शहडोल। शहद एक ऐसी औषधि है, जिसका हर तरह से इस्तेमाल किया जाता है. कोई अपने डेली रूटीन में हर दिन इसे खानपान में शामिल करता है, तो कोई तरह तरह के पकवान बनाने में शहद का इस्तेमाल करता है. दवाइयों के लिए तो शहद रामबाण माना जाता है. अगर आयुर्वेद का इलाज आप करा रहे हैं, तो शहद के माध्यम से कई गोलियां खाने से अच्छा है शहद का इस्तेमाल करना. डॉक्टर खुद भी शहद का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं. ऐसे में आप समझ सकते हैं कि इंसान के जीवन के लिए शहद कितना उपयोगी है, कितने महत्व वाला है. मधुमक्खी का पालन किसानों के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है बस जरूरत है इसे तरीके से करने की. आज ईटीवी भारत पर आपको एक ऐसे ही युवा किसान के बारे में बताने जा रहे हैं, जो मधुमक्खी का पालन कर लाखों कमा रहा है और दूसरे युवाओं के लिए भी एक प्रेरणा बन रहा है.
मधुमक्खी पालन को बनाया कमाई का जरिया: शहडोल जिले के कोयलांचल नगरी धनपुरी के रहने वाले जयप्रकाश काछी युवा हैं, और अब जिले में वो अपनी पहचान एक मधुमक्खी पालक की बना चुके हैं. जयप्रकाश काछी बताते हैं कि, वो लगभग 8 साल से मधुमक्खी पालन कर रहे हैं और शहद का व्यापार कर रहे हैं. उन्होंने मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग मुरैना अनुसंधान केंद्र से ली. इसके बाद उन्हें मधुमक्खी पालन का काम बहुत पसंद आया और इस पर ही अपना करियर बनाना चाहा, आय का प्रमुख स्रोत भी इसे ही बनाया. इसके लिए उन्होंने मुरैना में ही एक बी कीपर के पास रहकर काम को अच्छे से सीखा और जब उन्हें लगा कि काम में पूरी तरह से वह पारंगत हो गए हैं तो फिर इसके बाद उन्होंने इसकी शुरुआत की.
100 पेटी से की शुरुआत: मधुमक्खी पालक जयप्रकाश काछी बताते हैं, कि मधुमक्खी पालन सीखने के बाद उन्होंने इसकी शुरुआत 100 पेटी से की. मधुमक्खी पालने की लागत उस समय करीब 4 लाख आई थी. 4 हजार रुपए प्रति पेटी की दर से उन्होंने इसे खरीदा था, जिसमें उन्हें कुछ छत्ते मिले थे और कुछ पेटी जिसमें उसकी पूरी कॉलोनी थी. जयप्रकाश काछी बताते हैं कि, आज उनके पास लगभग 12 सौ पेटियां खुद की हो गई हैं और वह लगातार मधुमक्खी पालन करते जा रहे हैं और लोग भी उनसे जुड़ते जा रहे हैं.
लाखों कमा रहा युवा: शहद का पालन करने वाले युवा जयप्रकाश काछी बताते हैं कि, आज के समय में वो लगभग 100 टन शहद का उत्पादन साल भर में करते हैं, और सारे खर्च काटकर करीब 15 लाख रुपए के करीब सालाना वो बचा लेने में कामयाब भी होते हैं. जयप्रकाश काछी बताते हैं कि शहद पालन युवाओं के लिए एक बढ़िया करियर ऑप्शन हो सकता है, बस इसे तरीके से लगन से करने की जरूरत है.
8 प्रकार के शहद का करते हैं उत्पादन: शहद पालन को लेकर जयप्रकाश काछी बताते हैं कि, वो 8 प्रकार के शहद का उत्पादन इस क्षेत्र में करते हैं, जिसमें राम तिल, सरसों, यूकेलिप्टस, बबूल, लीची, जामुन और अजवाइन का शहद है. इसके लिए वह अपने क्षेत्र के किसानों से जुड़ते हैं और जो किसान जिस फसल की खेती करते हैं, वहां पर ले जाकर वो अपने उस खेत के बीच में बॉक्स रखते हैं. इससे किसानों को भी फायदा होता है कि, पॉलिनेशन के माध्यम से उनकी फसल भी बढ़ जाती है और उन्हें उस फ्लेवर का शहद भी मिल जाता है.
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दिल्ली में बेचते हैं: किसी भी प्रोडक्ट का उत्पादन तो कर लिया जाता है, लेकिन किसान के लिए सबसे बड़ी समस्या आती है कि वह उसे बेचे कहां पर और मार्केट कहां से लाए. इसे लेकर भी युवा जयप्रकाश काछी बताते हैं, कि अभी तक उन्हें यहां तो लोकल कोई मार्केट मिल नहीं रहा था, क्योंकि शहद का उत्पादन काफी तादात में हो रहा था. ऐसे में दिल्ली में जो एक्सपोर्टर होते हैं वहां पर पूरा शहद इकट्ठा करके वो ले जाते हैं और उन्हें ही बेच देते हैं.
मधुमक्खी पालन की काफी संभावना: शहद के युवा किसान जयप्रकाश काछी बताते हैं कि, शहडोल जिले में मधुमक्खी पालन की बहुत ज्यादा संभावनाएं हैं. शहडोल संभाग जंगली क्षेत्र से घिरा हुआ है. इस क्षेत्र में बहुत बड़े पैमाने पर मधुमक्खी पालन किया जा सकता है. यहां पर वह सारी चीजें हैं जो एक मधुमक्खी पालक को चाहिए होती है. अगर प्रशासन ध्यान दें और हनी मिशन में हमारा शहडोल जिला भी जुड़ जाए तो हमारे जिले के कई युवा और साथी भी मिलकर प्रकार के वैक्स का उत्पादन कर सकते हैं. बस जरूरत है प्रशासन के माध्यम से अच्छे तरीके से ट्रेनिंग देने की.
खुद भी कर रहे और लोगों को भी सिखा रहे: मधुमक्खी पालक युवा किसान बताते हैं कि, अभी उनके पास स्वसहायता समूह के दो समूह जुड़े हुए हैं. एनआरएलएम की दीदियां, साथ ही साथ मधुमक्खी पालन का काम जो हमारे साथ में युवा कर रहे हैं. 25 ऐसे युवा हैं जो हमारे साथ जुड़ कर के मधुमक्खी पालन से शहद उत्पादन कर रहे हैं. इसके अलावा जो भी उनके पास मधुमक्खी पालन के बारे में सीखने आता है वो उन्हें सिखाने से पीछे नहीं हटते हैं.
युवाओं के लिए बेहतर करियर ऑप्शन: उद्यानिकी विभाग के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी विक्रम कलमें बताते हैं कि, "बुढार धनपुरी क्षेत्र के जयप्रकाश काछी पिछले कुछ साल से शहद पालन कर रहे हैं. उनके साथ करीब 5 से 6 सौ कृषक जुड़े भी हुए हैं. देखा जाए तो युवाओं के लिए शहद उत्पादन एक अच्छा रोजगार साबित हो सकता है, क्योंकि अपना यह जो क्षेत्र फॉरेस्ट एरिया है. मधुमक्खी पालन के लिए यहां का एनवायरनमेंट बहुत अच्छा है. इस कारण ज्यादा चांस बनता है कि, यहां पर मधुमक्खी पालन को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दिया जा सकता है. अगर मधुमक्खी पालन करते हैं तो इसके लिए जमीन आदि की ज्यादा जरूरत नहीं होती है. जो बेरोजगार हैं, जिनके पास जमीन नहीं है वह भी मधुमक्खी पालन करके कमाई कर सकते हैं. इसमें बहुत छोटी सी जगह में व्यक्ति बहुत आराम से आमदनी प्राप्त कर सकता है."