शहडोल। गर्मी का सीजन शुरू होते ही देसी फ्रिज की डिमांड बढ़ जाती है और जगह-जगह पर मिट्टी के मटकों के स्टॉल आपको देखने को मिल जाएंगे. मिट्टी के मटकों की दुकानों में एक खास बात यह भी है कि इनमें से ज्यादातर दुकान उमरिया के चंदिया से आए व्यापारियों की होती हैं, जो चंदिया की मिट्टी से बने मटकों को बेचने के लिए पहुंचते हैं. शहडोल जिले में भी हर वर्ष की तरह मौजूदा साल भी जगह-जगह चंदिया के मटका व्यापारियों की दुकानें लगी हुई हैं, जहां वह तरह-तरह के मटके तो बेच रहे हैं. इसके साथ ही इस बार मिट्टी के बने बर्तनों में भी कई बदलाव देखने को मिल रहा है, जिसमें चंदिया की ब्रांडिंग भी देखी जा सकती है. इसके अलावा ग्राहकों के लिए तरह-तरह के ऑप्शन भी बर्तन में उपलब्ध कराए गए हैं. (Shahdol earthen pots jugs in demand)
'देसी फ्रिज' की बढ़ गई डिमांड: शहडोल जिले में इन दिनों तापमान आसमान छू रहा है, प्रचंड गर्मी से लोगों का हाल बेहाल है. अप्रैल महीने में ही गर्मी ने अपने सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं पिछले कुछ दिन से तापमान 44 डिग्री पार जा रहा है और मौसम विभाग ने तो इस हफ्ते 45 डिग्री तक तापमान जाने की उम्मीद भी जताई है. कुल मिलाकर अभी लोगों को गर्मी से राहत नहीं मिलने वाली है, ऐसे में गर्मी से बचाव के लिए लोगों के बीच में देसी फ्रिज की काफी डिमांड बढ़ रही है, और जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जा रही है लोग मिट्टी से बने मटकों को खरीदने के लिए दुकानों पर पहुंच रहे हैं. जिस तरह से इस बार मिट्टी के मटकों की बिक्री हो रही है, उसे लेकर दुकानदार भी काफी खुश है क्योंकि कोरोनाकाल के बाद व्यापार बढ़ने से अब वो भी काफी उत्साहित हैं.
'चंदिया के मटके ही लाना': उमरिया के चंदिया से बने मिट्टी के मटके सिर्फ शहडोल में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में फेमस है. जब लोग मिट्टी के मटके खरीदने के लिए दुकानों पर पहुंचते हैं, तो चंदिया के मिट्टी से बने मटके ही मांगते हैं. जब ग्राहक मटके की दुकानों पर पहुंचते हैं तो व्यापारियों से वह यही कहते हैं कि उन्हें घर से कहा गया है कि चंदिया के मटके ही लाना, ऐसे में लोगों का मानना है कि चंदिया की मिट्टी से जो मटके तैयार किए जाते हैं वह काफी अलग होते हैं, उसमें पानी काफी ठंडा होता है. इसके साथ ही युवा व्यापारी शिव कुमार प्रजापति हैं कि, उनका ये काम पुश्तैनी है इससे पहले उनके दादा परदादा यह काम किया करते थे, जिसके बाद उनके पिताजी ने भी यह काम किया और अब शिव कुमार भी यही काम कर रहे हैं. शिव बताते हैं कि वह चंदिया से आए हुए हैं और शहडोल जिला मुख्यालय में मटका दुकान लगाकर व्यापार कर रहे हैं. चंदिया के मटकों की विशेष डिमांड होती है.
मटकों में भी महंगाई की मार: इस बार चंदिया में बने मटकों में भी महंगाई की मार देखने को मिल रही है, पिछले साल जो मटके 50 से 60 रुपये में मिल रहे थे, मौजूदा साल वह 100 से 110 रुपये में मिल रहे हैं. मटका व्यापारियों ने बताया कि जो बड़े मटके हैं वह 90 से 110 रुपये के बीच में बेच रहे हैं, इसके अलावा जो नल लगे वाले मटके हैं वह 160 से 180 रुपये के बीच में बेच रहे हैं. इसके साथ ही अलग-अलग जो और बर्तन है उनके दाम अलग रखे गए हैं.
हर बर्तन में चंदिया की ब्रांडिंग: पहले तो चंदिया के मटके चंदिया नाम से ही दुकानदार बेचा करते थे, लेकिन मौजूदा साल दुकानों में उन मटको में एक और खास बात देखने को मिल रही है, हर मटके में चंदिया लिखा हुआ है. कुल मिलाकर बदलते वक्त के साथ व्यापारी भी उसकी खूब ब्रांडिंग भी कर रहे हैं, इस बार मटका बनाते समय यह विशेष ध्यान रखा गया है कि उसमें चंदिया जरूर लिखा जाए.
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ग्राहकों का विशेष ख्याल: मटका व्यापारी बताते हैं कि इस बार मिट्टी से बने हुए बर्तनों की संख्या भी अलग-अलग है, जिसमें मिट्टी से बना बॉटल भी उपलब्ध है, जिसे आप साथ में रख सकते हैं और ठंडा पानी पी सकते हैं. इसके अलावा सुराही भी है, नल वाले मटके हैं, जिस किसी को सीधे मटके से पानी निकालने में दिक्कत होती है, वो नल वाला मटका ले सकता है. मटका व्यापारियों का कहना है कि वह हर साल एक कोशिश करते हैं कि मटका में कुछ नया करें जो ग्राहक डिमांड कर रहे हैं वह लाने की कोशिश करें.
इसलिए खास हैं चंदिया के मटके: मटका व्यापारियों ने बताया कि चंदिया की मिट्टी में बात ही अलग है, वहां की मिट्टी अलग तरह की है जो हर जगह नहीं मिलती. चंदिया की मिट्टी चिकनी मिट्टी होती है, जिसमें घड़े का निर्माण बहुत अच्छा होता है और इसमें पानी भी बहुत अच्छा शीतल होता है.
सेहत के लिए परफेक्ट हैं ये मटके: आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव कहते हैं कि मटका और मटका का पानी दोनों ही चीजें सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हैं. बात करें मटके की तो मिट्टी से बनता है, जिसमें बायोडीग्रेडबल होता है जो प्रकृति को नुकसान भी नहीं पहुंचाता और बॉडी के लिए एक ऑप्टिमम टेम्परेचर अनुकूल तापमान होने के कारण शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाता. गर्मी के समय में जितने तापमान का पानी शारीर को चाहिए उतने तापमान का पानी मटके से हमें आसानी से मिल जाता है.
फ्रिज की तुलना में मटका इसलिए है बेहतर: अगर फ्रिज और मटके में कंपेयर किया जाए तो फ्रिज का पानी 4 से 6 डिग्री सेंटीग्रेड का होता है, जो कि शरीर में जाने पर शरीर के चय-अपचय क्रिया को कम कर देता है, जिसके कारण मेटाबोलिक बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है. फ्रिज के पानी से हार्ट डिसीज, डायाबिटिक, पेट के रोग होने की समभावना बढ़ जाती हैं. वहीं दूसरी ओर मटके के पानी का तापमान इतना कम नहीं होता है कि वह ये सारे रोग उत्पन्न नहीं करता. इसके अलावा मटके के पानी से एक अलग ही तृप्ति मिलती है, एसिडिटी में भी फायदा मिलता है. मटके में खनिज पदार्थ की मात्रा बहुत होती है क्योंकि ये मिट्टी से बनता है, जिससे माइक्रो न्यूट्रिएंट्स पानी के माध्यम से शरीर में जाते रहते हैं तो मिनरल डेफिशियेंसी में भी मटका बहुत फायदा करता है.
गौरतलब है कि बदलते वक्त के साथ जहां मिट्टी के बर्तन बनाने वाले व्यापारी भी चीजों को अपग्रेड कर रहे हैं. ग्राहकों की सुविधा अनुसार सामान उपलब्ध कराने की कोशिश कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर आम लोगों में भी अपने देशी मिट्टी के बर्तन खरीदने की चाह बढ़ रही है और ज्यादा से ज्यादा लोग मिट्टी के मटके खरीदने पहुंच रहे हैं. मिट्टी की सुराही मिट्टी के बोतल खरीद रहे हैं, हर साल की अपेक्षा मौजूदा साल मिट्टी से बने बर्तनों की ग्राहकों के बीच काफी ज्यादा डिमांड है.