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दिवाली में बड़ा महत्व रखते हैं सेमल के तीन पत्ते, आखिर क्यों निभाई जाती है ये परंपरा

आदिवासी अंचल के शहडोल जिले में निभाई जाती है सेमल के तीन पत्तों से एक अनोखी परंपरा, गांव के चरवाहे हर घर के दरवाजे लगाते हैं. जानिए इन पत्तों का महत्व और क्या है परंपरा...

Importance of three leaves of semal
सेमल के तीन पत्तों का महत्व
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Published : Nov 14, 2020, 9:36 PM IST

शहडोल। हमारा देश कई संस्कृतियों को मिलकर बना हुआ है. यहां हर पर्व में अलग-अलग रीति रिवाज, संस्कृति और परंपरा यहां देखने को मिलती है. ऐसा ही है मध्य प्रदेश के आदिवासी अंचल में बसा शहडोल जिला, जहां कई रीति रिवाज परंपराएं संस्कृति देखने को मिलती हैं. ऐसी एक परंपरा है सेमल के तीन पत्तों से निभाई जाने वाली परंपरा. जाने आखिर क्या वजह है कि सेमल के 3 पत्तों को दिवाली के दिन दरवाजों पर लगाया जाता है.

दिवाली में निभाई जाने वाली परंपरा

क्या है परंपरा

इस परंपरा में गांव के चरवाहे अपने किसानों के घरों के दरवाजों और गौशाला में सेमल के तीन पत्ते लगाते हैं और अगर वह कभी भूल गए तो उन्हें बुलाकर लगवाया जाता है. जिसके बाद उन्हें सीदा ( खाने का कच्चा सामान दाल, चावल, सब्जी मसाले ) और रुपये दिए जाते हैं.

Importance of three leaves of semal
आदिवासी अंचल

शुभ होता है सेमल का पत्ता

गांव के लोग उस प्रक्रिया को करवाने को बहुत शुभ मानते हैं और ऐसा माना जाता है कि सेमल के तीन पत्तों से दिवाली के मौके में ये परंपरा निभाने से साल भर घर में लक्ष्मी का वास होता है और घर में शुख शांति बनी रहती है. चरवाहा रद्दू ने बताया कि वे इस परंपरा को बचपन से निभाते आ रहे हैं.

Importance of three leaves of semal
सेमल के तीन पत्तों से निभाई जाने वाली परंपरा

सेमल के तीन पत्तों का महत्व

इस परंपरा को लेकर पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि शास्त्रों में भी यह वर्णित है कि सेमल के तीन पत्ते लगा देने से उस घर में रोग व्याधि नहीं होती है. पशु सुरक्षित रहते हैं साथ में मानव जीवन भी सुरक्षित रहता है. उस घर में अलाय बलाय भूत टोना जादू यह सब प्रवेश नहीं होते हैं. घर में सुख समृद्धि बनी रहती है.

क्या है मान्यता

सेमल के तीन पत्ते के महत्व को समझाते हुए पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि यह तीन शक्तियां होती हैं. ब्रह्मा-विष्णु-महेश इसी तरह सुबह दोपहर शाम तीन काल का भी प्रतीक है. 3 शक्तियां इकट्ठी दिवाली के रोज सेमल के पत्ते पर ही विराजमान होती हैं. इसलिए सेमल का पत्ता घरों के दरवाजों पर लगाना शुभ माना जाता है.

शहडोल। हमारा देश कई संस्कृतियों को मिलकर बना हुआ है. यहां हर पर्व में अलग-अलग रीति रिवाज, संस्कृति और परंपरा यहां देखने को मिलती है. ऐसा ही है मध्य प्रदेश के आदिवासी अंचल में बसा शहडोल जिला, जहां कई रीति रिवाज परंपराएं संस्कृति देखने को मिलती हैं. ऐसी एक परंपरा है सेमल के तीन पत्तों से निभाई जाने वाली परंपरा. जाने आखिर क्या वजह है कि सेमल के 3 पत्तों को दिवाली के दिन दरवाजों पर लगाया जाता है.

दिवाली में निभाई जाने वाली परंपरा

क्या है परंपरा

इस परंपरा में गांव के चरवाहे अपने किसानों के घरों के दरवाजों और गौशाला में सेमल के तीन पत्ते लगाते हैं और अगर वह कभी भूल गए तो उन्हें बुलाकर लगवाया जाता है. जिसके बाद उन्हें सीदा ( खाने का कच्चा सामान दाल, चावल, सब्जी मसाले ) और रुपये दिए जाते हैं.

Importance of three leaves of semal
आदिवासी अंचल

शुभ होता है सेमल का पत्ता

गांव के लोग उस प्रक्रिया को करवाने को बहुत शुभ मानते हैं और ऐसा माना जाता है कि सेमल के तीन पत्तों से दिवाली के मौके में ये परंपरा निभाने से साल भर घर में लक्ष्मी का वास होता है और घर में शुख शांति बनी रहती है. चरवाहा रद्दू ने बताया कि वे इस परंपरा को बचपन से निभाते आ रहे हैं.

Importance of three leaves of semal
सेमल के तीन पत्तों से निभाई जाने वाली परंपरा

सेमल के तीन पत्तों का महत्व

इस परंपरा को लेकर पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि शास्त्रों में भी यह वर्णित है कि सेमल के तीन पत्ते लगा देने से उस घर में रोग व्याधि नहीं होती है. पशु सुरक्षित रहते हैं साथ में मानव जीवन भी सुरक्षित रहता है. उस घर में अलाय बलाय भूत टोना जादू यह सब प्रवेश नहीं होते हैं. घर में सुख समृद्धि बनी रहती है.

क्या है मान्यता

सेमल के तीन पत्ते के महत्व को समझाते हुए पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि यह तीन शक्तियां होती हैं. ब्रह्मा-विष्णु-महेश इसी तरह सुबह दोपहर शाम तीन काल का भी प्रतीक है. 3 शक्तियां इकट्ठी दिवाली के रोज सेमल के पत्ते पर ही विराजमान होती हैं. इसलिए सेमल का पत्ता घरों के दरवाजों पर लगाना शुभ माना जाता है.

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