शहडोल। खरीफ का सीजन चल रहा है, शहडोल जिले में धान की खेती सबसे ज्यादा रकबे में की जाती है, हर छोटा-बड़ा किसान धान की खेती प्रमुखता से करता है, देखा जाए तो पिछले कुछ दिनों से अच्छी बारिश नहीं हो रही है, जिससे किसानों की चिंता बढ़ने लगी है, जिन किसानों के पास पानी की व्यवस्था है, वो रोपाई का कार्य शुरू भी कर चुके हैं. अगर आप भी धान की रोपाई करने जा रहे हैं तो यह खबर बिल्कुल आपके लिए ही है, कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक इस विशेष पद्धति से रोपाई करके बंपर पैदावार की जा सकती है, जिससे फसलों का उत्पादन अपने आप ही बढ़ जाएगा.
कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी झारिया बताते हैं कि जिले में लगभग सामान्य वर्षा है, विगत वर्ष इन्हीं दिनों 297.9 मिलीमीटर वर्षा हुई थी, जबकि वर्तमान में 296 मिलीमीटर वर्षा हो चुकी है, जबकि जिले की औसत वर्षा 1211.7 मिलीमीटर है. इसलिए वर्षा को कम नहीं कहा जा सकता है. जिन किसानों की धान की नर्सरी 12 से 15 दिन की हो चुकी है वो किसान श्री पद्धति से धान की रोपाई करें, इस विधि से धान की रोपाई करने से अच्छा उत्पादन होगा.
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रोपाई की इस विधि से होगी बम्पर पैदावार
झारिया बताते हैं कि अगर किसान धान की रोपाई विशेष पद्धति (श्री पद्धति) से करें तो बम्पर उत्पादन होगा. किसानों को सलाह देते हुए बताते हैं कि (श्री पद्धति) को ही (मेडागास्कर) पद्धति के नाम से भी जाना जाता है. जिन किसानों के पास पानी की व्यवस्था है और खेत में कम पानी है तो खेतों में पानी अच्छे से भर लें और अच्छे से खेत की मचाई करके रोपनी शुरू कर दें तो ज्यादा फायदा मिलेगा. श्री विधि से रोपनी करने से किसानों को 30 से 35 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से उत्पादन हो सकता है.
(श्री पद्धति) से कैसे लगाएं रोपा
शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य है, जहां आमतौर पर देखा गया है कि धान की नर्सरी तो लगाई जाती है, पर जब रोपण का कार्य किया जाता है तो पुराने तरीके से ही खेत में धान के पौधे रोपे जाते हैं, ऐसे में श्री पद्धति से रोपाई कर ज्यादा पैदावार की जा सकती है. झारिया बताते हैं, श्री पद्धति से रोपाई करने के लिए पौधे से पौधे की दूरी और लाइन से लाइन की दूरी तथा कतार से कतार की दूरी 30 सेंटीमीटर रखी जाती है और 12 दिन के बाद की जो नर्सरी होती है, उसे एक एक पौधा करके खेत में निश्चित दूरी पर नापकर लगाते हैं, कुछ दिन बाद पौधा परिपक्व अवस्था में आ जाता है, तब धान के पौधे का फैलाव अच्छा होता है, जिससे उत्पादन ज्यादा मिलता है.
श्री पद्धति से होता है बम्पर उत्पादन
नार्मल पद्धति और श्री पद्धति से रोपाई करने से होने वाले उत्पादन के फर्क के सवाल पर झारिया बताते हैं कि नार्मल तरीके से जब रोपा लगाते हैं तो उसे घना लगा देते हैं, जब तक पौधे को हवा-पानी प्रकाश उचित मात्र में नहीं मिलेगा, तब तक प्रकाश संश्लेषण की प्रकिया अच्छे से नहीं हो पाती है, जब तक प्रकाश संश्लेषण की क्रिया अच्छे से नहीं होती है, तब तक पौधे में फल फूल और दाने अच्छे से नहीं बनते हैं. इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि नॉर्मल पद्धति से रोपाई न कर श्री पद्धति से करें.