले स्नान करें. स्नान के बाद सूर्य की प्रतीक्षा करें, जैसे ही सूर्य की लालिमा दिखाई दे वैसे ही लोटे में जल लेकर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें. इसके बाद घर में आकर या मंदिर में जाकर शिव जी और विष्णु जी का पूजन करें, पूजन करने के बाद हवन अवश्य करें. एक माला से 108 बार शिव जी का नाम लेकर या विष्णु जी का नाम हवन लेकर करें, हवन करने के बाद भगवान को भोग लगाएं और आरती करें. ऐसा एक माह तक जो व्यक्ति करता है, उसे गंगा जी में 1 माह तक माघ के महीने में जो कल्पवास करते हैं, उसका फल देती हैं. जो लोग श्रीमद् भागवत कथा नहीं सुन पाते, वे मार्च के महीने में प्रातः कालीन स्नान कर करे भगवान की पूजा करते हैं उन्हें भागवत सुनने के बराबर ही फल मिलता है. इसके अलावा जो लोग 12 ज्योतिर्लिंगों का दर्शन नहीं कर पाते हैं, अगर वे वैशाख के महीने में सूर्योदय के पहले स्नान करके भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं तो उन्हें भी इसका संपूर्ण फल मिलता है."

वैशाख माह में बहुत से तपस्वी लोग करते हैं तपस्या: ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री के मुताबिक "बहुत से तपस्वी लोग इस वैशाख महीने में
तपस्या करते हैं. इस तपस्या में दोपहर के समय में अग्नि जलाकर बीच में बैठ कर के चारों तरफ से आग लगाई जाती है, इसके बाद एक घंटे तक जाप किया जाता हैं. यानी जलती आग के बीच बैठकर साधना करते हैं. हालांकि ये तपस्या ऋषि महात्मा करते हैं, लेकिन जो गृहस्थ वासी हैं उनके लिए वैशाख मास के लिए उल्लेख है कि जो पति हो, पत्नी हो, बूढ़े-बुजुर्ग हों, या नवयुवक हों वे सूर्योदय के पहले या सुबह 4:00 से 5:00 बजे के बीच में स्नान करके पूजा-पाठ करें इससे उन्हें लाभ अर्जित होगा."

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वैशाख माह में तपस्या करने से क्या होगा फायदा: ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि "जो इस तरह की साधना करते हैं, वैशाख महीने में पूजा-पाठ करते हैं उन्हें लाभ ही लाभ होता है. इस महीने की पूजा-पाठ से जाने-अनजाने में हो गए पाप से छुटकारा मिलता है. कभी भी असत्य बोल गए हैं या किसी बात का प्रायश्चित करना है, तो भी आप वैशाख माह में पूजा-पाठ कर सकते हैं. वैशाख माह में तपस्या करने के लाभ ही लाभ हैं.

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