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परोपकारः बेजुबानों के लिए संकट मोचक बने युवा, निःस्वार्थ भाव से कर रहे सेवा

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Published : Apr 8, 2020, 5:34 PM IST

लॉकडाउन का असर शहर के ऐसे जानवर पशुओं पर पड़ रहा है जिनका कोई घर नहीं, जिनके खाने और पीने का ठिकाना नहीं. ऐसे बेजुबानों के लिए इस लॉकडाउन में असली संकट मोचक बनकर आई है शहर की अटल कामधेनु गौ सेवा संस्थान और धेनु सेवा संस्थान की टीम जो इन बेजुवानों को खाना खिला रही है.

Shahdol youth becomes distress for unruly animals
बेजुबानों के लिए संकट मोचक बने युवा

शहडोल। देश में कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है. साथ ही लॉकडाउन का दौर भी लगातार चल रहा है. ऐसे में गरीबों और भूखों को खाना खिलाने के लिए सरकार के साथ ही कई सामाजिक संगठन भी आगे आए और सेवा भाव से सभी की मदद करने में जुट गए. लेकिन लॉकडाउन का असर शहर के ऐसे जानवर, पशुओं पर भी पड़ा जिनका कोई घर नहीं, जिनके खाने और पीने का ठिकाना नहीं. ऐसे बेजुबानों के लिए इस लॉकडाउन में असली संकट मोचक बनकर आई है शहर की अटल कामधेनु गौ सेवा संस्थान और धेनु सेवा संस्थान की टीम जो इन बेजुवानों को खाना खिला रही है.

बेजुबानों के लिए संकट मोचक बने युवा
हर दिन शासन के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए ये युवा टीम दो अलग अलग गाड़ियों में इन बेज़ुबानों के खाने पीने की पूरी व्यवस्था करके निकलती है और शहर के जिस भी कोने में कोई भी बेजुबान गाय, बैल, कुत्ता, पक्षी, कोई भी मिले उनके खाने का इंतज़ाम करते हैं. प्यासे को पानी पिलाते हैं, भूखे को खाना खिलाते है. युवाओं ने ये पशु सेवा का काम लॉकडाउन के पहले दिन से ही जारी है और ये काम पूरे लॉकडाउन में भी जारी रहेगा.किसी का बर्थडे तो स्पेशल खानाइन बेजुबानों को खाना खिलाने में जो खर्च आता है वो ये दोनों संस्थान और इस संस्थान के युवा तो उठाते ही हैं. साथ ही शहर के सामाजिक और सहयोगी भी मदद करते हैं. समय-समय पर दान देते रहते हैं. इन बेजुबानों के लिए ये युवा कभी-कभी स्पेशल भी कर देते हैं, अगर इस युवा टीम के किसी सदस्य का उसके माता पिता या भाई बहन का बर्थडे होता है तो वो स्पेशल हरी सब्जियां भाजी जो भी मिल जाये वो खरीदकर इन बेजुबानों को खिलाते हैं.
Shahdol youth becomes distress for unruly animals
बेजुबानों के लिए इस लॉकडाउन में असली संकट मोचक
युवाओं की खास अपील युवा टीम लगातार इस लॉकडाउन के दौर में भी घायल जानवरों का रेस्क्यू लगातार कर रही है और हर समय उनके मदद के लिए खड़ी रहती है. इन सेवक युवाओं ने शहर के लोगों से खास अपील भी की है की वो हर दिन गाड़ी में पानी और चारा लेकर निकलते हैं. अगर शहर के लोग अपने अपने घरों के सामने एक-एक नाद रखवा लें तो वो उस नाद में हर दिन वो पानी भरने को तैयार हैं, जिससे बेजुबानों को पानी का एक सहारा मिल जाएगा.
Shahdol youth becomes distress for unruly animals
निःस्वार्थ भाव से सेवा

शहडोल। देश में कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है. साथ ही लॉकडाउन का दौर भी लगातार चल रहा है. ऐसे में गरीबों और भूखों को खाना खिलाने के लिए सरकार के साथ ही कई सामाजिक संगठन भी आगे आए और सेवा भाव से सभी की मदद करने में जुट गए. लेकिन लॉकडाउन का असर शहर के ऐसे जानवर, पशुओं पर भी पड़ा जिनका कोई घर नहीं, जिनके खाने और पीने का ठिकाना नहीं. ऐसे बेजुबानों के लिए इस लॉकडाउन में असली संकट मोचक बनकर आई है शहर की अटल कामधेनु गौ सेवा संस्थान और धेनु सेवा संस्थान की टीम जो इन बेजुवानों को खाना खिला रही है.

बेजुबानों के लिए संकट मोचक बने युवा
हर दिन शासन के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए ये युवा टीम दो अलग अलग गाड़ियों में इन बेज़ुबानों के खाने पीने की पूरी व्यवस्था करके निकलती है और शहर के जिस भी कोने में कोई भी बेजुबान गाय, बैल, कुत्ता, पक्षी, कोई भी मिले उनके खाने का इंतज़ाम करते हैं. प्यासे को पानी पिलाते हैं, भूखे को खाना खिलाते है. युवाओं ने ये पशु सेवा का काम लॉकडाउन के पहले दिन से ही जारी है और ये काम पूरे लॉकडाउन में भी जारी रहेगा.किसी का बर्थडे तो स्पेशल खानाइन बेजुबानों को खाना खिलाने में जो खर्च आता है वो ये दोनों संस्थान और इस संस्थान के युवा तो उठाते ही हैं. साथ ही शहर के सामाजिक और सहयोगी भी मदद करते हैं. समय-समय पर दान देते रहते हैं. इन बेजुबानों के लिए ये युवा कभी-कभी स्पेशल भी कर देते हैं, अगर इस युवा टीम के किसी सदस्य का उसके माता पिता या भाई बहन का बर्थडे होता है तो वो स्पेशल हरी सब्जियां भाजी जो भी मिल जाये वो खरीदकर इन बेजुबानों को खिलाते हैं.
Shahdol youth becomes distress for unruly animals
बेजुबानों के लिए इस लॉकडाउन में असली संकट मोचक
युवाओं की खास अपील युवा टीम लगातार इस लॉकडाउन के दौर में भी घायल जानवरों का रेस्क्यू लगातार कर रही है और हर समय उनके मदद के लिए खड़ी रहती है. इन सेवक युवाओं ने शहर के लोगों से खास अपील भी की है की वो हर दिन गाड़ी में पानी और चारा लेकर निकलते हैं. अगर शहर के लोग अपने अपने घरों के सामने एक-एक नाद रखवा लें तो वो उस नाद में हर दिन वो पानी भरने को तैयार हैं, जिससे बेजुबानों को पानी का एक सहारा मिल जाएगा.
Shahdol youth becomes distress for unruly animals
निःस्वार्थ भाव से सेवा
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