शहडोल। शहडोल जिला अस्पताल में अब तक 18 बच्चों की मौत हो चुकी है. इस मामले में स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी अस्पताल का निरीक्षण कर सीएमएचओ राजेश पांडे और सिविल सर्जन वीएस बारिया को हटाने के निर्देश दिए है. हालांकि स्वास्थ्य मंत्री ने डॉक्टर्स को क्लीन चिट दे दी है और अस्पताल में सुविधाएं बढाने की बात कही गई है. लेकिन जिला अस्पताल में बच्चों के मौत के जो आंकड़े निकल कर सामने आ रहे हैं, वह चौंकाने वाले हैं. आंकड़ों के मुताबिक औसतन हर दिन एक बच्चे की मौत हो रही है. अप्रैल से नवंबर के भीतर पिछले 8 महीने में ही 362 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है. सबसे ज्यादा 262 बच्चों की मौत नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई एसएनसीयू में हुई है. वहीं 100 से ज्यादा बच्चों ने बाल गहन चिकित्सा इकाई (पीआईसीयू) में इलाज के दौरान अपनी जान गवाई है.
एसएनसीयू में अप्रैल से नवंबर तक के आंकड़े
अप्रैल महीने में 149 बच्चे भर्ती हुए थे. जिसमें से 30 की मौत हुई.
- मई महीने में 185 बच्चे भर्ती हुए थे. जिसमें 31 की मौत हुई.
- जून महीने में 183 बच्चे भर्ती हुए थे. जिनमें 34 की मौत हुई.
- जुलाई महीने में 239 बच्चे भर्ती हुए थे. जिसमें 39 की मौत हुई.
- अगस्त महीने में 181 बच्चे भर्ती हुए थे, जिनमें 30 ने दम तोड़ दिया था.
- सितंबर महीने में 210 बच्चे भर्ती हुए थे, जिसमें 43 की मौत हुई.
- अक्टूबर महीने में 180 बच्चे भर्ती हुए थे, जिसमें 31 की मौत हुई.
- नवंबर महीने में 189 बच्चे भर्ती हुए थे, जिसमें 24 की मौत हुई.
इन आंकड़ों के मुताबिक कुल 1516 बच्चे भर्ती हुए थे, जिसमें 262 की केवल एसएनसीयू में मौत हुई है.
पीआईसीयू में 7 माह में भर्ती बच्चे और मौतों का आंकड़ा
- अप्रैल महीने में 64 बच्चे भर्ती हुए, जिसमें से 7 की मौत हो गई.
- मई महीने में 65 बच्चे भर्ती हुए, जिसमें से 4 ने दम तोड़ दिया.
- जून महीने में 67 बच्चे भर्ती हुए , जिसमें से 11 की मौत हुई.
- जुलाई महीने में 81 बच्चे भर्ती हुए, जिसमें से 9 की मौत हुई.
- अगस्त महीने में 79 बच्चे भर्ती हुए ,जिसमें से 10 की मौत हुई.
- सितंबर महीने में 104 बच्चे भर्ती हुए, जिसमें से 28 की मौत हुई.
- अक्टूबर महीने में 113 बच्चे भर्ती हुए, जिसमें 29 की मौत हुई.
इसके अनुसार पीआईसीयू में कुल 573 बच्चे भर्ती हुए, जिसमें से 98 की मौत हो गई.
स्वास्थ्य मंत्री का बयान
बच्चों के मौत के मामले में लगभग लगभग पूरे प्रदेश की स्थिति खराब है. स्वास्थ्य मंत्री प्रभु राम चौधरी ने कहा है कि मैंने पूर्व में भी कहा है, की बच्चों की मृत्यु न हो मैं संख्या और आंकड़ों पर नहीं जाना चाहता हूं की पिछले साल कितनी मृत्यु हुई. सरकार की कोशिश है ति एक भी बच्चे की मृत्यु न हो और अगर एक भी बच्चे की मृत्यु प्रदेश के किसी भी कोने में होती है तो सरकार उसे गंभीरता से ले रही है. वहां पर व्यवस्था भी जुटा रही है, जिससे भविष्य में किसी भी बच्चे की दवाई, डॉक्टर और एम्बुलेंस के अभाव मौत ना हो.
अब तक 18 बच्चों ने तोड़ा दम
शहडोल जिला चिकित्सालय में 26 नवंबर से 7 दिसंबर के बीच 18 बच्चों की मौत हो चुकी है. जिसके चलते कहीं ना कहीं सीएमएचओ राजेश पांडे के खिलाफ लोगों में नाराजगी थी. कांंग्रेस व अन्य दल के नेताओं ने भी सीएमएचओ हटाने की मांग की थी. इसके लिए उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री को ज्ञापन भी सौंपा था.