शहडोल। शरद पूर्णिमा के दिन को बहुत ही श्रद्धा और आस्था भाव के साथ मनाया जाता है. इस विशेष दिन खीर बनाकर रात में खुले आसमान के नीचे रखा जाता है. ऐसी मान्यता कि इस आकाश से अमृत की वर्षा होती है. इसके बाद इस खीर को प्रसाद के रूप में परिवार के सभी सदस्य ग्रहण करते हैं. इस बार शरद पूर्णिमा कब है इसका क्या महत्व है, शुभ मुहूर्त कब है, और महाप्रसाद तैयार करने का नियम क्या है. महा प्रसाद ग्रहण करने के फायदे क्या हैं ये सब के बारे में जानिए ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से ईटीवी भारत पर. (sharad purnima 2022)
शरद पूर्णिमा कब? ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि, इस बार शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर दिन रविवार को है. कुआर शुक्ल पक्ष पूर्णमासी को ये मनाई जाती है. (sharad purnima kab hai)
शरद पूर्णिमा मनाने का नियम: ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि शरद पूर्णिमा मनाने का नियम ये है कि सायं कालीन स्नान ध्यान करने के बाद कोशिश करें कि शुद्ध गाय का दूध मिल जाए. अगर न मिले तो भैंस का दूध मिल जाए. फिर उस शुद्ध दूध से खीर बनाई जाती है. स्नान ध्यान करके भगवान कृष्ण का पूजन करके उनका श्रंगार कर वहां खीर रखकर उसमें तुलसी डाल कर प्रसाद चढ़ाया जाता है. फिर उसे ले जाकर किसी खुले स्थान पर रखा जाता है. ऐसी जगह पर जहां पर ओस की बूंदे पड़ें, और कम से कम रात में 8 घंटे वो खुले स्थान पर रहे. सुबह सुबह उसे वहां से उठाकर भगवान के पास रखें, और महाप्रसाद मानकर उस खीर को खाएं और सबको बांटे. (sharad purnima puja vidhi)
महाप्रसाद ग्रहण करने के फायदे: ज्योतिषाचार्य के मुताबिक ऐसा करने से उस घर में रोग नहीं होता है. खांसी कितनी भी पुरानी हो वह बंद हो जाती है. जिनके चर्म रोग होते हैं वह ठीक हो जाते हैं. जिनको अस्थमा के साथ-साथ खांसी आती है, उसमें भी लाभ मिलता है. बहुत से लोग दवाई के रूप में प्रयोग भी करते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस महाप्रसाद को लेने के बाद उस घर में रोग व्याधि किसी भी तरह की नहीं आती है. उस घर में बरक्कत होती है. उस घर के कष्ट निवारण होते हैं, वह घर धन-धान्य से परिपूर्ण होता है.
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शरद पूर्णिमा शुभ मुहूर्त: ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि, शरद पूर्णिमा के दिन शुभ मुहूर्त सायं कालीन 7:00 बजे से लेकर 9:00 के बीच में खीर पकाने का है, और रात 9 से 10 बजे के बीच में खीर को भगवान कृष्ण की पूजा करने के बाद वहां रखकर भोग लगाने का मुहूर्त है. इसके बाद रात 10 बजे से लेकर सुबह 6:00 बजे तक उस खीर को किसी खुले स्थान में रखने का शुभ मुहूर्त है. प्रातः कालीन सूर्योदय से लेकर के 8:00 बजे के बीच में उस महाप्रसाद को खाने और वितरित करने का मुहूर्त है.