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किसानों के लिए वरदान है ये पद्धति, ऐसे दोगुना कर सकते हैं धान का उत्पादन

किसानों को भी वक्त के साथ बदलने से ही बदलाव संभव है, आधुनिकता के साथ बढ़ती तकनीक और खेती की नई पद्धति अपनाकर ही किसान खेती को लाभ का धंधा बना सकते हैं. खरीफ के सीजन में श्री पद्धति से धान की रोपाई करने से धान का उत्पादन लगभग 30 से 35 क्विन्टल प्रति एकड़ होता है, जबकि सामान्य विधि से रोपाई करने से उत्पादन लगभग 15 से 20 क्विंटल प्रति एकड़ पर ही रुक जाता है.

Sri method is very good for more paddy crop production
धान की रोपाई
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Published : Jul 15, 2021, 5:58 PM IST

शहडोल। खरीफ का सीजन चल रहा है, शहडोल जिले में धान की खेती सबसे ज्यादा रकबे में की जाती है, हर छोटा-बड़ा किसान धान की खेती प्रमुखता से करता है, देखा जाए तो पिछले कुछ दिनों से अच्छी बारिश नहीं हो रही है, जिससे किसानों की चिंता बढ़ने लगी है, जिन किसानों के पास पानी की व्यवस्था है, वो रोपाई का कार्य शुरू भी कर चुके हैं. अगर आप भी धान की रोपाई करने जा रहे हैं तो यह खबर बिल्कुल आपके लिए ही है, कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक इस विशेष पद्धति से रोपाई करके बंपर पैदावार की जा सकती है, जिससे फसलों का उत्पादन अपने आप ही बढ़ जाएगा.

आरपी झारिया, कृषि उपसंचालक

कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी झारिया बताते हैं कि जिले में लगभग सामान्य वर्षा है, विगत वर्ष इन्हीं दिनों 297.9 मिलीमीटर वर्षा हुई थी, जबकि वर्तमान में 296 मिलीमीटर वर्षा हो चुकी है, जबकि जिले की औसत वर्षा 1211.7 मिलीमीटर है. इसलिए वर्षा को कम नहीं कहा जा सकता है. जिन किसानों की धान की नर्सरी 12 से 15 दिन की हो चुकी है वो किसान श्री पद्धति से धान की रोपाई करें, इस विधि से धान की रोपाई करने से अच्छा उत्पादन होगा.

Sri method is very good for more paddy crop production
जुताई करता किसान

किसानों के लिए प्रकृति का वरदान है जलीय फर्न एजोला, शून्य लागत में भी देता है चौतरफा लाभ

रोपाई की इस विधि से होगी बम्पर पैदावार

झारिया बताते हैं कि अगर किसान धान की रोपाई विशेष पद्धति (श्री पद्धति) से करें तो बम्पर उत्पादन होगा. किसानों को सलाह देते हुए बताते हैं कि (श्री पद्धति) को ही (मेडागास्कर) पद्धति के नाम से भी जाना जाता है. जिन किसानों के पास पानी की व्यवस्था है और खेत में कम पानी है तो खेतों में पानी अच्छे से भर लें और अच्छे से खेत की मचाई करके रोपनी शुरू कर दें तो ज्यादा फायदा मिलेगा. श्री विधि से रोपनी करने से किसानों को 30 से 35 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से उत्पादन हो सकता है.

Sri method is very good for more paddy crop production
धान की रोपाई करती महिलाएं
Sri method is very good for more paddy crop production
धान की रोपाई करते किसान

(श्री पद्धति) से कैसे लगाएं रोपा

शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य है, जहां आमतौर पर देखा गया है कि धान की नर्सरी तो लगाई जाती है, पर जब रोपण का कार्य किया जाता है तो पुराने तरीके से ही खेत में धान के पौधे रोपे जाते हैं, ऐसे में श्री पद्धति से रोपाई कर ज्यादा पैदावार की जा सकती है. झारिया बताते हैं, श्री पद्धति से रोपाई करने के लिए पौधे से पौधे की दूरी और लाइन से लाइन की दूरी तथा कतार से कतार की दूरी 30 सेंटीमीटर रखी जाती है और 12 दिन के बाद की जो नर्सरी होती है, उसे एक एक पौधा करके खेत में निश्चित दूरी पर नापकर लगाते हैं, कुछ दिन बाद पौधा परिपक्व अवस्था में आ जाता है, तब धान के पौधे का फैलाव अच्छा होता है, जिससे उत्पादन ज्यादा मिलता है.

Sri method is very good for more paddy crop production
रोपनी के लिए तैयार खेत
Sri method is very good for more paddy crop production
धान रोपा हुआ खेत

श्री पद्धति से होता है बम्पर उत्पादन

नार्मल पद्धति और श्री पद्धति से रोपाई करने से होने वाले उत्पादन के फर्क के सवाल पर झारिया बताते हैं कि नार्मल तरीके से जब रोपा लगाते हैं तो उसे घना लगा देते हैं, जब तक पौधे को हवा-पानी प्रकाश उचित मात्र में नहीं मिलेगा, तब तक प्रकाश संश्लेषण की प्रकिया अच्छे से नहीं हो पाती है, जब तक प्रकाश संश्लेषण की क्रिया अच्छे से नहीं होती है, तब तक पौधे में फल फूल और दाने अच्छे से नहीं बनते हैं. इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि नॉर्मल पद्धति से रोपाई न कर श्री पद्धति से करें.

शहडोल। खरीफ का सीजन चल रहा है, शहडोल जिले में धान की खेती सबसे ज्यादा रकबे में की जाती है, हर छोटा-बड़ा किसान धान की खेती प्रमुखता से करता है, देखा जाए तो पिछले कुछ दिनों से अच्छी बारिश नहीं हो रही है, जिससे किसानों की चिंता बढ़ने लगी है, जिन किसानों के पास पानी की व्यवस्था है, वो रोपाई का कार्य शुरू भी कर चुके हैं. अगर आप भी धान की रोपाई करने जा रहे हैं तो यह खबर बिल्कुल आपके लिए ही है, कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक इस विशेष पद्धति से रोपाई करके बंपर पैदावार की जा सकती है, जिससे फसलों का उत्पादन अपने आप ही बढ़ जाएगा.

आरपी झारिया, कृषि उपसंचालक

कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी झारिया बताते हैं कि जिले में लगभग सामान्य वर्षा है, विगत वर्ष इन्हीं दिनों 297.9 मिलीमीटर वर्षा हुई थी, जबकि वर्तमान में 296 मिलीमीटर वर्षा हो चुकी है, जबकि जिले की औसत वर्षा 1211.7 मिलीमीटर है. इसलिए वर्षा को कम नहीं कहा जा सकता है. जिन किसानों की धान की नर्सरी 12 से 15 दिन की हो चुकी है वो किसान श्री पद्धति से धान की रोपाई करें, इस विधि से धान की रोपाई करने से अच्छा उत्पादन होगा.

Sri method is very good for more paddy crop production
जुताई करता किसान

किसानों के लिए प्रकृति का वरदान है जलीय फर्न एजोला, शून्य लागत में भी देता है चौतरफा लाभ

रोपाई की इस विधि से होगी बम्पर पैदावार

झारिया बताते हैं कि अगर किसान धान की रोपाई विशेष पद्धति (श्री पद्धति) से करें तो बम्पर उत्पादन होगा. किसानों को सलाह देते हुए बताते हैं कि (श्री पद्धति) को ही (मेडागास्कर) पद्धति के नाम से भी जाना जाता है. जिन किसानों के पास पानी की व्यवस्था है और खेत में कम पानी है तो खेतों में पानी अच्छे से भर लें और अच्छे से खेत की मचाई करके रोपनी शुरू कर दें तो ज्यादा फायदा मिलेगा. श्री विधि से रोपनी करने से किसानों को 30 से 35 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से उत्पादन हो सकता है.

Sri method is very good for more paddy crop production
धान की रोपाई करती महिलाएं
Sri method is very good for more paddy crop production
धान की रोपाई करते किसान

(श्री पद्धति) से कैसे लगाएं रोपा

शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य है, जहां आमतौर पर देखा गया है कि धान की नर्सरी तो लगाई जाती है, पर जब रोपण का कार्य किया जाता है तो पुराने तरीके से ही खेत में धान के पौधे रोपे जाते हैं, ऐसे में श्री पद्धति से रोपाई कर ज्यादा पैदावार की जा सकती है. झारिया बताते हैं, श्री पद्धति से रोपाई करने के लिए पौधे से पौधे की दूरी और लाइन से लाइन की दूरी तथा कतार से कतार की दूरी 30 सेंटीमीटर रखी जाती है और 12 दिन के बाद की जो नर्सरी होती है, उसे एक एक पौधा करके खेत में निश्चित दूरी पर नापकर लगाते हैं, कुछ दिन बाद पौधा परिपक्व अवस्था में आ जाता है, तब धान के पौधे का फैलाव अच्छा होता है, जिससे उत्पादन ज्यादा मिलता है.

Sri method is very good for more paddy crop production
रोपनी के लिए तैयार खेत
Sri method is very good for more paddy crop production
धान रोपा हुआ खेत

श्री पद्धति से होता है बम्पर उत्पादन

नार्मल पद्धति और श्री पद्धति से रोपाई करने से होने वाले उत्पादन के फर्क के सवाल पर झारिया बताते हैं कि नार्मल तरीके से जब रोपा लगाते हैं तो उसे घना लगा देते हैं, जब तक पौधे को हवा-पानी प्रकाश उचित मात्र में नहीं मिलेगा, तब तक प्रकाश संश्लेषण की प्रकिया अच्छे से नहीं हो पाती है, जब तक प्रकाश संश्लेषण की क्रिया अच्छे से नहीं होती है, तब तक पौधे में फल फूल और दाने अच्छे से नहीं बनते हैं. इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि नॉर्मल पद्धति से रोपाई न कर श्री पद्धति से करें.

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