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Shardiya Navratri 2022: हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, 32 साल बाद बन रहा है ऐसा संयोग, जानिए महत्व

शारदीय नवरात्र का प्रारंभ सोमवार 26 सितंबर से होने जा रहा है. नवरात्रि उत्सव की तैयारी जोरों पर है, कहीं लोग डांडिया खेलने की तैयारी कर रहे हैं तो कहीं पर गरबा खेलने का अभ्यास किया जा रहा है. घरों की साफ सफाई से लेकर बाजारों में अभी से रौनक दिखने लगी है. इस बार पूरे नौ दिनों का नवरात्र है, जो अपने साथ बहुत सारी खुशियां लेकर आ रहा है. जानिए ईटीवी भारत पर ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से क्या है इस साल मां दुर्गा के आने का वाहन. Shardiya Navratri 2022, Maa Durga Come on Elephant In 2022, Durga Puja 2022

Shardiya Navratri 2022
शारदीय नवरात्रि 2022
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Published : Sep 21, 2022, 6:34 AM IST

Updated : Sep 21, 2022, 8:57 AM IST

शहडोल। इस बार नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू हो रही है, इसकी तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. जगह-जगह पंडाल बनाने की तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं. इसके साथ ही व्यापारी वर्ग भी अपने स्तर से तैयारियां शुरू कर चुका है, वहीं भक्त भी अलग-अलग तरीके से तैयारियां कर रहे हैं. इस बार की जो नवरात्रि आ रही है और जो माता इस बार आ रही हैं, वह हाथी पर सवार होकर आ रही हैं. इसे काफी शुभ माना गया है, जिसे लेकर भक्त और श्रद्धालु काफी उत्साहित हैं और पूरे श्रद्धा-भक्ति के साथ माता के आगमन कि तैयारी में जुटे हुए हैं. आखिर माता के अलग-अलग सवारियों का क्या महत्व होता है, हाथी पर सवार होकर जो माता आ रही हैं उसके क्या फायदे हैं, क्या महत्व है और किस तरह से शुभ संयोग बन रहे हैं. इस सब के बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बता रहे हैं. (Shardiya Navratri 2022)

शारदीय नवरात्रि 2022

हाथी पर सवार होकर आ रही हैं मातारानी: इस बार मां दुर्गा गज पर सवार होकर आ रही हैं. वैसे तो मां का वाहन सिंह है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि धरती पर जब नवरात्र के दिनों में मां का आगमन होता है तो उनकी सवारी बदल जाती है, जो आने वाले वक्त का संकेत भी होता है. ज्योतिष लोग मां के वाहन से आने वाले दिनों के शुभ और अशुभ होने का अनुमान लगाते हैं, दरअसल मां की सवारी नवरात्रि के दिन के प्रारंभ होने के हिसाब से होती है. लगभग 32 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है, जिसमें सबसे उत्तम वाहन में बैठकर मां का आगमन हो रहा है. माता के 36 कुल वाहन होते हैं उसमें से एक हाथी का वाहन भी होता है. हाथी इंद्र के द्वारा मां को समर्पित किया गया था. (Maa Durga Come on Elephant In 2022)

हाथी वाहन का महत्व: ज्योतिषाचार्य के मुताबिक जब हाथी पर बैठकर इस मृत्युलोक में विचरण करने के लिए मातारानी आती हैं, तो उसे काफी शुभ माना गया है. हाथी के ऊपर रिद्धि सिद्धि का वास होता और लक्ष्मी जी का भी निवास होता है, जो महालक्ष्मी का रूप माना गया है. जब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं तो वो ऊंचाई पर रहती हैं. जिसकी वजह से उनकी चारों दिशा में दृष्टि पड़ती है, जहां जहां तक दृष्टि पड़ती है माता के आते समय स्थापित होते समय और जाते समय वहां पर उत्तम सुख समृद्धि, संपत्ति और वहां अच्छा समय होता है. (Madhya Pradesh Navratri)

एक साल तक होती है वर्षा: अच्छी बात यह है कि उस 1 साल तक अच्छी वर्षा होती है. पृथ्वी धन-धान्य से भर जाती है और सबसे उत्तम महत्व है जब 1 वर्ष तक हाथी पर बैठकर माता आती हैं. 1 वर्ष तक जहां-जहां उनकी स्थापना होती है, जहां-जहां उनका आगमन होता है वहां किसी भी प्रकार की आधि व्याधि रोग का संचार नहीं होता है. कोई महामारी नहीं होती है और महामारी ना होने से लोग खुशहाल रहते हैं. चौथा महत्व यह है कि जब हाथी पर बैठकर माता आती हैं, तो हाथी के विशाल रूप से माता के भक्त जब उन्हें हाथी पर बैठे मां का दर्शन कर लेते हैं तो वे मालामाल हो जाते हैं, इसके अलावा चारों ओर से खुशहाली की वर्षा होने लगती है. घर में तरक्की होती है, सुख शांति मिलती है. (Importance of Matarani Riding Elephant)

Shardiya Navratri 2022: देखिए मां भद्रकाली का चमत्कार, दुग्ध स्नान कराते ही खुल जाते हैं माता के नेत्र

माता के अलग अलग वाहनों का महत्व: माता जब यहां आती हैं तो उनके कुल 36 वाहन होते हैं, जो देवताओं द्वारा प्रदान किया जाता है. इसमें सबसे शुभ वाहन हाथी माना गया है. जब झूले पर सवार होकर माता आती हैं तो यह भी बहुत शुभ है. कमल के फूल पर बैठकर जब आती हैं तो यह भी बहुत शुभ माना गया है. कहा जाता है इसमें लक्ष्मी की वर्षा होती है, पृथ्वी धन-धान्य से भर जाती है. हंस पर बैठकर जब मां आती हैं तो विद्यार्थियों के लिए लाभ होता है, जो अध्ययन करते हैं और जो प्रतियोगी परीक्षा में बैठते हैं वह सफल होते हैं. कभी-कभी मां मोर पर बैठकर आती हैं इसको मध्यम माना गया है, क्योंकि मोर थोड़ा चंचल होता है. (Navratri 2022 Shubh Muhurat)

कभी कभी माता क्रोध पूर्वक अचानक अवतरित हो जाती हैं उस साल वर्षा नहीं होती है, अकाल पड़ता है. राज्य में युद्ध की संभावना रहती हैं, राजनैतिक क्षेत्र भी उथल-पुथल हो जाता है. कभी माता सिंह पर बैठकर आती है, कभी माता बैल पर बैठकर आती हैं. कभी माता पैदल चल कर आ जाती हैं, माता का पैदल चलकर आना भी अशुभ माना गया है, क्योंकि माता को एक सवारी चाहिए होती है, जब वे बिना सवारी के आतीं हैं तो उस साल वर्षा कम होती है, पृथ्वी धन-धान्य से थोड़ा अलग रहती है और लोग खुशहाल नहीं रहते हैं. 36 वाहन में 18 वाहन माता के शुभ माने गए हैं, 8 सामान्य माने गए हैं और 10 लघु माने गए हैं. (Durga Puja 2022) (Navratri Puja Vidhi)

शहडोल। इस बार नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू हो रही है, इसकी तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. जगह-जगह पंडाल बनाने की तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं. इसके साथ ही व्यापारी वर्ग भी अपने स्तर से तैयारियां शुरू कर चुका है, वहीं भक्त भी अलग-अलग तरीके से तैयारियां कर रहे हैं. इस बार की जो नवरात्रि आ रही है और जो माता इस बार आ रही हैं, वह हाथी पर सवार होकर आ रही हैं. इसे काफी शुभ माना गया है, जिसे लेकर भक्त और श्रद्धालु काफी उत्साहित हैं और पूरे श्रद्धा-भक्ति के साथ माता के आगमन कि तैयारी में जुटे हुए हैं. आखिर माता के अलग-अलग सवारियों का क्या महत्व होता है, हाथी पर सवार होकर जो माता आ रही हैं उसके क्या फायदे हैं, क्या महत्व है और किस तरह से शुभ संयोग बन रहे हैं. इस सब के बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बता रहे हैं. (Shardiya Navratri 2022)

शारदीय नवरात्रि 2022

हाथी पर सवार होकर आ रही हैं मातारानी: इस बार मां दुर्गा गज पर सवार होकर आ रही हैं. वैसे तो मां का वाहन सिंह है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि धरती पर जब नवरात्र के दिनों में मां का आगमन होता है तो उनकी सवारी बदल जाती है, जो आने वाले वक्त का संकेत भी होता है. ज्योतिष लोग मां के वाहन से आने वाले दिनों के शुभ और अशुभ होने का अनुमान लगाते हैं, दरअसल मां की सवारी नवरात्रि के दिन के प्रारंभ होने के हिसाब से होती है. लगभग 32 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है, जिसमें सबसे उत्तम वाहन में बैठकर मां का आगमन हो रहा है. माता के 36 कुल वाहन होते हैं उसमें से एक हाथी का वाहन भी होता है. हाथी इंद्र के द्वारा मां को समर्पित किया गया था. (Maa Durga Come on Elephant In 2022)

हाथी वाहन का महत्व: ज्योतिषाचार्य के मुताबिक जब हाथी पर बैठकर इस मृत्युलोक में विचरण करने के लिए मातारानी आती हैं, तो उसे काफी शुभ माना गया है. हाथी के ऊपर रिद्धि सिद्धि का वास होता और लक्ष्मी जी का भी निवास होता है, जो महालक्ष्मी का रूप माना गया है. जब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं तो वो ऊंचाई पर रहती हैं. जिसकी वजह से उनकी चारों दिशा में दृष्टि पड़ती है, जहां जहां तक दृष्टि पड़ती है माता के आते समय स्थापित होते समय और जाते समय वहां पर उत्तम सुख समृद्धि, संपत्ति और वहां अच्छा समय होता है. (Madhya Pradesh Navratri)

एक साल तक होती है वर्षा: अच्छी बात यह है कि उस 1 साल तक अच्छी वर्षा होती है. पृथ्वी धन-धान्य से भर जाती है और सबसे उत्तम महत्व है जब 1 वर्ष तक हाथी पर बैठकर माता आती हैं. 1 वर्ष तक जहां-जहां उनकी स्थापना होती है, जहां-जहां उनका आगमन होता है वहां किसी भी प्रकार की आधि व्याधि रोग का संचार नहीं होता है. कोई महामारी नहीं होती है और महामारी ना होने से लोग खुशहाल रहते हैं. चौथा महत्व यह है कि जब हाथी पर बैठकर माता आती हैं, तो हाथी के विशाल रूप से माता के भक्त जब उन्हें हाथी पर बैठे मां का दर्शन कर लेते हैं तो वे मालामाल हो जाते हैं, इसके अलावा चारों ओर से खुशहाली की वर्षा होने लगती है. घर में तरक्की होती है, सुख शांति मिलती है. (Importance of Matarani Riding Elephant)

Shardiya Navratri 2022: देखिए मां भद्रकाली का चमत्कार, दुग्ध स्नान कराते ही खुल जाते हैं माता के नेत्र

माता के अलग अलग वाहनों का महत्व: माता जब यहां आती हैं तो उनके कुल 36 वाहन होते हैं, जो देवताओं द्वारा प्रदान किया जाता है. इसमें सबसे शुभ वाहन हाथी माना गया है. जब झूले पर सवार होकर माता आती हैं तो यह भी बहुत शुभ है. कमल के फूल पर बैठकर जब आती हैं तो यह भी बहुत शुभ माना गया है. कहा जाता है इसमें लक्ष्मी की वर्षा होती है, पृथ्वी धन-धान्य से भर जाती है. हंस पर बैठकर जब मां आती हैं तो विद्यार्थियों के लिए लाभ होता है, जो अध्ययन करते हैं और जो प्रतियोगी परीक्षा में बैठते हैं वह सफल होते हैं. कभी-कभी मां मोर पर बैठकर आती हैं इसको मध्यम माना गया है, क्योंकि मोर थोड़ा चंचल होता है. (Navratri 2022 Shubh Muhurat)

कभी कभी माता क्रोध पूर्वक अचानक अवतरित हो जाती हैं उस साल वर्षा नहीं होती है, अकाल पड़ता है. राज्य में युद्ध की संभावना रहती हैं, राजनैतिक क्षेत्र भी उथल-पुथल हो जाता है. कभी माता सिंह पर बैठकर आती है, कभी माता बैल पर बैठकर आती हैं. कभी माता पैदल चल कर आ जाती हैं, माता का पैदल चलकर आना भी अशुभ माना गया है, क्योंकि माता को एक सवारी चाहिए होती है, जब वे बिना सवारी के आतीं हैं तो उस साल वर्षा कम होती है, पृथ्वी धन-धान्य से थोड़ा अलग रहती है और लोग खुशहाल नहीं रहते हैं. 36 वाहन में 18 वाहन माता के शुभ माने गए हैं, 8 सामान्य माने गए हैं और 10 लघु माने गए हैं. (Durga Puja 2022) (Navratri Puja Vidhi)

Last Updated : Sep 21, 2022, 8:57 AM IST
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