शहडोल। शहडोल जिला न केवल यहां की प्राकृतिक खूबसूरती यहां के खनिज संसाधन के लिए पहचाना जाता है, बल्कि अब ये जिला यहां के एक से बढ़कर एक टैलेंटेड खिलाड़ियों की वजह से भी अलग पहचान बना रहा है. भले ही यहां के कुछ युवा खिलाड़ी आर्थिक तौर पर कमजोर हैं, लेकिन खेल में उनके टैलेंट का कोई तोड़ नहीं. आज हम आपको बताएंगे ऐसे ही युवा कराटे खिलाड़ी आरती तिवारी के बारे में जिसने अभी हाल ही में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. आरती जूनियर एशियन चैंपियनशिप के लिए सिलेक्ट हुई हैं, लेकिन अब उनके सामने आर्थिक मजबूरी आ गई है. जिसके बाद अब उस टूर्नामेंट में उनके शामिल होने में ही असमंजस बन गया है.
एशियन चैंपियनशिप के लिए सेलेक्ट: शहडोल जिले की आरती तिवारी युवा कराटे खिलाड़ी है. पिछले कुछ साल से वह कराटे में लगातार सफलता हासिल करती जा रही है. आरती शहडोल जिला मुख्यालय से लगे हुए गोरतरा गांव की रहने वाली है, और काफी संघर्ष के बाद आरती ने अब कराटे के इस खेल में बड़ी उपलब्धियां हासिल की है. इसकी वजह से वो युवा ग्रामीण लड़कियों के लिए रोल मॉडल भी है. आरती की उम्र 17 साल है. आरती जूनियर एशियन चैंपियनशिप के लिए सिलेक्ट हुई है, जो उनके लिए ही नहीं बल्कि पूरे मध्य प्रदेश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है.
उज्बेकिस्तान में है मुकाबला: युवा कराटे खिलाड़ी आरती बताती है कि, जूनियर एशियन चैंपियनशिप के लिए वह सिलेक्ट हो गई है, और ये मुकाबला उज्बेकिस्तान में खेला जाना है. 16 से 20 दिसंबर के बीच ये टूर्नामेंट होगा. जूनियर एशियन चैंपियनशिप के लिए आरती 53 किलोग्राम वर्ग के मुकाबले में शामिल होगी. आरती पहले शहडोल में ही प्रैक्टिस करती थी, लेकिन अब पिछले कुछ समय से वे जबलपुर के साई सेंटर में ट्रेनिंग कर रही है. आरती बताती है कि उसकी तैयारी बहुत अच्छी चल रही है और उसे उम्मीद है कि वह इस चैंपियनशिप में मेडल भी जीतेगी.
आरती की कामयाबी: आरती के शुरुआती कोच बताते हैं, जब उन्होंने आरती को ट्रेनिंग देना शुरू किया था तभी उन्हें लगा था की आरती अपने इस खेल के माध्यम से दूर तलक जाएगी. उनके शुरुआती कोच को तो आरती से ओलंपिक में भी मेडल की उम्मीद है. आरती बताती है कि वे अब तक 7 नेशनल में गोल्ड मेडल जीती है, इसके अलावा स्टेट्स में भी वे कई गोल्ड मेडल जीत चुकी है.
गांव की लड़की का बड़ा कमाल: आरती गांव की रहने वाली है, जिसने अबतक बड़ा कमाल किया है. इसके पीछे उसकी कड़ी तपस्या भी छिपी हुई है. आरती का कहना है कि, वो शुरुआत में गोरतरा गांव से शहडोल प्रैक्टिस करने साइकिल चलाकर आती थी. सुबह प्रैक्टिस करने आना स्कूल भी मेंटेन करना इसके बाद फिर प्रैक्टिस करना और वो भी एक दो दिन नहीं बल्कि कई साल तक लगातार ये शेड्यूल मेंटेन करना ये इतना आसान नहीं था. आरती ने बताया कि, उसकी फैमिली इकोनॉमिकल तौर पर इतनी स्ट्रांग नहीं है. इसकी वजह से उसे डाइट की दिक्कत होती थी, लेकिन आरती का मानना है की वो वक्त भी कट गया बिना संघर्ष और तपस्या के कोई कामयाबी नहीं मिलती. आरती तिवारी को पूरा भरोसा है कि अगर वह जूनियर एशियन चैंपियनशिप में हिस्सा लेने जाती है, तो वहां वह गोल्ड मेडल जीतने में कामयाब होगी.
सता रहा इस बात का डर: आरती तिवारी जूनियर एशियन चैंपियनशिप के लिए सिलेक्ट तो हो गई है, लेकिन अब उसे इस बात का डर सता रहा है कि वह वहां खेलने जा भी पाएगी या नहीं, क्योंकि उसके पास अभी कोई स्पॉन्सर नहीं है. उसकी आर्थिक स्थिति सही नहीं होने की वजह से उसकी फैमली भी आरती का वहां भेजने का खर्ज नहीं उठा पाएगी. ऐसे में अब उसको टूर्नामेंट से ज्यादा इस बात की टेंशन है कि वे स्पॉन्सर कहां से लाए. आरती का कहना है कि, एसोसिएशन तो मुझे सपोर्ट कर रहा है, लेकिन फाइनेंशयली नहीं हो पा रहा है. अगर सही समय पर स्पॉन्सरशिप नहीं मिलता है, तो हो सकता है कि वो टूर्नामेंट खेलने नहीं जा पाएगी.