शहडोल। कृषि वैज्ञानिक डॉ. बीके प्रजापति बताते हैं कि रबी सीजन की खेती में हमारे जिले में मुख्यतः जिन फसलों की खेती होती है, उसमें गेहूं, चना, अलसी, मसूर, सरसों सभी फसलों को हम आसानी से उगा सकते हैं. जिले में रबी सीजन में मुख्यतः इन्हीं फसलों की खेती बहुतायत में की जाती है. प्रजापति के मुताबिक जब कभी भी रबी सीजन में बीजों के किस्मों का चयन करें तो यह बात जरूर ध्यान रखें कि खेत में पानी सिंचाई की क्या व्यवस्था है, खेत की उर्वरा शक्ति कैसी है, फसल कब लगाना है, अगेती फसल लगाना है या पिछेती फसल लगाना है. कोशिश करें कि हम अच्छे बीजों का चयन करें.
एचआई 1605 क़िस्म का गेहूं उत्तम : कृषि वैज्ञानिक डॉ. बीके प्रजापति बताते हैं कि वर्तमान में कुपोषण की समस्या से निराकरण के लिए "एचआई 1605" क़िस्म का गेहूं खाने के लिए बहुत ही उत्तम है. इसमें आयरन और जिंक की मात्रा बहुत ज्यादा पाई जाती है. इसकी विशेषता यह है कि अगर आप इसे बहुत अच्छे से सिंचित क्षेत्र में बीज का उपयोग करते हैं तो निश्चित रूप से आप 55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन ले सकते हैं. इसी प्रकार से "एचआई 8759" जिसे पूसा तेजस नाम से हम जानते हैं, इससे 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन आपको प्राप्त हो सकता है. इन दोनों ही किस्मों की अवधि 120 से 125 दिन की होती है. सिंचित क्षेत्र के लिए दोनों ही क़िस्म के बीज में यह बहुत ही अच्छा है.
पूसा तेजस कुपोषण के लिए कारगर : पूसा तेजस क़िस्म कुपोषण के निवारण के लिए बहुत अच्छी फसल है. इसमें प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है. इसके अलावा जिन किसान भाइयों के पास असिंचित क्षेत्र है. पानी की उपलब्धता थोड़ी कम है. उन क्षेत्रों में "जेडब्ल्यू 3211" और जेडब्ल्यू "3288" उपयोग कर सकते हैं. इस किस्म की फसल में दो से तीन पानी ही देना पड़ेगा. इसके अलावा कुछ किसानों के साथ समस्या होती. उनकी धान की कटाई देरी से होती है. गेहूं की पछेती खेती या यूं कहें कि खरीफ के फसल के चलते अगर खेत देरी से खाली हो रहा है और गेहूं की फसल लगाना चाहते हैं तो उनके लिए मुख्यतः "जेडब्ल्यू 33 36" किस्म, लेट बुवाई के लिए किसानों के बीच बहुत ही प्रचलित है.
इन बीजों पर ध्यान दें : इस समय में हीट स्ट्रेस की समस्या बहुत ज्यादा होती है. मार्च-अप्रैल में गेहूं में ज्यादा गर्मी की वजह से दाने छोटे पड़ जाते हैं. इस दशा में जेडब्ल्यू 1201 और 1202 यह दोनों ही लेट बुवाई के लिए बहुत अच्छा ऑप्शन है. इसी तरह चने के बीज के किस्म की बात करें तो मुख्यतः जेजी 24 यह नई किस्म है जोकि हार्वेस्टर से कटाई के लिए बहुत उपयुक्त है. ये लगभग 60 सेंटीमीटर मतलब 2 फीट का पौधा होता है. इसके अलावा जेजी 14 क़िस्म को जवाहरलाल नेहरू जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय ने विकसित किया है, यह भी लेट बुवाई के लिए बहुत ही अच्छी है. इसके अलावा जेजी 12 का दाना थोड़ा छोटा होता है, लेकिन दलहन दाल के लिए बहुत अच्छा होता है, और जेजी 36 इन किस्मों का इस्तेमाल किसान चने की खेती के लिए कर सकते हैं.
मसूर की फसल के लिए ये करें : मसूर की किस्म बात करें तो 'कोटा मसूर एक' इसके अलावा आईपीएल 316 आरबीएल 11-6 है. अलसी की बात करें तो इसे मुख्यतः जवाहरलाल नेहरू जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय ने बीज के क़िस्म जो विकसित किया है. उसमें जेएलएस 73, 79, 66, 67 ये सभी किस्म लगभग 110 से 115 दिनों की हैं. अब हम जब सरसों की बात करें तो सरसों में मुख्यतः पूसा मस्टर्ड 30, एकदम नवीनतम क़िस्म है. इसके अलावा एनआरसी एचबी 101 किस्म बड़े दाने की है, जो भी किसान इसकी खेती करना चाहते हैं तो 5 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से किसान इसकी बुवाई कर सकते हैं.
ऐसे करें खेत तैयार : खेत की तैयारी के बारे में वह बताते हैं कि गेहूं की फसल लगाने के लिए हमें बहुत बारीक मिट्टी की जरूरत होती है. इसमें दो बार कल्टीवेटर का उपयोग करने के बाद रोटावेटर चलाकर मिट्टी के ढेले को तोड़ने के लिए इस्तेमाल करें. इसके साथ 100 से 120 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई करनी होती है. उसे सीड ड्रिल में लेकर अगर बुवाई करें तो निश्चित रूप से जो बीज का वितरण भूमि पर होगा. वह एक बराबर होगा. उससे अच्छी फसल होगी. बीजों का अंकुरण बराबर होगा. इसके अलावा चने के लिए खेत तैयार करने की बात करें तो 75 से 80 केजी प्रति हेक्टेयर की दर से इसे भी आप ड्रिल मशीन का उपयोग करके बुवाई कर सकते हैं. चने की बात करें तो खेत में डीले वाले मिट्टी की आवश्यकता होती है और सीड ड्रिल से इसकी बुवाई करें. बीज अगर 8 सेंटीमीटर गहराई तक जाता है तो जो उकठा नामक बीमारी है नहीं लगती है. उसका निराकरण कर सकते हैं और अंकुरण बहुत अच्छा प्राप्त होगा.
अलसी व सरसों के लिए क्या करें : अलसी के लिए 20 से 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज दर का उपयोग करना है और सरसों के लिए 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज दर का उपयोग करना है. मजिन फसलों के दाने छोटे होते हैं जैसे अलसी, सरसों, मसूर उनके लिए कल्टीवेटर और रोटावेटर से पहले खेत की जुताई करते है. अगर सीड ड्रिल या किसी और से किसान बुवाई करते हैं तो उसमें पाटा जरूर चलाएं, जिससे मिट्टी में बीज दब जाएं.
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बुवाई से पहले बीज जरूर करें उपचारित : इस खेती में सबसे सावधानी हमको रखने की जरूरत है कि बीज को उपचारित करना. बुवाई से पहले बीज को उपचारित करने के लिए अगर हम रासायनिक फंगीसाइड का उपयोग करना चाहते हैं तो तो 2 ग्राम कार्बेंडाजिम मैनकोज़ेब का प्रति केजी बीज के लिए बहुत उपयुक्त होता है. अगर ड्राईकोडरमा से करना चाहें तो 5 ग्राम 1 किलो बीज के लिए उपयुक्त होता है. (Selection seeds for Rabi crops) (Seeds according to soil) (Prepare field before sow)