शहडोल। बहुवर्षीय फसल परवल की खेती मध्यप्रदेश में बहुत ही कम होती है. लेकिन अब कृषि वैज्ञानिक यह दावा कर रहे हैं कि इस फसल का उत्पादन मध्यप्रदेश में आसानी से किया जा सकता है. आदिवासी जिला शहडोल में परवल की सब्जी को खूब पसंद किया जाता है. अक्सर इस सब्जी के दाम हाई ही रहते हैं. सीजन कोई भी हो परवल 40 से 50 रुपए किलो ही बिकता है. ऐसे में परवल की खेती जिले के किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है. इस विषय पर कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी ने साझा की इससे जुड़ी खास जानकारियां.
यहां परवल की खेती में अपार संभावनाएं
कृषि वैज्ञानिक डॉ. पीएन त्रिपाठी कहते हैं मध्यप्रदेश में यहां परवल के खेती की अपार संभावनाएं हैं. उसी क्रम में कृषि विज्ञान केंद्र ने एक कृषक के यहां ये प्रयास किया है. नवाचार के रूप में परवल की खेतीं के रूप में यह काफी कामयाब रहा और अब इसकी फसल को लेकर इस आदिवासी जिले में भी परवल की खेती को लेकर वैज्ञानिक काफी उत्साहित हैं. कृषि वैज्ञानिक पीएन त्रिपाठी कहते हैं दो साल पहले यहां किसान ने परवल के खेतीं की शुरुआत की थी, आज आप खुद ही देख रहे हैं किसान को किस तरह से अच्छा उत्पादन मिल रहा है.
इसलिए बढ़ा उत्पादन
परवल की फसल को लेकर कृषि वैज्ञानिक कहते हैं इसका उत्पादन बढ़ने का कारण यह है कि शहडोल में इस साल मौसम हर महीने हर हफ्ते बदलता रहा, कभी बारिश कभी धूप, हो जाती थी जिससे तापमान भी 30, 32, 34 डिग्री टेम्परेचर के आसपास बना ही रहा जो परवल के लिए अनुकूल वातावरण है. परवल की खेती के लिए 35 डिग्री के आसपास तापमान होना चाहिये वो भी नमीयुक्त होना चहिए. इस साल जो वातावरण में नमीं जो बनी रही है बेहतर जलवायु रही है उस कारण हमारा फसल भी बेहतर रहा है. कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक, यहां पर किसान ने दो एकड़ की जमीन पर परवल की खेती की है. जो बम्पर उत्पादन इस साल दे रहा है. इस फसल का रेट भी बेहतर मिलता है. इस क्षेत्र में 40 से 50 रुपये किलो से नीचे रेट ही नहीं जाता. ऐसे में इस फसल को लेकर जिले भर के किसान उत्साहित हैं और इसकी खेती करना चाह रहे हैं. इस ट्रायल को तो कई किसान खेत भी देखने पहुंचे हैं.
उत्साहित हैं किसान और वैज्ञानिक बढ़ाना चाहते हैं एरिया
परवल की खेती को लेकर किसान के साथ-साथ कृषि वैज्ञानिक भी अब काफी उतसाहित हैं और क्षेत्र में इसकी खेती के रकबे को बढ़ाना चाहते हैं. जिससे जो परवल बाहर से दूसरे प्रदेश से आता है वो अब अपने जिले में ही होने लगा है.
परवल के लिये ऐसी मिट्टी अनुकूल
कृषि वैज्ञानिक डॉ. पीएन त्रिपाठी कहते हैं, परवल की खेती की बात करते हैं तो भूरी मिट्टी छोड़कर सभी प्रकार की मिट्टी में इसकी खेती की जा सकती हैं. उत्तम के लिए दोमट जल निकास युक्त मिट्टी होनी चाहिए. सबसे पहले, हमारे क्षेत्र की बात करें तो हमारे शहडोल में हल्की मिट्टी है और जल निकास की बढ़िया व्यवस्था है और अगर जिले का किसान इसकी खेती करना चाहता है तो यहां की मिट्टी इस फसल को लेने के लिए उपयुक्त है.
परवल लगाने की ऐसे करें शुरुआत
कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि अगर आप परवल की खेती करना चाहते हैं तो पहले खेत को बढ़िया बनाकर के गहरी जुताई करके खेत समतल हो पानी बिल्कुल भी खेत में नहीं रुकना चाहिए. अगर खेत में जल भरता है तो फसल को नुकसान होता है. सड़ने लगती है तो ऐसी स्थित में हम ऐसे खेत का चयन करें कि हमारा खेत बिल्कुल जल निकास में हो. समतल हो, इसके बाद खेत तैयार करके जब हम इसकि कटिंग लगाएं तो पौधे से पौधे की दूरी कम से कम 1 मीटर हो. उनके मुताबिक, इसकी कटिंग के दौरान नर और मादा दोनों रहते हैं. इसमें हमें ये चीज ध्यान देना है कि एक नर हो तो 10 मादा हो, इस अनुपात से अगर एक हेक्टेयर में इसकी खेती करते हैं तो हमें 5 हजार कटिंग की आवश्यकता पड़ती है. वो कटिंग करीब 8 से 10 सेंटीमीटर लंबी हो और उस हिसाब से ऐसी जगह से कटिंग लें जो स्वस्थ्य हों.
जून जुलाई इसे लगाने का उपयुक्त समय
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक इसे लगाने के लिए जो उपयुक्त समय है वो यही जून जुलाई का समय है इसी समय से लगाएं और दूसरीं चीज गोबर की खाद जीवांस युक्त पकी हुई खाद, केचुआ की खाद का खेत में इस्तेमाल कर सकते हैं. एक हेक्टेयर में 25 से 30 क्विंटल गोबर की खाद सही रहेगा. इसके अलावा अगर केचुआ की खाद है तो 8 से 10 क्विटल केचुआ की खाद मिलाना है, साथ ही साथ जैव उर्वरक का भी भरपूर मात्रा में प्रयोग करके लगाने के पहले खेत में अच्छी तरह से मिला देना है और फिर इसके बाद कटिंग को लगा दे इसका उपचार करके. कटिंग में किस्म का सही इस्तेमाल करें.
स्वास्थ्य के लिए लाभदायक
कृषि वैज्ञानिक इसके फायदे भी बताते हुए कहते हैं ये परवल स्वास्थ्य की दृष्टि से जो हृदय रोगी हैं या फिर मूत्र से संबंधित कोई भी ऐसी विकार होते हैं उनके लिए बहुत ही उपयोगी सब्जी है इसकी सब्जी बनती है अचार तो बनता ही है इसका उपयोग मिठाई में भी होता है। ये काफी पोषक तत्व से भरपूर हैं।
बहुवर्षीय फसल
ये बहुवर्षीय फसल है. इसे तीन से चार बार इसकी फसल ले सकते हैं. जून में लगाया तो हर चार महीने में फसल मिलती हैं. ठंडी में इसका उत्पादन कम हो जाता है तो उस सुप्त अवस्था में इसकी छंटाई करते हैं और फिर खाद पानी और दवाई देकर फिर तैयार हो जाता है. जैसे टेम्परेचर डाउन होता है तो फल लगना कमजोर हो जाते हैं, तो उस समय कटिंग कर लेना चहिये.
कई किस्म हैं
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि एक स्वर्ण अलौकिक क़िस्म होती है ये धारदार अंडाकार होती है बहुत अच्छी फसल मानी जाती है. जैसे हम बात करें तो ये जो लगी हुई है ये डीवीआर पीजी 1 किस्म है. एक डीवीआर पीजी 2 क़िस्म भी होती है तो उसमें कीपिंग क्वालिटी अच्छी होती है अगर बाहर भेजना है तो इसके अलावा स्वर्ण रेखा है स्वर्ण अलौकिक है.
दूसरे राज्यों में इसकी बहुतायत में खेती
परवल फसल की खेती दूसरे प्रदेश में बहुतायत में होती है और अपने शहडोल में भी बाहर से ही आता है. कृषि वैज्ञनिक बताते हैं कि ये फसल शहडोल जिले की नहीं है. यहां बिल्कुल भी नहीं लगती है और यहां जो भी मार्केट में परवल आती है वो छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तरप्रदेश या फिर बिहार से.
इन जगहों पर बहुतायत मात्रा में परवल के सब्जी की ये फसल ली जाती है. वैसे तो ये कद्दू वर्गीय फसल है और इसका रेट भी बहुत अच्छा है. 40 से 50 रुपये किलो से कम नहीं मिलता है. उसको दृष्टिगत रखते हुए ये कहा जा सकता है कि अगर नवाचार के तौर पर यहां का किसान भी परवल की खेती में हाथ आजमाते हैं तो बंपर उत्पादन ले सकते हैं और मालामाल हो सकता है.