शहडोल। शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है, भक्त मां दुर्गा की आराधना में लग हुए हैं. ऐसे में नवरात्र के पावन मौके पर हम आपको आज शहडोल जिले में स्थित एक अनोखे मंदिर के दर्शन कराने ले चलेंगे. शहडोल जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर अंतरा में स्थित कंकाली मंदिर में कंकाल रूप में मां चामुंडा की कलचुरी कालीन अद्भुत प्रतिमा स्थापित है. जिसके दर्शनों के लिए लोग दूर-दूर से माता के दर्शन करने पहुंचते हैं.
अद्भुत है कंकाली माता का ये दरबार
- यह अष्टादश भुजाओं में मां चामुंडा विराजमान हैं, जिनके सिर पर जटा मुकुट है और उनकी आंखें फटी हुई विकराल हैं.
- क्रोध के कारण ग्रीवा की नसें तनी हुई हैं, गले में मुंड माला धारण किए हुए हैं.
- शरीर हड्डियों का ढांचा कंकाल मात्र होने के कारण इनका नाम कंकाली देवी पड़ा.
- कहा जाता है देवी ने ही चंड और मुंड नाम के दो दैत्यों का संघार किया था.
- आधुनिक मंदिर के गर्भ गृह में मुख्य प्रतिमा मां चामुंडा की है, उन्ही के दाएं और शारदा और बाये मां सिंह वाहिनी की अष्टभुजी प्रतिमा स्थापित हैं.
10वीं सदी का बताया जाता है मंदिर
मां कंकाली के पुजारी बताते हैं कि मंदिर की ख्याति के कारण लोग दूर-दूर से दर्शन करने के लिए यहां लिए पहुचते हैं. इस भव्य मंदिर और दिव्य प्रतिमा का इतिहास वर्षों पुराना है. एक लेख के अनुसार कंकाली का मंदिर और मूर्ती 10वीं और 11वीं सदी के कलचुरी काल की बताई जाती है.
मुख्यमंत्री शिवराज की विशेष आस्था
मंदिर समिति के सदस्य रमाकांत विश्वकर्मा बताते हैं कि प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भी इस मंदिर में गहरी आस्था है. वह जब कभी भी शहडोल पहुंचते हैं तो यहां मंदिर में दर्शन करने जरुर आते हैं. इतना ही नहीं देश-प्रदेश के कई छोटे बड़े-नेता अगर शहडोल आते हैं तो कंकाल रुप में विराजित मां चामुंडा के दर्शन के लिए शहडोल के कंकाली मंदिर जरूर पहुचते हैं. स्थानीय लोग बताते है कि राजमाता विजयाराजे सिंधिया, बाबूलाल गौर, दिग्विजय सिंह, उमा भारती, ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर अन्य बड़े नेता यहां दर्शन करने आते हैं.
विकास की बाट जोह रहा मंदिर
कांग्रेस नेता प्रमोद जैन बताते हैं कि वो बचपन से ही इस मंदिर को देख रहे हैं. मां कंकाली के इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली है. अधिकतर बड़े नेता जब भी शहडोल आते हैं तो इस मंदिर में मां के सामने हाज़िरी लगाने जरूर पहुंचते हैं. वहीं बीजेपी नेता कैलाश तिवारी बताते हैं कि ये स्थान भले ही नेताओं के आस्था का केंद्र है, लेकिन आज भी विकास की बाट जोह रहा. यहां जितना विकास होना चाहिए था शायद उतना विकास अब तक नहीं हुआ.
पर्यटन की अपार संभावनाएं
इस धार्मिक स्थल पर पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, पुरातत्व की बहुमूल्य धरोहरों के साथ ही कलचुरी कालीन मां कंकाली की प्रतिमा यहां विराजमान है. आसपास कई पहाड़ जंगल हरी-भरी वादियां और मंदिर के आस पास कई छोटी और मौसमी जल धाराएं हैं. लेकिन फिर भी यह जगह आज भी विकास की बाट जोह रही है. अगर इस क्षेत्र को विकसित किया जाए अंतरा की कंकाली माता मंदिर परिसर को एक बड़े पर्यटन क्षेत्र के तौर पर विकसित किया जा सकता है. बस जरूरत है तो इस ओर जिम्मेदारों के ध्यानाकर्षण की.