शहडोल। गर्मी के सीजन की शुरुआत हो चुकी है, सूर्यदेव की तपिश से लोगों का हाल बेहाल है, तापमान 42 पार जा रहा है, दोपहर के समय में सड़कें सूनी हो जा रही हैं. ऐसे में हर कोई गर्मी के सीजन की शुरुआत होते ही उससे बचने के उपाय करने लगता है. ऐसे में आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव से जानिए गर्मी के सीजन में कौन से काम करें और कौन से काम न करें, जिससे सेहत बना रहेगा दुरुस्त, रहेंगे निरोगी.
गर्मी के सीजन में करें ये काम: आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव बताते हैं कि गर्मी का सीजन जब आता है तो सबसे ज्यादा समस्या होती है डिहाइड्रेशन की जिसका मतलब होता है टिशू से वाटर और मिनरल्स का लेवल कम हो जाना, यही जो मिनरल्स होते हैं वो अपने शरीर के चय अपचय क्रिया में काफी योगदान प्रदान करते हैं. गर्मी में शरीर से पसीना ज्यादा आता है पसीने के साथ में नमक भी ज्यादा निकलता है साथ में मिनरल्स भी निकलते हैं, इस कंडीशन में हमें रिहाइड्रेट रहने के तरीके देखने चाहिए.
जैसे कि गर्मी के समय में अगर खानपान की बात करें जो भोजन आसानी से पच जाए इस तरह के भोजन ही करें गरिष्ठ भोजन के सेवन को अवॉइड करना चाहिए. दूसरा ऐसी चीजों का सेवन बढ़ा देना चाहिए जिनमें वाटर कंटेंट की मात्रा ज्यादा हो जैसे कि गर्मी के समय में तरबूज हो गया, खरबूज हो गया, कलिंदर हो गया दोपहर के समय में नारियल पानी भी पी सकते हैं. गर्मी के सीजन में खासतौर पर पेय पदार्थों का प्रयोग बढ़ा देना चाहिए, गर्मी के समय में लू लगने की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. अपने चेहरे को अपने बॉडी को जितना हो सके गर्म हवा और सीधे गर्म सूर्य की किरणों से बचा कर रखें.
बच्चे और बुजुर्ग खासतौर पर डायरेक्ट हीट में या डायरेक्ट सूर्य की किरणों में जितना हो सके कम से कम निकलना चाहिए. बरसात में छाते का उपयोग करते हैं, गर्मी में भी छाता का उपयोग सूर्य की किरणों से बचने के लिए करना चाहिए, क्योंकि सनस्ट्रोक के कारण सबसे ज्यादा समस्या आती है डिहाइड्रेशन की, और डी हाइड्रेशन में चित्त विभ्रन्स होने लग जाता है, बहुत कॉन्शियस लॉस होने लग जाता है, इसी कारण, गर्मी में थोड़ा धूप से बचना चाहिए.
गर्मी में रात छोटी होती है इसलिए दोपहर में थोड़ा आराम किया जा सकता है रेस्ट लिया जा सकता है, क्योंकि रात में नींद पूरी नहीं हो पाती सूर्य जल्दी निकल जाता है, संस्कृत में इसे अदानकाल बोलते हैं, आदान काल में शरीर का बल क्षय होता है, तो बल में वृद्धि करने के लिए दुग्ध पदार्थ जो भी चीजें चीजें स्वाद वाली हों उनका उपयोग करना चाहिए.
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रही बात इंफेक्शन की तो हालांकि गर्मी के इस मौसम में इन्फेक्शन कम होता है, लूज मोशन की और उल्टी की टेंडेंसी बढ़ जाती है इसके लिए जितना हो सके आप खुद को रिहाइड्रेट रखें पानी खूब पियें और पानी के साथ-साथ पानी से भरे फ्रूट्स जो होते हैं उनका उपयोग ज्यादा से ज्यादा करें.
गर्मी के समय में शरीर का बल मध्यम होता है ताकत कम होती है इसलिए इस समय व्यायाम भी व्यक्ति को थोड़ा कम ही करना चाहिए कोशिश करना चाहिए कि सूर्योदय के समय जब हीट कम हो गर्मी कम हो तभी व्यायाम करें.
आयुर्वेद में निर्देशित है कि ग्रीष्म काल में कम व्यायाम का ही सेवन करना चाहिए कोशिश करें कि अर्ली मॉर्निंग सुबह-सुबह ही वॉक करें रन करें सुबह-सुबह योगासन प्राणायाम करें.
रात्रि के समय में हाथ पैरों की मालिश अवश्य करें. खासकर वो पेशेंट जिनके पैरों में जलन हो तो घी की मालिश करें. गर्मी में निद्रानाश होता है इसलिए सर में ठंडे तेल की मालिश अवश्य करें. कोकोनट ऑयल के मालिश से अच्छा फायदा होता है.
गर्मी के समय में न करें ये काम: आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव बताते हैं कि गर्मी के समय में शरीर में बल कम होता और पाचन क्रिया भी शिथिल होती है. पाचन क्रिया में भारी पड़ने वाली चीजों का सेवन कम कर देना चाहिए, जैसे नॉनवेज, बेकरी, पनीर, इनका सेवन कम कर देना चाहिए. जैसे ही तापमान कम होता तो गरम मसाले और स्पाइसी चीजों का सेवन भी कम कर देना चाहिए, कोशिश करना चाहिए कि लघु सुपाच्य भोजन लें, पोषक तत्वों से युक्त आहार ही ले क्योंकि इस समय जो बीमारियां होती है वह क्षयज बीमारियां ज्यादा होती हैं. भोजन मध्यम मात्रा में करें आखंड पान नहीं करनी चाहिए.
गर्मी के सीजन में ज्यादा परेशान ना होने के लिए खुद को शीतल रखने की कोशिश करें और कोशिश करें कि अचानक ठंड से गर्म में और गर्म से अचानक ठंड में ना आएं, शीतल जलपान करके तुरंत बाहर घर से ना निकलें और जैसे ही घर के अंदर आते हैं तो शरीर को थोड़ा नॉर्मल हो जाने दो उसके बाद ही शीतल जल पान का सेवन करें.