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चंदिया के मटके रखते हैं ऐसा वाटर COOL, फ्रिज जाएंगे आप भूल

सूरज की तपिश से बचने के लिए शहडोल के लोग चंदिया के घड़ों का सहारा ले रहे हैं. चंदिया की मिट्टी पानी को बहुत ठंडा करती है इसलिए पूरे जिले में इन मटकों का बोलबाला है.

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Published : May 21, 2019, 10:25 AM IST

चंदिया के मटके हैं देसी कूलर

शहडोल। इस भीषण गर्मी में सूरज की तपिश से बचने के लिए लोग देसी कूलर का सहारा ले रहे हैं. हम बात कर रहे हैं मटकों की जो कि लोगों को गर्मी से राहत दिला रहे हैं, लेकिन मटकों की कई वैरायटियों के बीच चंदिया के घड़ों का बोलबाला है.

चंदिया के मटके हैं देसी कूलर

शहर के हर कोने में चंदियां के मटके बेचे जा रहे हैं. चंदिया मटकों की दुनिया का एक ब्रांड है, जो कि पूरे जिले में मशहूर हैं. दरअसल चंदिया एक तरह की मिट्टी होती है जिससे घड़े बनाए जाते हैं. चंदिया का घड़ा लेने आए केशव अग्रवाल बताते हैं कि इस मिट्टी से बना घड़ा पानी को एकदम ठंडा कर देता है.

दुकानदार लल्लू लाल चक्रवर्ती बताते हैं कि वो पिछले कई सालों से घडों का व्यापार कर रहे हैं, जब 10 रुपये में घड़ा मिल जाया करता था. तब से वो घड़ा बेंच रहे हैं और आज इन्हीं मटकों की कीमत 70-80 रुपये हो चुके हैं.

शहडोल। इस भीषण गर्मी में सूरज की तपिश से बचने के लिए लोग देसी कूलर का सहारा ले रहे हैं. हम बात कर रहे हैं मटकों की जो कि लोगों को गर्मी से राहत दिला रहे हैं, लेकिन मटकों की कई वैरायटियों के बीच चंदिया के घड़ों का बोलबाला है.

चंदिया के मटके हैं देसी कूलर

शहर के हर कोने में चंदियां के मटके बेचे जा रहे हैं. चंदिया मटकों की दुनिया का एक ब्रांड है, जो कि पूरे जिले में मशहूर हैं. दरअसल चंदिया एक तरह की मिट्टी होती है जिससे घड़े बनाए जाते हैं. चंदिया का घड़ा लेने आए केशव अग्रवाल बताते हैं कि इस मिट्टी से बना घड़ा पानी को एकदम ठंडा कर देता है.

दुकानदार लल्लू लाल चक्रवर्ती बताते हैं कि वो पिछले कई सालों से घडों का व्यापार कर रहे हैं, जब 10 रुपये में घड़ा मिल जाया करता था. तब से वो घड़ा बेंच रहे हैं और आज इन्हीं मटकों की कीमत 70-80 रुपये हो चुके हैं.

Intro:Note_ तीन बाईट हैं जिसमें एक लल्लू लाल चौधरी है मटका व्यापारी शर्ट के साथ कंधे पर तौलिया, एक राजू है मटका व्यापारी केवल शर्ट में, और तीसरी बाईट मटका ग्राहक केशव जैसवाल की है जो टी शर्ट में है।

आखिर चंदिया के घड़े यहां क्यों हैं इतने फेमस, मिट्टी के घड़ों के लिए ब्रांड बना चंदिया, जानिये घड़े के व्यापार से आखिर क्यों खुश नहीं हैं व्यापारी

शहडोल- गर्मी का सीजन चल रहा है, और इस गर्मी में ठंडे पानी की तलाश में हर कोई रहता है। और ऐसे समय में अमीर हो या गरीब ये मिट्टी के घड़े बहुत काम आते हैं।

इन दिनों शहडोल शहर में मिट्टी के घड़ों की दुकान जगह जगह मिल जाएगी। लेकिन इन मिट्टी के घड़े के दुकान में एक बात कॉमन है और वो है सभी व्यापारी चंदिया के हैं और उनके घड़ों में भी चंदिया लिखा हुआ है। और चंदिया के इन घड़ों को पसन्द करने वाले भी बहुत होते हैं।



Body:घड़ों के लिए चंदिया एक ब्रांड है

शहर में हमने जिस भी घड़े व्यपारी से पूंछा कहाँ से आये हो सीधे एक ही जवाब चंदिया से और चंदिया में बने मटके बेचने। जिस तरह से सभी चंदिया के घडों का प्रचार कर रहे थे साफ लग रहा था मिट्टी के घडों में चाँदीयके घड़े फेमस है, और इन घडों के लिए चंदिया एक ब्रांड है। इन घडों में एक खास बात और थी घड़ा छोटा हो या बड़ा सभी में चंदिया जरूर लिखा था।

यहां फेमस है चंदिया के घड़े

शहडोल संभाग में चंदिया के मिट्टी के बने घड़े काफी प्रसिद्ध हैं, अगर कोई घड़ा खरीदने आता है तो वो चंदिया के घड़े मांगता है भले ही कुछ पैसे ज्यादा क्यों न लग जाएं।केशव अग्रवाल घड़ा ख़रीदने के लिए आये हुए थे, उनका कहना था यहां के घड़े इस प्रचंड गर्मी में भी पानी को ठंडा कर देते हैं।

कई साल से कर रहे घड़ों का व्यापार

चंदिया से घडों का व्यापार करने आये एक व्यापारी जिनका नाम लल्लू लाल चक्रवर्ती है बताते हैं कि वो पिछले कई सालों से घडों का व्यपार कर रहे हैं जब 10 रुपये में घड़ा मिल जाया करता था तब से वो घड़ा बेच रहे हैं और आज इन्हीं मटकों की कीमत 70 से 80 रुपये हो चुके हैं तब भी घड़ों का व्यपार करते हैं। लल्लू लाल बताते हैं कि इस बढ़ती महंगाई में वो घडों के व्यापार से खुश नहीं हैं क्योंकि पहले तो परिवार चल जाया करता था लेकिन अब नहीं चल पाता इसलिये 3 महीने गर्मी में मटका बेचते हैं, फिर दीपावली के समय में मिट्टी के दीपक बनाते और बाकी बचे समय में वो मज़दूरी भी करते हैं

लल्लू लाल बताते हैं 200 घड़े बनाने, सुखाने और पकाने में करीब 2 महीने का वक्त लग जाता है जिसके बाद उसे वो बेचते हैं।

करीब 20-25 साल से चंदिया के मटके बेचने वाले व्यापारी राजू कहते हैं कि कहां मटके बस के व्यापार से घर चल पाता है, समय समय पर मज़दूरी करने भी जाना पढ़ता है।


Conclusion:इसलिए फेमस हैं चंदिया के घड़े

चंदिया के घड़े क्यों ज्यादा बिकते हैं इस पर मटका व्यापारी लल्लू लाल, और राजु कहते हैं कि चंदिया के मटकों की बात ही अलग है यहां की मिट्टी ही खास है इसलिए यहां के मिट्टी से बने घडों में पानी तो अच्छा ठंड़ाता ही है साथ ही शीतल भी होता है। इसलिए लोग चंदिया के ही मटके मांगते हैं।

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