शहडोल. जिला चिकित्सालय 26 नवंबर से ही लगातार सुर्खियों में हैं. इसे बाद अब जिला चिकित्सालय डॉक्टर के त्यागपत्र और सिविल सर्जन को हटाने की मांग को लेकर चल रहे विरोध को लेकर सुर्खियों में है. बीते मंगलवार को शहडोल जिला चिकित्सालय के लगभग 20 डॉक्टर ने एक साथ सामूहिक तौर पर सीएमएचओ कार्यालय की आवक जावक में अपना त्यागपत्र सौंप दिया था, जिसके बाद सीएमएचओ ने उसे अस्वीकार कर दिया था और पूरे नियम के साथ त्यागपत्र देने की बात कही थी.
ईटीवी भारत जिला चिकित्सालय पहुंचा ये जानने के लिए की मंगलवार को सामूहिक इस्तीफा देने वाले डॉक्टर क्या काम पर लौटे, अगर काम पर नहीं लौटे तो फिर जिला चिकित्सालय का संचालन किस तरह से हो रहा है, कौन से डॉक्टर जिला चिकित्सालय में इलाज कर रहे हैं, दूर दराज से आने वाले मरीजों का इलाज हो रहा है या नहीं हो रहा है. आखिर जिला चिकित्सालय की क्या कुछ व्यवस्थाएं हैं, इसके बारे में ईटीवी भारत ने अस्पताल का रियलिटी चैक किया.
शहडोल जिला चिकित्सालय एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है. इस बार बच्चों की मौत का मामला नहीं है बल्कि डॉक्टर्स का दंत चिकित्सक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन है. दरअसल, बच्चों की मौत के मामले के बाद जिला चिकित्सालय के तत्कालीन सिविल सर्जन को प्रभार से हटाकर उनकी जगह पर चिकित्सालय के दंत चिकित्सक डॉक्टर जी एस परिहार को सिविल सर्जन का प्रभार दिया गया, जिसे लेकर जिला चिकित्सालय के डॉक्टर का एक ग्रुप लगातार विरोध करने लगा, उनका साफ कहना था कि वह एक दंत चिकित्सक को सिविल सर्जन का प्रभार दिए जाने के पक्ष में नहीं हैं. डॉक्टरों की मांग है कि उन्हें हटाकर किसी सीनियर एमबीबीएस को सिविल सर्जन का प्रभार दिया जाए.
कई दिनों के कई दिनों के विरोध के बाद बीते मंगलवार को शहडोल जिला चिकित्सालय के लगभग 20 डॉक्टर ने एक साथ सामूहिक इस्तीफा सीएमएचओ ऑफिस जाकर वहां की आवक जावक में दे दिया था, जिसके बाद यह मामला और गरमा गया और तूल पकड़ने लगा और फिर उसके बाद सीएमएचओ ने साफ तौर पर कहा था कि उनके अनुपस्थिति में यह त्यागपत्र दिया गया है, अगर त्यागपत्र देना ही है तो सभी डॉक्टर पूरे नियमानुसार त्यागपत्र दें और सभी का त्यागपत्र अस्वीकार कर दिया गया था.
जानिए बुधवार को क्या हालात रहे जिला चिकित्सालय के
बुधवार को शहडोल जिला चिकित्सालय में इस्तीफा देने वाले डॉक्टर ने ज्वाइन तो नहीं किया था, लेकिन मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर ने जिला चिकित्सालय में मोर्चा संभाल रखा था. हमें कुछ बाहर कुछ ऐसे मरीज मिले जो किसी स्पेशलिस्ट डॉक्टर से मिलने आए थे, लेकिन वह मिल नहीं पाए. जैसे एक मरीज मिला जो कान के डॉक्टर को दिखाने काफी दूर से आया था, लेकिन उसे डॉक्टर मिल नहीं पाए. इस दौरान 12 मरीज ऑपरेशन वाले मिले, एक मरीज का तो कहना था कि वह आज ही जिला चिकित्सालय पहुंचे हैं और उन्हें अभी तक एडमिट नहीं किया गया है और ऑपरेशन के लिए अगले हफ्ते तक इंतजार करने के लिए कहा है, जिसमें उनको काफी दिक्कतें हैं, क्योंकि वह काफी कुछ पैसा लगाकर इस गरीबी के बीच यहां ऑपरेशन कराने आए हैं. एक मरीज की ऑपरेशन की डेट को दिन प्रतिदिन बढ़ाया जा रहा है. वहीं एक अन्य मरीज का कहना था कि वह सुबह से सोनोग्राफी के लिए भटक रहा है. लेकिन सोनोग्राफी नहीं हो पा रही है, जब अपनी पत्नी को लेकर वह फिर से महिला डॉक्टर के पास गया तो उनका कहना था कि हमने तो अपना काम कर दिया है और सोनोग्राफी ना होने की वजह से इलाज अटका है. ओपीडी में भी मेडिकल कॉलेज के कुछ डॉक्टर मोर्चा संभालते नजर आये.
सिविल सर्जन ने कही ये बात
हालांकि, जब इन सब मसलों को लेकर सिविल सर्जन डॉक्टर जीएस परिहार से संपर्क किया तो उन्होंने कहा, जहां तक त्यागपत्र की बात है तो कल सारे डॉक्टर उपस्थित थे, और हस्ताक्षर पंजी में सारे चिकित्सकों ने हस्ताक्षर भी किए हैं, और वह अपनी ड्यूटी पर थे और वह कब निकले हैं, इसकी जानकारी मुझे नहीं है और ना ही मुझे कोई लिखित में दिया है. इस्तीफे के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं दी है. इसके अलावा रूटीन ओपीडी में सभी थे इमरजेंसी सेवाओं में भी कुछ वो डॉक्टर भी थे, जिनके इस्तीफे के बारे में कहा जा रहा था. डॉक्टर निशा चतुर्वेदी मेटरनिटी वार्ड में थी नाइट ड्यूटी पर थीं. डॉक्टर सुनील हथगेल नाइट ड्यूटी पर थे और और एक अन्य चिकित्सक डॉक्टर सुनील स्थापक एनेस्थेटिक, तीनों चिकित्सकों ने पूरी रात अपनी ड्यूटी दी है. अगर इस्तीफे में साइन हैं तो इसके बाद भी इन्होंने रात में इमरजेंसी सेवाएं दी हैं.
इस्तीफे कर दिए गए अस्वीकृत
आज जब सीएमएचओ आफिस से पत्र आया है कि निर्धारित विधि सम्मत ना होने के कारण उनके इस्तीफे अस्वीकृत कर दिया गया निर्धारित विधि सम्मत ना होने के कारण आप अपना काम करें आज कुछ चिकित्सकों ने अपनी सीएल और मेडिकल लगाया है जिसे हम लोगों ने निरस्त कर दिया है जिसकी सूचना हमने शासन को दे दी है और जहां तक बात है कि अस्पताल का संचालन कैसे हो रहा है तो यह हर किसी को पता है जिला अस्पताल मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पताल है मेडिकल कॉलेज के सारे चिकित्सक वैसे भी यहां सेवाएं देते हैं मेडिकल कॉलेज का कोई अस्पताल अलग से नहीं है यह जिला चिकित्सालय मेडिकल कॉलेज का ही अस्पताल है सारे चिकित्सक यहां अपनी सेवाएं दे रहे हैं सभी को सुविधाएं बराबर दी जा रही है किसी को कोई दिक्कत नहीं आ रही है.
उन्होंने आगे कहा जहां तक एपीआईसीयू, एसएनसीयू वार्ड की बात है तो वहां जिला चिकित्सालय के एक ही डॉक्टर हैं, सुनील हथगेल जिन्होंने नाइट में अपनी पूरी ड्यूटी दी है. इसके अलावा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर वहां सारे अपनी सेवाएं दे रहे हैं. 6 डॉक्टर मेडिकल कॉलेज के हैं जो अपनी सेवाएं दे रहे हैं, डॉक्टर नामदेव की बात है तो वह जबलपुर में ट्रेनिंग के लिए गए हुए हैं. जहां तक ऑपरेशन के लिए लोगों के परेशान होने की बात है तो ऐसा कोई केस हमारे पास अभी तक नहीं आया है. हमारे पास मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर नागेंद्र सिंह, जिला चिकित्सालय के डॉक्टर बीपी पटेल,डॉ नागेंद्र सिंह, डॉ कुलदीप पटेल चार सर्जन हमारे यहां से अपनी सेवाएं दे रहे हैं. तो यह कहने की बात है कि आखिर ऑपरेशन क्यों नहीं हो रहे हैं. मेरे संज्ञान में नहीं है कभी-कभी दिक्कतें आ जाती हैं. कि कोई टेस्ट बाकी होगा, क्योंकि सभी जांच करनी होती है या कुछ और बात होती है. मेरे संज्ञान में ऐसा नहीं है यह डॉक्टर से पता करना पड़ेगा.
गौरतलब है कि शहडोल जिला चिकित्सालय में आज जहां मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर ने मोर्चा संभाले रखा था तो वहीं कुछ लोग तो हमें ऐसे मिले जो इलाज स्पेशलिस्ट डॉक्टर के अभाव में इलाज के लिए भटकते रहे. कुछ ऐसे लोग भी मिले जो ऑपरेशन कराने का इंतजार कर रहे थे, सिविल सर्जन ने कहा जिला चिकित्सालय में सारी व्यवस्था दुरुस्त हैं. डॉक्टर से अपनी सेवाएं दे रहे हैं मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर पेशेंट देख रहे हैं. बहरहाल, शहडोल जिला चिकित्सालय इन दिनों राजनीति का बड़ा केंद्र बना हुआ है एक ओर डॉक्टर का एक ग्रुप सिविल सर्जन को हटाने के विरोध में खड़ा हुआ है तो वहीं दूसरी ओर प्रशासन यह बात मानने को तैयार नजर नहीं आ रहा है. अब देखना यह है कि यह विवाद कहां जाकर थमता है.