शहडोल। 'कहते हैं पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे तो हो जाओगे खराब', ये लाइनें अब पुरानी हो चुकी हैं. अब तो 'पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब और खेलोगे कूदोगे तो भी बनोगे नवाब', यह लाइन चरितार्थ हो रही हैं. बदलते वक्त के साथ बहुत कुछ बदला है. अब खिलाड़ी खेल के साथ-साथ पढ़ाई में भी अव्वल आ रहे हैं. खिलाड़ी खेल में करियर बना रहे हैं. इसके साथ पढ़ाई में भी शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है शहडोल के रहने वाले पंकज सिंह ने, जो न केवल बास्केट बॉल में कई नेशनल खेल कर गोल्ड जीत चुके हैं, बल्कि हाल ही में 12वीं कक्षा की आए परिणामों में जिले में दूसरा स्थान हासिल किया है. जिले में सेकेंड टॉपर होने पर पंकज चर्चाओं में हैं. (Pankaj tops in studies with sports in shahdol)
खेल के साथ पढ़ाई में भी अव्वलः शहडोल के पंकज सिंह की उम्र अभी 19 साल के लगभग है. बचपन से ही काफी कम उम्र से पंकज सिंह बास्केट बॉल खेल रहे हैं. लगातार अपने खेल के दम पर सुर्खियों में भी बने रहते हैं. पंकज सिंह ने बहुत कम उम्र में खेल में बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है. पंकज सिंह अब तक तो बास्केटबॉल में कमाल करके सुर्खियां बटोरते थे, अभी हाल ही में 12वीं के रिजल्ट में उन्होंने कमला कर दिया. (basket ball player pankaj)
क्या कहते हैं पंकज के कोचः पंकज सिंह के कोच केके श्रीवास्तव कहते हैं अभी हाल ही में पंकज सिंह ने कमाल कर दिया है. अब तक पंकज सिंह बास्केटबॉल के खेल में एक टैलेंटेड खिलाड़ी थे. उनकी तारीफ करते हर कोई थकता नहीं था, लेकिन अब पंकज सिंह ने कक्षा 12वीं के रिजल्ट में भी कमाल करके सभी को चौंका दिया है. कोच ने बताया कि पंकज काफी कम उम्र में उनके पास बास्केटबॉल सीखने आये थे. पंकज ने कॉमर्स ग्रुप से अभी 91% रिजल्ट बनाया है और जिले में इनकी सेकेंड रैंक है.
पिछले 10 साल से चल रही है प्रैक्टिसः कोच ने बताया कि पंकज 3 घंटे सुबह और शाम को 3 घंटे पिछले 10 साल से उनके साथ प्रैक्टिस कर रहे हैं. कोच के मुताबिक पंकज खेल में भी अच्छा था और पढ़ाई में भी अच्छा है. उन्होंने कहा कि बास्केटबॉल एक टेक्निकल गेम है. इसे वही खेल सकता है, जिसका दिमाग अच्छा हो और पढ़ाई में तेज हो. पढ़ाई में पंकज का रुझान शुरू से ही था. मुझे उम्मीद है कि आगे चलकर पंकज इंडिया को भी रिप्रेजेंट करे. जूनियर इंडिया पहले ही खेल चुका है. इसे हर मोड़ पर चैंपियन बनने की आदत पड़ गई है.
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इंडिया खेलना चाहता है पंकजः पंकज ने बताया कि मैं बहुत सारे नेशनल खेल चुका हूं. दो 'खेलो इंडिया' भी मैंने खेला है. मेरे पास नेशनल में गोल्ड मेडल भी है. स्कूल इंडिया भी खेल चुका हूं. पंकज ने बताया कि इस बार 12वीं के रिजल्ट में मुझे उम्मीद थी की कुछ ऐसा ही रिजल्ट आने वाला है, क्योंकि काफी मेहनत किया था. मैं सुबह उठकर पढ़ाई करता था, फिर खेलने आता था फिर जाकर समय मिलता था, तो पढ़ाई कर लेता था. इसके बाद फिर खेलने आता था फिर पढ़ाई के लिए मैं समय देता था. मैंने अपने पूरे दिन का शेड्यूल बना रखा था. मैं सुबह 5:00 बजे के लगभग उठ जाता हूं. सुबह 5:00 से 6:00 पढ़ता था फिर स्टेडियम आ जाता था, जहां 6:00 बजे से कोच के अंडर में ट्रेनिंग लेता था. मैं बास्केट बॉल में इंडिया खेलना चाहता हूं. आगे चलकर बीपीएड का कोर्स करना चाहता हूं.