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आजादी के वो किस्से...जब छोटेलाल पटेल ने मजिस्ट्रेट की कुर्सी पर बैठकर किया था स्वतंत्र भारत का ऐलान - Independence Day 15 August 2020

देश की आजादी की कई अनसुनी और अनकही कहानियां हैं. संघर्ष, बलिदान, त्याग और तपस्या के बाद देश आजाद हुआ. कई ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी रहे, जिन्होंने देश की आजादी के लिए संघर्ष किया, अलख जगाई और आज भी उनके किस्से और कहानियां अनसुनी और अनकही है इन्हीं में से एक हैं, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छोटेलाल पटेल.

Freedom fighter fighter Chhotalal Patel.
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छोटेलाल पटेल
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Published : Aug 14, 2020, 9:01 PM IST

शहडोल। भारत को आजादी यूं ही नहीं मिली, इसके पीछे कई लोगों के बलिदान और कई लोगों की लंबी लड़ाई, आजादी के लिए संघर्ष की गाथा छिपी है. तब जाकर देश को आजादी मिली और आज हम आजाद भारत के नागरिक हैं. आजादी की इस लड़ाई में शहडोल से भी कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हुए. जिसमें से एक थे छोटेलाल पटेल जिनकी कहानी आज भी कई लोगों के लिए अनुसूनी और अनकही है.

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छोटेलाल पटेल की अनसुनी कहानी

यह ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, जिन्होंने मजिस्ट्रेट की कुर्सी पर बैठकर ही स्वतंत्र भारत की अदालत का ऐलान कर दिया था, इसके बाद उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. लेकिन इनके इस कार्य ने लोगों में आजादी के प्रति जोश भर दिया था. छोटेलाल पटेल ने शिक्षा के क्षेत्र में बहुत काम किया. वो खुद भी विधायक रह चुके हैं और आज भी उन्हें याद किया जाता है.

Freedom fighter fighter Chhotalal Patel
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छोटेलाल पटेल

जब मजिस्ट्रेट की कुर्सी पर बैठकर कर दिया आजादी का ऐलान

रिटायर्ड प्रोफेसर बीपी पटेल जो खुद उनसे प्रेरित हैं और अपने कुछ किताबों में उनका जिक्र भी किया है. वो छोटेलाल पटेल के बारे में बताते हैं कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छोटेलाल पटेल ने 1920 से गांधी जी से काफी प्रेरित होकर गांधी टोपी पहनना शुरू कर दिया था और जुलाई 1930 में वे पहली बार जेल गए थे.

Chhote Lal Patel has done a lot of work in the field of education as an MLA.
छोटेलाल पटेल ने विधायक रहते शिक्षा के क्षेत्र में काफी काम किया है

प्रोफेसर बीपी पटेल भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छोटेलाल पटेल से काफी प्रेरित हैं. उनके बारे में वह बताते हैं वैसे तो उनके बारे में उन्हें कई किस्से मालूम हैं. लेकिन एक किस्से का जिक्र करते हुए वह कहते हैं-

Retired professor BP Patel is himself inspired by freedom fighter fighter Chhotalal Patel
रिटायर्ड प्रोफेसर बीपी पटेल खुद स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छोटेलाल पटेल से प्रेरित हैं

छोटेलाल पटेल जी आजन्म देश प्रेमी थे. उन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ने के लिए उनके यहां एक प्रताप पेपर करके आता था. उसे पढ़कर वो काफी प्रभावित हुए थे और 1930 में जंगल सत्याग्रह में उमरिया जाकर अपनी गिरफ्तारी दी थी. वहीं से स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े, वो गांधी जी के बहुत बड़े भक्त थे और गांधी के आदेश के अनुसार ही वह पूरे रीवा संभाग में सदस्यता अभियान चलाते रहे.

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छोटेलाल पटेल को याद करते हुए कहते हैं कि उनके मन में एक बड़ी तीव्र अभिलाषा थी कि देश हमारा आजाद हो और इसी आजादी की तमन्ना के चलते उन्हें जब यहां से जिला बदर कर दिया गया था. तो वह कटनी रहने लगे थे और कटनी से उन्हें सरस्वती पटेल, दान बहादुर सिंह, पंडित शंभूनाथ शुक्ला ने उन्हें बुलाया और वो कटनी से मालगाड़ी में बैठकर आ गए.

बुढ़ार में आकर सरस्वती प्रसाद पटेल के मकान में रुके और फिर 1942 में 18 अगस्त को सुबह 7 बजे वह बुढार के अदालत में जाकर जहां मजिस्ट्रेटी लगती थी. वहां पर मजिस्ट्रेट की कुर्सी में जाकर बैठ गए और वहां जाकर कहा कि मैं स्वतंत्र भारत का प्रथम मजिस्ट्रेट हूं. आज आप लोग सारी फाइलें मेरे पास लाएं.

सारे बाबू फाइल लेकर पहुंच गए और जैसे ही फाइल लेकर बाबू पहुंचे तो उन्होंने लिख दिया कि आज की पेशी कल तक के लिए मुल्तवी की जाती है और आज हमारा देश आजाद हो गया है. इतना कहते ही मजिस्ट्रेट को पता लगा मजिस्ट्रेट तुरंत वहां पहुंचे और उन्होंने छोटलाल पटेल जी अरेस्ट करा दिया और 2 साल के कठोर कारावास में रीवा सेंट्रल जेल में उन्हें रखा गया था.

छोटलाल पटेल के बारे में प्रोफेसर बीपी पटेल बताते हैं कि छोटेलाल पटेल कक्षा 3 तक ही पढ़े थे. लेकिन उनमें काम करने की तत्परता बहुत ज्यादा थी और उसी तत्परता के चलते स्वतंत्रता संग्राम में उन्हें कम से कम 10 बार जेल जाना पड़ा था.

कई किताबों में जिक्र

प्रोफेसर बीपी पटेल ने खुद उनका जिक्र अपनी पुस्तक में किया है. इसके अलावा 'मेरी कही सुनी' किताब में भी उनका जिक्र किया गया है. इसके अलावा भी कई पुस्तकों में उनका जिक्र है. उनके स्वतंत्रता की लड़ाई के किस्सों का जिक्र है.

शिक्षक छेदीलाल सिंह द्वारा क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय पटेल की लिखी आत्मकथा में इसका उल्लेख किया गया है कि अगस्त 1942 में देश में भारत छोड़ो आंदोलन की अलख जग चुकी थी. इसी दौरान छोटेलाल पटेल ने भरी सभा में अंग्रेजों के खिलाफ भाषण दिया था. जिस पर उनके खिलाफ वारंट जारी हो गया था. उनकी गिरफ्तारी होनी थी, इसके अलावा उन्होंने सत्याग्रह और अन्य आंदोलनों में हिस्सा लिया. ऐसे कई आंदोलनों में हिस्सा लेकर स्वतंत्रता के संग्राम में अपना नाम दर्ज कराया.

छोटेलाल पटेल का जन्म

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छोटेलाल पटेल का जन्म मौज़ूदा उमरिया जिले के मानपुर के ग्राम सिगुड़ी में 1905 में हुआ था और 3 मई 1988 को उनका देहावसान हुआ. उमरिया जिले के सिगुडी में उनकी प्रतिमा स्थापित की गई है. यूपी के घूरपुर में एक धर्मशाला में भी उनकी प्रतिमा लगाई गई थी.

आजादी के बाद की जनसेवा

आजादी के बाद स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छोटेलाल पटेल ने अपना पूरा जीवन जन सेवा में लगा दिया. छोटेलाल पटेल भले ही बहुत ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे. लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने बहुत काम किया है और क्षेत्र में शिक्षा का विकास करने के लिए बहुत सारे संस्थान भी खोले.

छोटेलाल पटेल 1956 से 1961 तक विधायक भी रहे. तत्कालीन अमरपुर विधानसभा सीट से वह विधायक बने थे, प्रोफेसर बीपी पटेल उनके बारे में बताते हैं कि उन्होंने अपने जीवन काल में बहुत कुछ काम किया.

उनकी स्मृति में बना ट्रस्ट

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छोटेलाल पटेल की जीवनशैली से अनेक लोग प्रेरित थे और उन्हीं में से एक हैं प्रोफेसर बीपी पटेल. समाज के सहयोग से शहडोल के पटेल नगर में छोटेलाल पटेल स्मारक चैरिटेबल ट्रस्ट भी बनवाया गया है. इन्हीं के नाम पर छात्रावास का निर्माण कराया गया है. यहां पर 15 अगस्त और 26 जनवरी को ध्वजारोहण और अन्य कार्यक्रम होते हैं. प्रोफेसर पटेल ने बताया कि स्वतंत्रता सेनानी पटेल आखिरी समय तक जनता की सेवा में लगे रहे.

शहडोल। भारत को आजादी यूं ही नहीं मिली, इसके पीछे कई लोगों के बलिदान और कई लोगों की लंबी लड़ाई, आजादी के लिए संघर्ष की गाथा छिपी है. तब जाकर देश को आजादी मिली और आज हम आजाद भारत के नागरिक हैं. आजादी की इस लड़ाई में शहडोल से भी कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हुए. जिसमें से एक थे छोटेलाल पटेल जिनकी कहानी आज भी कई लोगों के लिए अनुसूनी और अनकही है.

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छोटेलाल पटेल की अनसुनी कहानी

यह ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, जिन्होंने मजिस्ट्रेट की कुर्सी पर बैठकर ही स्वतंत्र भारत की अदालत का ऐलान कर दिया था, इसके बाद उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. लेकिन इनके इस कार्य ने लोगों में आजादी के प्रति जोश भर दिया था. छोटेलाल पटेल ने शिक्षा के क्षेत्र में बहुत काम किया. वो खुद भी विधायक रह चुके हैं और आज भी उन्हें याद किया जाता है.

Freedom fighter fighter Chhotalal Patel
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छोटेलाल पटेल

जब मजिस्ट्रेट की कुर्सी पर बैठकर कर दिया आजादी का ऐलान

रिटायर्ड प्रोफेसर बीपी पटेल जो खुद उनसे प्रेरित हैं और अपने कुछ किताबों में उनका जिक्र भी किया है. वो छोटेलाल पटेल के बारे में बताते हैं कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छोटेलाल पटेल ने 1920 से गांधी जी से काफी प्रेरित होकर गांधी टोपी पहनना शुरू कर दिया था और जुलाई 1930 में वे पहली बार जेल गए थे.

Chhote Lal Patel has done a lot of work in the field of education as an MLA.
छोटेलाल पटेल ने विधायक रहते शिक्षा के क्षेत्र में काफी काम किया है

प्रोफेसर बीपी पटेल भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छोटेलाल पटेल से काफी प्रेरित हैं. उनके बारे में वह बताते हैं वैसे तो उनके बारे में उन्हें कई किस्से मालूम हैं. लेकिन एक किस्से का जिक्र करते हुए वह कहते हैं-

Retired professor BP Patel is himself inspired by freedom fighter fighter Chhotalal Patel
रिटायर्ड प्रोफेसर बीपी पटेल खुद स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छोटेलाल पटेल से प्रेरित हैं

छोटेलाल पटेल जी आजन्म देश प्रेमी थे. उन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ने के लिए उनके यहां एक प्रताप पेपर करके आता था. उसे पढ़कर वो काफी प्रभावित हुए थे और 1930 में जंगल सत्याग्रह में उमरिया जाकर अपनी गिरफ्तारी दी थी. वहीं से स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े, वो गांधी जी के बहुत बड़े भक्त थे और गांधी के आदेश के अनुसार ही वह पूरे रीवा संभाग में सदस्यता अभियान चलाते रहे.

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छोटेलाल पटेल को याद करते हुए कहते हैं कि उनके मन में एक बड़ी तीव्र अभिलाषा थी कि देश हमारा आजाद हो और इसी आजादी की तमन्ना के चलते उन्हें जब यहां से जिला बदर कर दिया गया था. तो वह कटनी रहने लगे थे और कटनी से उन्हें सरस्वती पटेल, दान बहादुर सिंह, पंडित शंभूनाथ शुक्ला ने उन्हें बुलाया और वो कटनी से मालगाड़ी में बैठकर आ गए.

बुढ़ार में आकर सरस्वती प्रसाद पटेल के मकान में रुके और फिर 1942 में 18 अगस्त को सुबह 7 बजे वह बुढार के अदालत में जाकर जहां मजिस्ट्रेटी लगती थी. वहां पर मजिस्ट्रेट की कुर्सी में जाकर बैठ गए और वहां जाकर कहा कि मैं स्वतंत्र भारत का प्रथम मजिस्ट्रेट हूं. आज आप लोग सारी फाइलें मेरे पास लाएं.

सारे बाबू फाइल लेकर पहुंच गए और जैसे ही फाइल लेकर बाबू पहुंचे तो उन्होंने लिख दिया कि आज की पेशी कल तक के लिए मुल्तवी की जाती है और आज हमारा देश आजाद हो गया है. इतना कहते ही मजिस्ट्रेट को पता लगा मजिस्ट्रेट तुरंत वहां पहुंचे और उन्होंने छोटलाल पटेल जी अरेस्ट करा दिया और 2 साल के कठोर कारावास में रीवा सेंट्रल जेल में उन्हें रखा गया था.

छोटलाल पटेल के बारे में प्रोफेसर बीपी पटेल बताते हैं कि छोटेलाल पटेल कक्षा 3 तक ही पढ़े थे. लेकिन उनमें काम करने की तत्परता बहुत ज्यादा थी और उसी तत्परता के चलते स्वतंत्रता संग्राम में उन्हें कम से कम 10 बार जेल जाना पड़ा था.

कई किताबों में जिक्र

प्रोफेसर बीपी पटेल ने खुद उनका जिक्र अपनी पुस्तक में किया है. इसके अलावा 'मेरी कही सुनी' किताब में भी उनका जिक्र किया गया है. इसके अलावा भी कई पुस्तकों में उनका जिक्र है. उनके स्वतंत्रता की लड़ाई के किस्सों का जिक्र है.

शिक्षक छेदीलाल सिंह द्वारा क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय पटेल की लिखी आत्मकथा में इसका उल्लेख किया गया है कि अगस्त 1942 में देश में भारत छोड़ो आंदोलन की अलख जग चुकी थी. इसी दौरान छोटेलाल पटेल ने भरी सभा में अंग्रेजों के खिलाफ भाषण दिया था. जिस पर उनके खिलाफ वारंट जारी हो गया था. उनकी गिरफ्तारी होनी थी, इसके अलावा उन्होंने सत्याग्रह और अन्य आंदोलनों में हिस्सा लिया. ऐसे कई आंदोलनों में हिस्सा लेकर स्वतंत्रता के संग्राम में अपना नाम दर्ज कराया.

छोटेलाल पटेल का जन्म

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छोटेलाल पटेल का जन्म मौज़ूदा उमरिया जिले के मानपुर के ग्राम सिगुड़ी में 1905 में हुआ था और 3 मई 1988 को उनका देहावसान हुआ. उमरिया जिले के सिगुडी में उनकी प्रतिमा स्थापित की गई है. यूपी के घूरपुर में एक धर्मशाला में भी उनकी प्रतिमा लगाई गई थी.

आजादी के बाद की जनसेवा

आजादी के बाद स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छोटेलाल पटेल ने अपना पूरा जीवन जन सेवा में लगा दिया. छोटेलाल पटेल भले ही बहुत ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे. लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने बहुत काम किया है और क्षेत्र में शिक्षा का विकास करने के लिए बहुत सारे संस्थान भी खोले.

छोटेलाल पटेल 1956 से 1961 तक विधायक भी रहे. तत्कालीन अमरपुर विधानसभा सीट से वह विधायक बने थे, प्रोफेसर बीपी पटेल उनके बारे में बताते हैं कि उन्होंने अपने जीवन काल में बहुत कुछ काम किया.

उनकी स्मृति में बना ट्रस्ट

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छोटेलाल पटेल की जीवनशैली से अनेक लोग प्रेरित थे और उन्हीं में से एक हैं प्रोफेसर बीपी पटेल. समाज के सहयोग से शहडोल के पटेल नगर में छोटेलाल पटेल स्मारक चैरिटेबल ट्रस्ट भी बनवाया गया है. इन्हीं के नाम पर छात्रावास का निर्माण कराया गया है. यहां पर 15 अगस्त और 26 जनवरी को ध्वजारोहण और अन्य कार्यक्रम होते हैं. प्रोफेसर पटेल ने बताया कि स्वतंत्रता सेनानी पटेल आखिरी समय तक जनता की सेवा में लगे रहे.

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