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जानें क्या है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, कैसे करें पूजा ?

पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से जानिए कैसे करना है होलिका की पूजा, क्या है शुभ मुहूर्त. सुशील शुक्ला शास्त्री से खास बातचीत की ETV भारत संवाददाता ने.

SHUBH Muhurta for holika dahan by Sushil Shukla Shastri shadol
होलिका दहन शुभ मुहूर्त
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Published : Mar 9, 2020, 11:24 AM IST

Updated : Mar 9, 2020, 12:58 PM IST

शहडोल। आज होलिका दहन है, जो बहुत ही खास होता है. लोग इसकी तैयारी विशेष तौर पर करते हैं. होलिका दहन की तैयारी कैसे करें. क्या करें. क्या न करें, पूजा की विधि क्या है, क्या-क्या सामग्री लगती है और क्या है शुभ मुहूर्त और क्या हैं इसके पीछे की मान्यताएं, ये सब बता रहे हैं पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री.

होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त

पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री के मुताबिक आज फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णमासी है. पूर्णमासी के दिन ही होलिका दहन होता है. आज होलिका दहन का शुभ मुहूर्त है, रात में 9 बजे से लेकर के 11 बजे रात्रि के बीच. इस समय महिलाएं और पुरुष पूजा कर सकते हैं.

होलिका दहन शुभ मुहूर्त

पूजा की विधि और उपयोगी सामग्री

पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि, पूजा का विधान है कि, पूजा की थाली में सभी सामग्री जैसे हल्दी, चंदन, अगरबत्ती, धूप और नारियल, बताशा से होलिका की पूजा शुरु करें. इसमें सबसे पहले होलिका को हल्दी-चंदन लगाएं और फिर गुड़ चढ़ा दें. बाद में राई लोन चोकरा लें और सात बार होलिका के चारों ओर घूमते हुए हर बार वहां राई लोन चोकरा छोंड़ते जाएं. बाद में देर रात होलिका दहन के समय अग्नि से ताप करें.

क्यों छोड़ा जाता है राई लोन चोकरा

पंडित शास्त्री के अनुसार ऐसा करने से घर में जो भी अशांति या समस्याएं होती हैं या फिर नकारात्मक ऊर्जा होती है, वो राई लोन चोकरा को होलिका दहन में जलाने से खत्म हो जाती है और घर में सुख शांति आती है.

क्यों किया जाता है होलिका दहन ?

होलिका हिरण्यकश्यप की बहन का नाम था. जिसे तपस्या करके वरदान मिला था कि वो अग्नि से नहीं जलेगी और जब हिरण्यकश्यप के बेटे प्रहलाद को जलाने के लिये होलिका को आदेश दिया, तो वो प्रहलाद को अपनी गोदी में लेकर बैठ गई, बुरे विचार और भावना के चलते होलिक जल गई और और प्रहलाद बच गए. इसी लिए होली मनाई जाती है.

होलिका दहन के वक़्त ये बिल्कुल भी न करें

पंडित शास्त्री का कहना है कि, होलिका दहन होते समय सोना नहीं चाहिए. साथ ही होलिका की लौ को देखकर हंसने की भी मनाही है.

शहडोल। आज होलिका दहन है, जो बहुत ही खास होता है. लोग इसकी तैयारी विशेष तौर पर करते हैं. होलिका दहन की तैयारी कैसे करें. क्या करें. क्या न करें, पूजा की विधि क्या है, क्या-क्या सामग्री लगती है और क्या है शुभ मुहूर्त और क्या हैं इसके पीछे की मान्यताएं, ये सब बता रहे हैं पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री.

होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त

पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री के मुताबिक आज फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णमासी है. पूर्णमासी के दिन ही होलिका दहन होता है. आज होलिका दहन का शुभ मुहूर्त है, रात में 9 बजे से लेकर के 11 बजे रात्रि के बीच. इस समय महिलाएं और पुरुष पूजा कर सकते हैं.

होलिका दहन शुभ मुहूर्त

पूजा की विधि और उपयोगी सामग्री

पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि, पूजा का विधान है कि, पूजा की थाली में सभी सामग्री जैसे हल्दी, चंदन, अगरबत्ती, धूप और नारियल, बताशा से होलिका की पूजा शुरु करें. इसमें सबसे पहले होलिका को हल्दी-चंदन लगाएं और फिर गुड़ चढ़ा दें. बाद में राई लोन चोकरा लें और सात बार होलिका के चारों ओर घूमते हुए हर बार वहां राई लोन चोकरा छोंड़ते जाएं. बाद में देर रात होलिका दहन के समय अग्नि से ताप करें.

क्यों छोड़ा जाता है राई लोन चोकरा

पंडित शास्त्री के अनुसार ऐसा करने से घर में जो भी अशांति या समस्याएं होती हैं या फिर नकारात्मक ऊर्जा होती है, वो राई लोन चोकरा को होलिका दहन में जलाने से खत्म हो जाती है और घर में सुख शांति आती है.

क्यों किया जाता है होलिका दहन ?

होलिका हिरण्यकश्यप की बहन का नाम था. जिसे तपस्या करके वरदान मिला था कि वो अग्नि से नहीं जलेगी और जब हिरण्यकश्यप के बेटे प्रहलाद को जलाने के लिये होलिका को आदेश दिया, तो वो प्रहलाद को अपनी गोदी में लेकर बैठ गई, बुरे विचार और भावना के चलते होलिक जल गई और और प्रहलाद बच गए. इसी लिए होली मनाई जाती है.

होलिका दहन के वक़्त ये बिल्कुल भी न करें

पंडित शास्त्री का कहना है कि, होलिका दहन होते समय सोना नहीं चाहिए. साथ ही होलिका की लौ को देखकर हंसने की भी मनाही है.

Last Updated : Mar 9, 2020, 12:58 PM IST
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