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डीएपी खाद की किल्लत के बीच रबी फसल की तैयारी शुरू, बेहतर उत्पादन के लिए रखें इन बातों का ख्याल - खेती के लिए जरूरी टिप्स

राज्य में डीएपी खाद की किल्लत के बीच खाद के दूसरे तरीके अपनाकर शहडोल के किसान अपनी खेती को बेहतर तरीके से कर सकते हैं. जिले में रबी फसल की खेती की तैयारी शुरू हो गयी है.

Rabi crop preparations started amidst shortage DAP fertilizer
डीएपी खाद की किल्लत के बीच रबी फसल की तैयारी शुरू
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Published : Oct 30, 2021, 10:02 AM IST

शहडोल। जिले में खरीफ फसल की खेती अब अपने आखिरी पड़ाव पर है. कई जगहों पर धान की फसलों की कटाई शुरू हो चुकी है, इसके साथ ही किसान रबी फसल की खेती की तैयारी में भी जुट चुके हैं. ऐसे में जहां पूरे प्रदेश में खाद को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. इस किल्लत के बीच किसान छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखकर बेहतर उत्पादन कर सकते हैं.

डीएपी खाद की किल्लत के बीच रबी फसल की तैयारी
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रबी फसल की तैयारी

यूं तो शहडोल जिले में खरीफ फसल की जितने किसान खेती करते हैं, रबी सीजन में उससे कम खेती होती है. लेकिन धीरे-धीरे अब इनकी संख्या भी बढ़ती जा रही है, क्योंकि किसान धीरे-धीरे सिंचाई का साधन बनाते जा रहा है कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी झारिया बताते हैं कि रबी सीजन में जिले में मुख्य रूप से गेहूं की खेती की जाती है, इसके अलावा चने, मटर, मसूर की भी खेती होती है. शहडोल जिले में पिछली बार 73 हजार हेक्टेयर रकबे में गेहूं की खेती की गई थी. मौजूदा साल 77 हजार हेक्टेयर गेहूं का रकबा बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. पिछले साल 6 हजार हेक्टेयर में लगी चने की फसल को इस साल साढ़े सात हजार हेक्टेयर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है.


सिंचाई का साधन नहीं तो ये फसल लगाएं
शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य ग्रामीण प्रधान जिला है और यहां पर खरीफ फसल की खेती ज्यादा रकबे में इसलिए होती है क्योंकि सिंचाई के साधन सीमित हैं. लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ रही है ऐसे में कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी झारिया कहते हैं कि जिनके पास सिंचाई का साधन नहीं है और उनके खेतों में थोड़ी जगह भी बची हुई है तो वह धान की फसल पकते ही तुरंत उसे काट लें और खेतों की जुताई करा कर, उतेरा पद्धति से मसूर और अलसी की खेती करें, जिससे फायदा यह होगा कि थोड़ी भी नमी होगी तो कम पानी में ही इसका उत्पादन हो जाता है. और जो खेत रबी सीजन में खाली रहेगा उस खेत में कुछ न कुछ आमदनी किसानों को हो जाएगी.


इन बातों का रखें ख्याल, होगी बंपर पैदावार
कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी झारिया कहते हैं, कि किसान किसी एक फसल पर ना जाएं. अलग-अलग फसल अलग-अलग पोषक तत्व लेती हैं, इसलिए फसलों का क्रम बदलते रहना चाहिए, जैसे हमेशा अनाज वाली फसलें धान के बाद गेहूं नहीं लगानी चाहिए. उन खेतों में दलहनी और तिलहनी फसलों की ओर जाना चाहिए, जिससे फसल के लिए पोषक तत्व इनकी गहरी जड़ों के जरिए वो ले पाते हैं, तो किसान को कम उर्वरक की आवश्यकता होती है. साथ ही जमीन में उर्वरक का संतुलन भी बना रहेगा और कम लागत में उनको ज्यादा-से-ज्यादा उत्पादन मिल पाएगा.

खाद की उपलब्धता पर ना करें निर्भर
इन दिनों खाद की किल्लत प्रदेश में काफी सुर्खियों में है. शहडोल में खाद को लेकर कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी झारिया ने बताया किजिले में यूरिया वर्तमान में 518 मीट्रिक टन उपलब्ध है, इसी तरह से डीएपी 1155 मीट्रिक टन वर्तमान में उपलब्ध है. और ये सभी खाद हमारे यहां जिले के समस्त सेवा सहकारी समितियों और डबल लॉक केंद्रों में भंडारित हैं. किसानों को सलाह देते हुए उन्होंने बताया कि डीएपी खाद नहीं मिलने पर दूसरे माध्यम से भी उनके लिए पोषक तत्व उपलब्ध कराया जा सकता है, जैसे वर्तमान में यूरिया एनपीके सुपर मिक्चर खाद की पर्याप्त मात्रा में है.

शहडोल। जिले में खरीफ फसल की खेती अब अपने आखिरी पड़ाव पर है. कई जगहों पर धान की फसलों की कटाई शुरू हो चुकी है, इसके साथ ही किसान रबी फसल की खेती की तैयारी में भी जुट चुके हैं. ऐसे में जहां पूरे प्रदेश में खाद को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. इस किल्लत के बीच किसान छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखकर बेहतर उत्पादन कर सकते हैं.

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रबी फसल की तैयारी

यूं तो शहडोल जिले में खरीफ फसल की जितने किसान खेती करते हैं, रबी सीजन में उससे कम खेती होती है. लेकिन धीरे-धीरे अब इनकी संख्या भी बढ़ती जा रही है, क्योंकि किसान धीरे-धीरे सिंचाई का साधन बनाते जा रहा है कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी झारिया बताते हैं कि रबी सीजन में जिले में मुख्य रूप से गेहूं की खेती की जाती है, इसके अलावा चने, मटर, मसूर की भी खेती होती है. शहडोल जिले में पिछली बार 73 हजार हेक्टेयर रकबे में गेहूं की खेती की गई थी. मौजूदा साल 77 हजार हेक्टेयर गेहूं का रकबा बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. पिछले साल 6 हजार हेक्टेयर में लगी चने की फसल को इस साल साढ़े सात हजार हेक्टेयर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है.


सिंचाई का साधन नहीं तो ये फसल लगाएं
शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य ग्रामीण प्रधान जिला है और यहां पर खरीफ फसल की खेती ज्यादा रकबे में इसलिए होती है क्योंकि सिंचाई के साधन सीमित हैं. लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ रही है ऐसे में कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी झारिया कहते हैं कि जिनके पास सिंचाई का साधन नहीं है और उनके खेतों में थोड़ी जगह भी बची हुई है तो वह धान की फसल पकते ही तुरंत उसे काट लें और खेतों की जुताई करा कर, उतेरा पद्धति से मसूर और अलसी की खेती करें, जिससे फायदा यह होगा कि थोड़ी भी नमी होगी तो कम पानी में ही इसका उत्पादन हो जाता है. और जो खेत रबी सीजन में खाली रहेगा उस खेत में कुछ न कुछ आमदनी किसानों को हो जाएगी.


इन बातों का रखें ख्याल, होगी बंपर पैदावार
कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी झारिया कहते हैं, कि किसान किसी एक फसल पर ना जाएं. अलग-अलग फसल अलग-अलग पोषक तत्व लेती हैं, इसलिए फसलों का क्रम बदलते रहना चाहिए, जैसे हमेशा अनाज वाली फसलें धान के बाद गेहूं नहीं लगानी चाहिए. उन खेतों में दलहनी और तिलहनी फसलों की ओर जाना चाहिए, जिससे फसल के लिए पोषक तत्व इनकी गहरी जड़ों के जरिए वो ले पाते हैं, तो किसान को कम उर्वरक की आवश्यकता होती है. साथ ही जमीन में उर्वरक का संतुलन भी बना रहेगा और कम लागत में उनको ज्यादा-से-ज्यादा उत्पादन मिल पाएगा.

खाद की उपलब्धता पर ना करें निर्भर
इन दिनों खाद की किल्लत प्रदेश में काफी सुर्खियों में है. शहडोल में खाद को लेकर कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी झारिया ने बताया किजिले में यूरिया वर्तमान में 518 मीट्रिक टन उपलब्ध है, इसी तरह से डीएपी 1155 मीट्रिक टन वर्तमान में उपलब्ध है. और ये सभी खाद हमारे यहां जिले के समस्त सेवा सहकारी समितियों और डबल लॉक केंद्रों में भंडारित हैं. किसानों को सलाह देते हुए उन्होंने बताया कि डीएपी खाद नहीं मिलने पर दूसरे माध्यम से भी उनके लिए पोषक तत्व उपलब्ध कराया जा सकता है, जैसे वर्तमान में यूरिया एनपीके सुपर मिक्चर खाद की पर्याप्त मात्रा में है.

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