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आदिवासी युवा का स्टार्टअप: लीज की जमीन पर की मशरूम की खेती, अब कमा रहे लाखों, युवाओं को दे रहे ट्रेनिंग

शहडोल जिले के भमरहा गांव के आदिवासी युवा भगतराम कोल युवाओं के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं. अपने गांव में ही लीज की जमीन पर मशरूम की खेती कर लाखों कमाने के साथ दूसरों को प्रेरणा दे रहे हैं, उनके काम से दूसरे युवा इथने प्रभावित हैं कि उनसे ट्रेनिंग लेने पहुंच रहे हैं.

मशरूम की खेती है फायदेमंद
मशरूम की खेती है फायदेमंद
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Published : Jun 25, 2021, 9:41 AM IST

Updated : Jul 2, 2021, 5:08 PM IST

शहडोल। शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है और यहां कुछ ऐसे आदिवासी युवा भी हैं जो अपने स्टार्टअप से दूसरों के लिए एक मिसाल बन रहे हैं, आज बात एक ऐसे ही आदिवासी युवा भगतराम कोल की, जो भमरहा ग्राम के रहने वाले हैं, जिनकी उम्र 35 साल है और उनका एजुकेशन कक्षा बारहवीं तक ही है, भले ही उनके पास कोई बिजनेस शुरू करने के लिए बड़ी पूंजी नहीं थी लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी, मशरूम की खेती करने का तरीका सीखकर और लीज की जमीन पर नया स्टार्टअप शुरू करके अब वे उससे लाखों रुपये कमा रहे हैं. आलम यह है कि दूसरे युवा भी अब उनसे सीखने पहुंच रहे हैं.

आदिवासी युवा ने पेश की मिसाल
आदिवासी युवा ने पेश की मिसाल

आदिवासी युवा का स्टार्टअप
भगतराम कोल भमरहा गांव के रहने वाले हैं, भमरहा गांव शहडोल जिला मुख्यालय से करीब 25 से 30 किलोमीटर दूर है, यह एरिया काली मिट्टी वाला एरिया है, यहां खेती किसानी खूब होती है, जहां सोयाबीन, मक्का, धान , उड़द , अरहर , गेहूं, सब्जियों की तरह तरह की फसलों की खेती प्रमुखता से की जाती है, लेकिन भगतराम कोल ने इन सबसे हटकर करीब तीन साल पहले मशरूम की खेती की शुरुआत की थी और आज अपने इसी नए स्टार्टअप से भगतराम कोल लाखों कमा रहे हैं.

मशरूम की खेती है फायदेमंद


भगतराम ने लीज पर जमीन लेकर शुरू की मशरूम की खेती
भगतराम कोल कहते हैं कि उनके पास बहुत पूंजी नहीं थी, वे गरीब थे और उन्हें मशरूम की खेती करना पसंद आया और वे नया स्टार्टअप शुरू करना चाहते थे, लेकिन उसके लिए भी उनके पास जमीन नहीं थी इसलिए उन्होंने एक रास्ता निकाला और अपने भमरहा गांव में ही 50 बाई 50 वर्गफीट की जमीन लीज पर ली, जिसका सालाना किराया 20 से 25 हज़ार रुपये वो देते हैं. फिर मशरूम की खेती के लिए उन्होंने वहां सेटअप तैयार किया. भगत राम कोल कहते हैं कि जब से उन्होंने अपना ये नया स्टार्टअप शुरू किया है, तभी से उनका काम बढ़िया चल रहा है और उनको मशरूम की खेती से बेनिफिट भी हो रहा है.

मशरूम की खेती है फायदेमंद
मशरूम की खेती है फायदेमंद
कृषि सम्मेलन में शामिल होने पर आया भगतराम को आइडियामशरूम की खेती के नए स्टार्टअप के बारे में भगतराम कोल बताते हैं की एक बार वो कृषि सम्मेलन में बिलासपुर गये थे, जहां पर उन्होंने देखा कि मशरूम की खेती बहुत ही अच्छे तरीके से कम जमीन पर वहां के कुछ लोग कर रहे हैं और लाभ कमा रहे हैं और उसे देखकर उन्हें भी लगा कि अपने ग़ांव में वो मशरूम की खेती कर सकते हैं. वहां से आकर फिर यहां घर में उन्होंने सलाह मशविरा किया और फिर से बिलासपुर गए, वहां से जब प्रशिक्षण लेकर आये, तो फिर यहां पर पहले तो वो छोटे पैमाने पर काम किया ,पहले दो से ढाई सौ बैग का ही काम किया और फिर धीरे- धीरे इसी काम को बढ़ाते- बढ़ाते वर्तमान में एक हज़ार बैग का शेड तैयार कर लिया है.मशरूम की खेती है फायदेमंद युवा किसान भगतराम कोल कहते हैं कि मशरूम की खेती काफी फायदेमंद है, इसमें बहुत ज्यादा जगह नहीं लगती, जिसके पास जमीन नहीं है, वह भी मशरूम की खेती कर सकता है और अगर आप करीब 1000 बैग में साल भर मशरूम की खेती करते हैं और 3 से 4 महीने के अंतराल में उसका कल्टीवेशन लगातार होता है तो एक साल में 6 से 7 लाख की इनकम किसान को हो सकती है. यह तो 1000 बैग का आंकड़ा है, अगर इसी की खेती को बड़ी तादाद में किया जाए तो जाहिर सी बात है किसान और ज्यादा पैसे कमा सकता है.

ऐसे करें मशरूम की खेती

पहले जो भी किसान भाई मशरूम की खेती करना चाहता है उसे ट्रेनिंग लेनी चाहिए फिर एक शेड का जरुरत होती है इसलिये एक शेड तैयार करें.इसके बाद मशरूम लगाने के लिए किसान को सबसे पहले उस हिसाब से उसका भूसा, स्पॉन, पन्नी, रबर खरीदना होगा और शेड बनाना होगा और भूसा को साफ करने के लिए एक टैंक बनाना होगा और भूसा भिगोने के बाद बैग स्पोइनिंग करने का प्रोसेस होता है, बैग स्पोइनिंग करने के बाद हैंगिंग तरीके से रख सकते हैं और रैक बनाकर भी इसको रखा जा सकता है,इस दौरान ह्यूमिडिटी 70 से 90 के बीच में रखना होता है और 22 से 28 के बीच में टेम्परेचर रखना होता है, इसके बाद 32 दिन में पहला हार्वेस्टिंग आप ले सकते हैं.

मशरूम की खेती का खर्च

किसान भगत लाल कोल मशरूम की खेती के खर्च के बारे में बताते हुए कहते हैं कि अगर एक हज़ार बैग की खेती करते हैं, तो शेड को छोड़कर बात करें तो मजदूरी और सामान को लेकर 35 से 40 हज़ार का खर्चा आता है.

कच्चा माल बेचने में है ज्यादा प्रॉफिट

युवा किसान भगतराम कोल कहते हैं कि तीन महीने में अगर हम उसका पूरा कच्चा माल बेचें तो कच्चे माल में ज्यादा प्रॉफिट होता है और अगर उसमें हम ड्राई माल बेचते हैं तो उसमें कम होता है. अगर हम एक हज़ार बैग का निकला हुआ कच्चा माल बेचते हैं तो ढाई से तीन लाख रुपए की इनकम है. अगर ड्राई माल बेचते हैं तो डेढ़ लाख के आसपास कीमत जाती है, उन्होने बताया कि 200 रुपये किलो मार्केट में फ्रेश मशरूम बिकता है और ड्राई मशरूम 600 से 700 रुपए क्वालिटी के हिसाब से बिकता है.


जहरीली सब्जियों का सेवन रोकने के लिए युवाओं का अनूठा स्टार्टअप, किचन गार्डन से सीधे घर-घर पहुंच रही सब्जियां


साल के 12 महीने करते हैं मशरूम की खेती
भगतराम कोल कहते हैं कि वे अब 12 महीने मशरूम की खेती का ही काम करते हैं और इसके अलावा वे कोई काम नहीं करते हैं. गर्मी में जरूर मशरूम की खेती में थोड़ी दिक्कत आती है, इसके लिए भी उन्होंने ड्रिप लगाकर वहां टेंपरेचर मेंटेन करने की व्यवस्था कर ली है.भगतराम कोल कहते हैं कि अभी लॉकडाउन के दौरान जरूर थोड़ी कमाई में दिक्कत आई है, अगर सामान्य दिनों में देखें और सब कुछ उत्पादन अच्छा होता रहा तो 12 महीने में 6 से 7 लाख की इनकम हो जाती है.

शहडोल। शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है और यहां कुछ ऐसे आदिवासी युवा भी हैं जो अपने स्टार्टअप से दूसरों के लिए एक मिसाल बन रहे हैं, आज बात एक ऐसे ही आदिवासी युवा भगतराम कोल की, जो भमरहा ग्राम के रहने वाले हैं, जिनकी उम्र 35 साल है और उनका एजुकेशन कक्षा बारहवीं तक ही है, भले ही उनके पास कोई बिजनेस शुरू करने के लिए बड़ी पूंजी नहीं थी लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी, मशरूम की खेती करने का तरीका सीखकर और लीज की जमीन पर नया स्टार्टअप शुरू करके अब वे उससे लाखों रुपये कमा रहे हैं. आलम यह है कि दूसरे युवा भी अब उनसे सीखने पहुंच रहे हैं.

आदिवासी युवा ने पेश की मिसाल
आदिवासी युवा ने पेश की मिसाल

आदिवासी युवा का स्टार्टअप
भगतराम कोल भमरहा गांव के रहने वाले हैं, भमरहा गांव शहडोल जिला मुख्यालय से करीब 25 से 30 किलोमीटर दूर है, यह एरिया काली मिट्टी वाला एरिया है, यहां खेती किसानी खूब होती है, जहां सोयाबीन, मक्का, धान , उड़द , अरहर , गेहूं, सब्जियों की तरह तरह की फसलों की खेती प्रमुखता से की जाती है, लेकिन भगतराम कोल ने इन सबसे हटकर करीब तीन साल पहले मशरूम की खेती की शुरुआत की थी और आज अपने इसी नए स्टार्टअप से भगतराम कोल लाखों कमा रहे हैं.

मशरूम की खेती है फायदेमंद


भगतराम ने लीज पर जमीन लेकर शुरू की मशरूम की खेती
भगतराम कोल कहते हैं कि उनके पास बहुत पूंजी नहीं थी, वे गरीब थे और उन्हें मशरूम की खेती करना पसंद आया और वे नया स्टार्टअप शुरू करना चाहते थे, लेकिन उसके लिए भी उनके पास जमीन नहीं थी इसलिए उन्होंने एक रास्ता निकाला और अपने भमरहा गांव में ही 50 बाई 50 वर्गफीट की जमीन लीज पर ली, जिसका सालाना किराया 20 से 25 हज़ार रुपये वो देते हैं. फिर मशरूम की खेती के लिए उन्होंने वहां सेटअप तैयार किया. भगत राम कोल कहते हैं कि जब से उन्होंने अपना ये नया स्टार्टअप शुरू किया है, तभी से उनका काम बढ़िया चल रहा है और उनको मशरूम की खेती से बेनिफिट भी हो रहा है.

मशरूम की खेती है फायदेमंद
मशरूम की खेती है फायदेमंद
कृषि सम्मेलन में शामिल होने पर आया भगतराम को आइडियामशरूम की खेती के नए स्टार्टअप के बारे में भगतराम कोल बताते हैं की एक बार वो कृषि सम्मेलन में बिलासपुर गये थे, जहां पर उन्होंने देखा कि मशरूम की खेती बहुत ही अच्छे तरीके से कम जमीन पर वहां के कुछ लोग कर रहे हैं और लाभ कमा रहे हैं और उसे देखकर उन्हें भी लगा कि अपने ग़ांव में वो मशरूम की खेती कर सकते हैं. वहां से आकर फिर यहां घर में उन्होंने सलाह मशविरा किया और फिर से बिलासपुर गए, वहां से जब प्रशिक्षण लेकर आये, तो फिर यहां पर पहले तो वो छोटे पैमाने पर काम किया ,पहले दो से ढाई सौ बैग का ही काम किया और फिर धीरे- धीरे इसी काम को बढ़ाते- बढ़ाते वर्तमान में एक हज़ार बैग का शेड तैयार कर लिया है.मशरूम की खेती है फायदेमंद युवा किसान भगतराम कोल कहते हैं कि मशरूम की खेती काफी फायदेमंद है, इसमें बहुत ज्यादा जगह नहीं लगती, जिसके पास जमीन नहीं है, वह भी मशरूम की खेती कर सकता है और अगर आप करीब 1000 बैग में साल भर मशरूम की खेती करते हैं और 3 से 4 महीने के अंतराल में उसका कल्टीवेशन लगातार होता है तो एक साल में 6 से 7 लाख की इनकम किसान को हो सकती है. यह तो 1000 बैग का आंकड़ा है, अगर इसी की खेती को बड़ी तादाद में किया जाए तो जाहिर सी बात है किसान और ज्यादा पैसे कमा सकता है.

ऐसे करें मशरूम की खेती

पहले जो भी किसान भाई मशरूम की खेती करना चाहता है उसे ट्रेनिंग लेनी चाहिए फिर एक शेड का जरुरत होती है इसलिये एक शेड तैयार करें.इसके बाद मशरूम लगाने के लिए किसान को सबसे पहले उस हिसाब से उसका भूसा, स्पॉन, पन्नी, रबर खरीदना होगा और शेड बनाना होगा और भूसा को साफ करने के लिए एक टैंक बनाना होगा और भूसा भिगोने के बाद बैग स्पोइनिंग करने का प्रोसेस होता है, बैग स्पोइनिंग करने के बाद हैंगिंग तरीके से रख सकते हैं और रैक बनाकर भी इसको रखा जा सकता है,इस दौरान ह्यूमिडिटी 70 से 90 के बीच में रखना होता है और 22 से 28 के बीच में टेम्परेचर रखना होता है, इसके बाद 32 दिन में पहला हार्वेस्टिंग आप ले सकते हैं.

मशरूम की खेती का खर्च

किसान भगत लाल कोल मशरूम की खेती के खर्च के बारे में बताते हुए कहते हैं कि अगर एक हज़ार बैग की खेती करते हैं, तो शेड को छोड़कर बात करें तो मजदूरी और सामान को लेकर 35 से 40 हज़ार का खर्चा आता है.

कच्चा माल बेचने में है ज्यादा प्रॉफिट

युवा किसान भगतराम कोल कहते हैं कि तीन महीने में अगर हम उसका पूरा कच्चा माल बेचें तो कच्चे माल में ज्यादा प्रॉफिट होता है और अगर उसमें हम ड्राई माल बेचते हैं तो उसमें कम होता है. अगर हम एक हज़ार बैग का निकला हुआ कच्चा माल बेचते हैं तो ढाई से तीन लाख रुपए की इनकम है. अगर ड्राई माल बेचते हैं तो डेढ़ लाख के आसपास कीमत जाती है, उन्होने बताया कि 200 रुपये किलो मार्केट में फ्रेश मशरूम बिकता है और ड्राई मशरूम 600 से 700 रुपए क्वालिटी के हिसाब से बिकता है.


जहरीली सब्जियों का सेवन रोकने के लिए युवाओं का अनूठा स्टार्टअप, किचन गार्डन से सीधे घर-घर पहुंच रही सब्जियां


साल के 12 महीने करते हैं मशरूम की खेती
भगतराम कोल कहते हैं कि वे अब 12 महीने मशरूम की खेती का ही काम करते हैं और इसके अलावा वे कोई काम नहीं करते हैं. गर्मी में जरूर मशरूम की खेती में थोड़ी दिक्कत आती है, इसके लिए भी उन्होंने ड्रिप लगाकर वहां टेंपरेचर मेंटेन करने की व्यवस्था कर ली है.भगतराम कोल कहते हैं कि अभी लॉकडाउन के दौरान जरूर थोड़ी कमाई में दिक्कत आई है, अगर सामान्य दिनों में देखें और सब कुछ उत्पादन अच्छा होता रहा तो 12 महीने में 6 से 7 लाख की इनकम हो जाती है.

Last Updated : Jul 2, 2021, 5:08 PM IST
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