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Somvati Amavasya 2023: महिलाओं ने की वट वृक्ष की पूजा, सूत का धागा बांधकर परिवार की कुशलता का मांगा वरदान

आज सोमवती अमावस्या का दिन है (Somvati Amavasya 2023) और इस विशेष मुहूर्त में शहडोल में महिलाएं सुबह से ही स्नान करके वटवृक्ष के नीचे पूजा करने पहुंची. सोमवती अमावस्या को बहुत विशेष अमावस्या माना जाता है, इस दिन महिलाएं सुबह-सुबह स्नान करके वट वृक्ष की पूजा करती हैं और फिर 108 फेरे कच्चा सूत वट वृक्ष में बांधती हैं, जिसका बहुत ज्यादा महत्व होता है, यह पूजा सौभाग्यवती महिलाएं ही करती हैं.

somvati amavasya 2023 puja samagri
सोमवती अमावस्या पूजा सामग्री
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Published : Feb 20, 2023, 9:11 AM IST

Updated : Feb 20, 2023, 9:52 AM IST

शहडोल। सोमवती अमावस्या में जो पूजा का शुभ मुहूर्त है, उसमें सुबह 7:00 बजे से सुबह 9:00 बजे तक देवपूजा कही जाती है, सुबह 9:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे के बीच में मनुष्य पूजा कहा जाता है, और दोपहर 12:00 के बाद पूजा करने का कोई फल नहीं मिलता है. इसलिए विशेषकर वहां सुबह सुबह उठकर स्नान करके पूजा अर्चन करें तो विशेष लाभ होता है और सफल पूजा मानी जाती है. इसीलिए शहडोल में आज सुबह से ही वट वृक्ष के नीचे महिलाओं का तांता लगा हुआ है (Women worship banyan tree in Shahdol), महिलाएं पूजा पाठ में लगी हुई हैं.

somvati amavasya 2023 muhurat
वट वृक्ष के नीचे पूजा करने पहुंचीं महिलाएं

ऐसे तय होता है सोमवती अमावस्या का दिन: ज्योतिषाचार्य सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं की ''आज सोमवार 20 फरवरी के दिन जो अमावस्या पड़ रही है उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है, इस बार अमावस्या सोमवार को पड़ी है, जब सोमवार को अमावस्या पड़ती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है''.

Somvati Amavasya 2023: कब है सोमवती आमवस्या, जानें सुहागिन महिलाएं क्यों करती हैं इस दिन वटवृक्ष की पूजा

क्यों वट वृक्ष की पूजा करती हैं महिलाएं: ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि शास्त्रों में लिखा हुआ है कि जब सोमवार को अमावस्या पड़ती है, तो उस दिन भगवान विष्णु का निवास वट वृक्ष पर होता है, जिन महिलाओं की शादी हो चुकी है जो संतान युक्त हैं, ऐसी महिलाएं प्रातः कालीन स्नान करके पूजन की सामग्री लेकर वटवृक्ष के पास जाकर स्नान कराती हैं, वहां फल फूल चढ़ाती हैं, चंदन लगाती हैं, इसके बाद सफेद धागा लेकर 108 परिक्रमा लगाते हुए वटवृक्ष में धागा पिरोया जाता है. ऐसा करने से उनके सौभाग्य की रक्षा होती है और जो पूजा करता है वो और उनका पूरा परिवार धन-धान्य से परिपूर्ण होती हैं. इसीलिये आज वट वृक्ष की पूजा करने के लिए महिलाएं पहुंच रही हैं.

somvati amavasya 2023 muhurat
वट वृक्ष के नीचे पूजा करने पहुंचीं महिलाएं

पूजा का विशेष महत्व: ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि जो महिलाएं विधि विधान से वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं, हवन पूजन करती हैं तो शास्त्रों में ऐसा उल्लेख है कि वो हमेशा सौभाग्यवती बनी रहती हैं, इसलिए सोमवती अमावस्या के दिन जो सौभाग्यवती महिलाएं हैं वह वटवृक्ष के पास जाकर पूजन करें, भोग लगाएं. यथाशक्ति जो हो सके दान करें और उनके चरण छूकर आशीर्वाद लें. वट वृक्ष के नीचे जो महिलाएं खड़ी भी हो जाती हैं तो भगवान विष्णु का आशीर्वाद उन्हें मिलता है, उनकी सुहाग की रक्षा होती है. किसी प्रकार का आधि-व्याधि रोग उनके व परिवार के ऊपर नहीं होता है और उनकी रक्षा होती है.

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वट वृक्ष के नीचे पूजा करने पहुंचीं महिलाएं

एक दिन पूजा करके पा सकते हैं पूरा पुण्य: ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि सोमवती अमावस्या एक विशेष दिन होता है, उस दिन पूजा पाठ का विशेष महत्व भी होता है, जो पूजा-पाठ कम कर पाती हैं या घर में बिल्कुल भी पूजा पाठ नहीं कर पाती हैं, वो महिलाएं भी अगर इस सोमवती अमावस्या के दिन वट वृक्ष के नीचे जाकर वट वृक्ष की पूजा करें, 108 बार धागा पिरोएं, और वहां पर स्नान करें तो उनकी पूरी पूजा मान ली जाती है, उनको पूरा पुण्य मिलता है, उनकी रक्षा होती है, और जो जाने-अनजाने में उनसे पाप हो जाता है, वो भी इस पूजा के बाद क्षमा हो जाता है, उसका प्रायश्चित हो जाता है और उससे भी मुक्ति मिलती है.

somvati amavasya 2023 list in hindi
महिलाओं ने की पूजा

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वट वृक्ष में धागा बांधने का महत्व: वटवृक्ष में जो धागा बांधा जाता है वो रुई से बना हुआ सफेद धागा होता है, जिसे कच्चा सूत भी कहा जाता है. 108 बार उस धागे को वटवृक्ष में पिरोया जाता है, ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु के 108 नाम भी हैं, जो लोग भगवान का नाम नहीं ले पाते हैं, मतलब जो भवसागर के बंधन में बंधे हुए हैं. इसलिए वटवृक्ष में 108 बार धागा लपेटा जाता है ऐसा करने वाली महिलाएं खुद तो हर तरह के बंधन से मुक्त होती ही हैं, साथ ही उनके पति की भी रक्षा होती है. इसलिए सफेद धागे में हल्दी लगाकर 108 बार परिक्रमा करके लपेट दें, तो पूर्ण फल मिलता है. पूरा परिवार उनका व्यवस्थित हो जाता है और पुण्य का भागी होता है.

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वट वृक्ष के नीचे महिलाओं का तांता

सोमवती अमावस्या के दिन ऐसे करें पूजा: सोमवती अमावस्या के दिन पूजा की विधि की बात करें तो वटवृक्ष के नीचे जाकर पहले जल चढ़ाएं, फिर चंदन फूल बेलपत्र और इसके बाद फिर वहां पर भोग लगाएं, भोग लगाने के बाद आरती करें, अगरबत्ती जलाएं हवन करें, और इसके बाद वहां पूजा करने वाली सभी महिलाएं मिलकर एक साथ राम-राम कहें. भगवान विष्णु का नाम लेते हुए 108 बार वटवृक्ष की परिक्रमा करें, वट वृक्ष में 108 बार कच्चा सूत पिरोएं तो पूजा पूर्ण मानी जाती है.

शहडोल। सोमवती अमावस्या में जो पूजा का शुभ मुहूर्त है, उसमें सुबह 7:00 बजे से सुबह 9:00 बजे तक देवपूजा कही जाती है, सुबह 9:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे के बीच में मनुष्य पूजा कहा जाता है, और दोपहर 12:00 के बाद पूजा करने का कोई फल नहीं मिलता है. इसलिए विशेषकर वहां सुबह सुबह उठकर स्नान करके पूजा अर्चन करें तो विशेष लाभ होता है और सफल पूजा मानी जाती है. इसीलिए शहडोल में आज सुबह से ही वट वृक्ष के नीचे महिलाओं का तांता लगा हुआ है (Women worship banyan tree in Shahdol), महिलाएं पूजा पाठ में लगी हुई हैं.

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वट वृक्ष के नीचे पूजा करने पहुंचीं महिलाएं

ऐसे तय होता है सोमवती अमावस्या का दिन: ज्योतिषाचार्य सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं की ''आज सोमवार 20 फरवरी के दिन जो अमावस्या पड़ रही है उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है, इस बार अमावस्या सोमवार को पड़ी है, जब सोमवार को अमावस्या पड़ती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है''.

Somvati Amavasya 2023: कब है सोमवती आमवस्या, जानें सुहागिन महिलाएं क्यों करती हैं इस दिन वटवृक्ष की पूजा

क्यों वट वृक्ष की पूजा करती हैं महिलाएं: ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि शास्त्रों में लिखा हुआ है कि जब सोमवार को अमावस्या पड़ती है, तो उस दिन भगवान विष्णु का निवास वट वृक्ष पर होता है, जिन महिलाओं की शादी हो चुकी है जो संतान युक्त हैं, ऐसी महिलाएं प्रातः कालीन स्नान करके पूजन की सामग्री लेकर वटवृक्ष के पास जाकर स्नान कराती हैं, वहां फल फूल चढ़ाती हैं, चंदन लगाती हैं, इसके बाद सफेद धागा लेकर 108 परिक्रमा लगाते हुए वटवृक्ष में धागा पिरोया जाता है. ऐसा करने से उनके सौभाग्य की रक्षा होती है और जो पूजा करता है वो और उनका पूरा परिवार धन-धान्य से परिपूर्ण होती हैं. इसीलिये आज वट वृक्ष की पूजा करने के लिए महिलाएं पहुंच रही हैं.

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वट वृक्ष के नीचे पूजा करने पहुंचीं महिलाएं

पूजा का विशेष महत्व: ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि जो महिलाएं विधि विधान से वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं, हवन पूजन करती हैं तो शास्त्रों में ऐसा उल्लेख है कि वो हमेशा सौभाग्यवती बनी रहती हैं, इसलिए सोमवती अमावस्या के दिन जो सौभाग्यवती महिलाएं हैं वह वटवृक्ष के पास जाकर पूजन करें, भोग लगाएं. यथाशक्ति जो हो सके दान करें और उनके चरण छूकर आशीर्वाद लें. वट वृक्ष के नीचे जो महिलाएं खड़ी भी हो जाती हैं तो भगवान विष्णु का आशीर्वाद उन्हें मिलता है, उनकी सुहाग की रक्षा होती है. किसी प्रकार का आधि-व्याधि रोग उनके व परिवार के ऊपर नहीं होता है और उनकी रक्षा होती है.

somvati amavasya 2023 muhurat
वट वृक्ष के नीचे पूजा करने पहुंचीं महिलाएं

एक दिन पूजा करके पा सकते हैं पूरा पुण्य: ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि सोमवती अमावस्या एक विशेष दिन होता है, उस दिन पूजा पाठ का विशेष महत्व भी होता है, जो पूजा-पाठ कम कर पाती हैं या घर में बिल्कुल भी पूजा पाठ नहीं कर पाती हैं, वो महिलाएं भी अगर इस सोमवती अमावस्या के दिन वट वृक्ष के नीचे जाकर वट वृक्ष की पूजा करें, 108 बार धागा पिरोएं, और वहां पर स्नान करें तो उनकी पूरी पूजा मान ली जाती है, उनको पूरा पुण्य मिलता है, उनकी रक्षा होती है, और जो जाने-अनजाने में उनसे पाप हो जाता है, वो भी इस पूजा के बाद क्षमा हो जाता है, उसका प्रायश्चित हो जाता है और उससे भी मुक्ति मिलती है.

somvati amavasya 2023 list in hindi
महिलाओं ने की पूजा

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वट वृक्ष में धागा बांधने का महत्व: वटवृक्ष में जो धागा बांधा जाता है वो रुई से बना हुआ सफेद धागा होता है, जिसे कच्चा सूत भी कहा जाता है. 108 बार उस धागे को वटवृक्ष में पिरोया जाता है, ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु के 108 नाम भी हैं, जो लोग भगवान का नाम नहीं ले पाते हैं, मतलब जो भवसागर के बंधन में बंधे हुए हैं. इसलिए वटवृक्ष में 108 बार धागा लपेटा जाता है ऐसा करने वाली महिलाएं खुद तो हर तरह के बंधन से मुक्त होती ही हैं, साथ ही उनके पति की भी रक्षा होती है. इसलिए सफेद धागे में हल्दी लगाकर 108 बार परिक्रमा करके लपेट दें, तो पूर्ण फल मिलता है. पूरा परिवार उनका व्यवस्थित हो जाता है और पुण्य का भागी होता है.

somvati amavasya 2023 list in hindi
वट वृक्ष के नीचे महिलाओं का तांता

सोमवती अमावस्या के दिन ऐसे करें पूजा: सोमवती अमावस्या के दिन पूजा की विधि की बात करें तो वटवृक्ष के नीचे जाकर पहले जल चढ़ाएं, फिर चंदन फूल बेलपत्र और इसके बाद फिर वहां पर भोग लगाएं, भोग लगाने के बाद आरती करें, अगरबत्ती जलाएं हवन करें, और इसके बाद वहां पूजा करने वाली सभी महिलाएं मिलकर एक साथ राम-राम कहें. भगवान विष्णु का नाम लेते हुए 108 बार वटवृक्ष की परिक्रमा करें, वट वृक्ष में 108 बार कच्चा सूत पिरोएं तो पूजा पूर्ण मानी जाती है.

Last Updated : Feb 20, 2023, 9:52 AM IST
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